JNU स्टूडेंट के सुसाइड पर सस्पेंस, FB पोस्ट में लगाया था एडमिशन में भेदभाव का आरोप
जेएनयू के 27 साल के एक स्टूडेंट मुथुकृष्णन जीवानाथम ने सोमवार को सुसाइड कर लिया। बताया जा रहा है कि वह डिप्रेशन में था और आंध्र प्रदेश के सलेम का रहने वाला था। सुसाइड की वजह का पता उसके फेसबुक पोस्ट से चला, जिसमें उसने एम.फिल और पीएचडी एडमिशन को लेकर भेदभाव का आरोप लगाया था। मुथुकृष्णन ने फेसबुक पर रजनी कृश नाम से प्रोफाइल बनाई थी।
नई दिल्ली: जेएनयू के 27 साल के एक स्टूडेंट मुथुकृष्णन जीवानाथम ने सोमवार को सुसाइड कर लिया। बताया जा रहा है कि वह डिप्रेशन में था और आंध्र प्रदेश के सलेम का रहने वाला था। सुसाइड की वजह का पता उसके फेसबुक पोस्ट से चला, जिसमें उसने एम.फिल और पीएचडी एडमिशन को लेकर भेदभाव का आरोप लगाया था। मुथुकृष्णन ने फेसबुक पर रजनी कृश नाम से प्रोफाइल बनाई थी। हालांकि पुलिस को डेड बॉडी के पास से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।
बता दें कि कृष के सुसाइड करने को लेकर अब सोस्गल मीडिया यूजर्स ने कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं। लोगों ने सोशाल मीडिया पर कृष के फांसी के फंदे से लटकने की तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा है कि जेएनयू के छात्र कृष का मृत शरीर पंखे के साथ ज़मीन पर लगा हुआ है तो फिर यह आत्महत्या से ज़्याद हत्या की तरफ सूचित कर रहा है। इसके लिए स्पेशल छानबीन की ज़रूरत है।
क्या लिखा था फेसबुक पोस्ट में ?
मुथुकृष्णन जीवानाथम ने 10 मार्च को अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा था, "एम.फिल और पीएचडी एडमिशन में कोई समानता नहीं बरती जाती। वायवा में भी भेदभाव किया जाता है। प्रो. सुखदेव थोराट की रिकमंडेशन को नकार दिया गया। स्टूडेंट्स के प्रोटेस्ट को नकारा गया। मामूली स्टूडेंट्स को नकारा जाता है। अगर आप समानता को नकारते हैं तो सबका विरोध करते हैं।"
पुलिस का क्या है कहना ?
पुलिस के मुताबिक, अभी तक इस बात का कोई सबूत नहीं मिला है कि यूनिवर्सिटी में भेदभाव के चलते स्टूडेंट मुथुकृष्णन जीवानाथम ने यह कदम उठाया है। यह जरूर पता चला है कि वो कुछ दिन से डिप्रेशन में चल रहा था। सूचना मिलने पर जब पुलिस पहुंची तो कमरे के अंदर मुथुकृष्णन का शव पंखे से लटका हुआ मिला।