Nupur Sharma Case: नूपुर शर्मा पर टिप्पणी करने वाले जज का बयान, सरकार सोशल मीडिया के लिए बनाए कानून

Nupur Sharma Case: सुप्रीम कोर्ट के जज जेबी पारदीवाला ने देश में लोगों के विचारों को प्रभावित करने के लिए हो रहे सोशल मीडिया के उपयोग पर लगाम लगाने को लेकर अपनी राय प्रस्तुत की है।

Report :  Rajat Verma
Update:2022-07-03 19:42 IST

Nupur Sharma Case: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज जेबी पारदीवाला ने देश में लोगों के विचारों को प्रभावित करने के लिए हो रहे सोशल मीडिया के उपयोग पर लगाम लगाने को लेकर अपनी राय प्रस्तुत की है। इससे पहले जेबी पारदीवाला ने नूपुर शर्मा के विवादित बयान पर अपना सख्त रूख ज़ाहिर करते हुए टिप्पणी की थी, जिसके बाद वह चर्चा में आए थे। आज रविवार को सर्वोच्च न्यायालय के जज जेबी परदीपवाला ने यह विचार CAN फाउंडेशन द्वारा आयोजित एचआर खन्ना की याद में हो रही राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रस्तुत किए।

जेबी पारदीवाला ने कार्यक्रम के दौरान अपने संम्बोधन में कहा कि भारत अन्य कई देशों की तुलना में ना तो पूर्ण रूप से शिक्षित है और ना ही परिपक्व, जिसका फायदा उठाकर यहां की आम जनता के विचारों को सोशल मीडिया के माध्यम से प्रभावित किया जाता है। इन्हीं कारणों के चलते अब संसद को भारत में सोशल मीडिया उपयोग और पोस्ट को लेकर एक स्थायी कानून बनाने की आवश्यकता है जिससे गलत और फर्जी सूचनाओं को फैलने से रोका जा सके। सरकार को सोशल मीडिया पर लगाम लगाने पर विचार करने की आवश्यकता है।

न्याययिक मामलों में सोशल मीडिया का हस्तक्षेप पूरी तरह से अनुचित और गैर-कानूनी- जेबी पारदीवाला

साथ ही न्यायालय में लंबित अथवा जारी मामलों पर सोशल मीडिया के हस्तक्षेप को लेकर बोलते सुप्रीम कोर्ट जज जेबी पारदीवाला ने कहा कि न्याययिक मामलों में सोशल मीडिया का हस्तक्षेप पूरी तरह से अनुचित और गैर-कानूनी है तथा इस दिशा में ध्यान देते हुए सरकार को ज़ल्द ही इसपर कानून बनाना चाहिए।

आगे जेबी परदीपवाला ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत में आमतौर पर किसी कानून को लेकर तीन प्रक्रियाएँ है, जिसमें सर्वप्रथम कानून लाने से पहले इसके बारे में जनता को समझाया जाता है, फिर सदन में पारित किया जाता है और अंत में कई बार में न्यायालय में इसपर सवाल भी उठाया जाता है। जज जेबी परदीपवाला ने इसे तीन डी (Three D's) नाम दिया है, जिसमें public discussion, parliamentary debate और judicial decree शामिल है।

कानून को पारित करने से पहले विधिवत तरीके से जांच की जानी चाहिए- जेबी पारदीवाला

भारत में कानून निर्माण को लेकर जज ने कहा कि यहां किसी भी कानून को व्यक्ति के मौलिक अधिकार से जोड़ते हुए उसे खत्म करने की याचिका दी जा सकती है तथा कार्यवाही के बाद न्यायालय द्वारा इसपर फैसला सुनाया जाता है। वहीं ब्रिटेन जैसे कुछ देशों में संसद द्वारा कानून द्वारा पारित करने के बाद उस पर न्यायालय में सवाल नहीं उठाया जा सकता है। अंतिम रूप से जेबी पारदीवाला ने अपने अभिभाषण में कहा कि किसी भी कानून को पारित करने से पहले लागू होने वाले कानून और शासन की विधिवत तरीके से जांच की जानी चाहिए।

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