सुभाष चंद्र बोस की बेटी की मांग-भारत लाए जाएं नेताजी के अवशेष, डीएनए परीक्षण के लिए भी तैयार
Subhash Chandra Bose: आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी अनिता बोस फाफ ने सरकार से नेताजी के अवशेषों को जापान से भारत लाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि वे इस बात को लेकर पूरी तरह निश्चिंत है कि जापान के रेंकोजी मंदिर में रखे गए अवशेष उनके पिता सुभाष चंद्र बोस के ही हैं।
Subhash Chandra Bose: आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी अनिता बोस फाफ ने सरकार से नेताजी के अवशेषों को जापान से भारत लाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि वे इस बात को लेकर पूरी तरह निश्चिंत है कि जापान के रेंकोजी मंदिर में रखे गए अवशेष उनके पिता सुभाष चंद्र बोस के ही हैं। उन्होंने कहा कि वे नेताजी के अवशेषों के डीएनए परीक्षण के लिए तैयार हैं। 79 वर्ष की हो चुकी अनीता बोस ने कहा कि नेताजी के जीवन में देश की आजादी से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं था और उन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए अपना सबकुछ न्यौछावर कर दिया।
जापान को अवशेष सौंपने में आपत्ति नहीं
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 1945 में हुए एक विमान हादसे में निधन का दावा किया जाता रहा है। इस विमान हादसे के बाद जापानी अधिकारियों ने नेताजी के पार्थिव शरीर के अवशेषों को इकट्ठा किया था और इन अवशेषों को टोक्यो के रेंको जी मंदिर में संरक्षित किया गया था। तभी से ही से मंदिर में पुजारियों की तीन पीढ़ियों की ओर से इन अवशेषों की देखभाल की जाती रही है।
इन अवशेषों का जिक्र करते हुए नेताजी की बेटी अनिता बोस ने कहा कि मंदिर के पुजारी और जापान की सरकार इन अवशेषों को भारत को सौंपने के लिए तैयार है॔। इसके साथ ही उन्हें इन अवशेषों के परीक्षण पर भी कोई आपत्ति नहीं है। नेताजी की पुत्री ने कहा कि इन अवशेषों को भारत लाकर उनका डीएनए परीक्षण किया जा सकता है।
देश के लोगों से प्रयास करने की अपील
उन्होंने कहा कि नेताजी ने देश की आजादी के लिए लंबी लड़ाई लड़ी और देश की आजादी ही उनका सबसे बड़ा सपना था। इसलिए अब वह समय आ गया है जब नेताजी के अवशेषों को भारतीय धरती पर लाया जाए। उन्होंने कहा कि नेताजी की अस्थियों को उनकी मातृभूमि भारत में लाने के लिए देश भर के लोगों को प्रयास करना चाहिए।
देश की सरकार को भी इस बाबत आगे बढ़कर पहल करनी चाहिए। वैसे यह पहला मौका नहीं है जब अनिता बोस ने यह मांग उठाई है। वे पहले भी भारत सरकार से इस बाबत मांग करती रही हैं। उनका कहना है कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में यह महत्वपूर्ण कदम होगा।
लंबे समय से उठती रही मांग
नेताजी की पुत्री अनीता बोस का जन्म ऑस्ट्रिया में हुआ था और वे अर्थशास्त्री रही हैं। वे नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनकी पत्नी एमिली शेंकल की बेटी हैं। नेताजी जिस समय अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए जर्मनी से दक्षिण पूर्व एशिया गए थे, उस समय अनीता की उम्र सिर्फ चार महीने थी। मौजूदा समय में वे जर्मनी में रहती हैं।
नेताजी की मौत भारतीय इतिहास के सबसे बड़े रहस्यों में एक रही है। उनके निधन को लेकर अलग-अलग दावे किए जाते रहे हैं और आज तक उस रहस्य पर से पर्दा नहीं हट सका है। अनिता बोस नेताजी की एकमात्र संतान हैं और वे काफी दिनों से भारत सरकार से यह मांग करती रही हैं कि जापान के रेंको जी मंदिर से नेताजी के अवशेष भारत लाए जाने चाहिए।
नेताजी के कई अन्य रिश्तेदारों ने भी इस बाबत सरकार से मांग की थी। नेताजी के करीबी यह मांग भी करते रहे हैं कि इस बात की जांच पड़ताल की जानी चाहिए कि नेताजी ताइवान से कहां गए थे। अब आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में अनिता बोस ने एक बार फिर अपनी पुरानी मांग दोहराई है। यह देखने वाली बात होगी कि सरकार की ओर से इस दिशा में है क्या फैसला लिया जाता है।