प्रदेश भाजपा के सह प्रभारी सुनील ओझा को बिहार भेजा, शीर्ष नेतृत्व का फैसला, गड़ौली धाम आश्रम को लेकर आए थे चर्चाओं में
Sunil Bhai Ojha: मिर्जापुर में बन रहे गड़ौली धाम आश्रम को लेकर चर्चाओं में आए भाजपा के प्रदेश प्रभारी सुनील भाई ओझा का बिहार ट्रांसफर हो गया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा की ओर से यह नियुक्ति की गई है।
पिछले दिनों भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने भाजपा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के गड़ौली धाम आश्रम में जाने पर रोक लगा दी थी। सियासी हलकों में प्रदेश अध्यक्ष का यह आदेश चर्चा का विषय बन गया था। अब सुनील ओझा को उत्तर प्रदेश से बिहार भेजे जाने के आदेश का भी गड़ौली धाम आश्रम से कनेक्शन जोड़ा जा रहा है। सियासी जानकारों का मानना है कि इस आश्रम को लेकर पैदा हुए विवाद के बाद ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से यह फैसला लिया गया है।
क्या है गड़ौली धाम आश्रम का विवाद
पिछले दिनों मीडिया में गड़ौली धाम आश्रम का विवाद काफी चर्चाओं में रहा था और इसकी आंच सुनील भाई ओझा तक पहुंच गई थी। गड़ौली धाम आश्रम की शुरुआत ओएस बालमुकुंद फाउंडेशन ने की थी जिसके अगुवा सुनील भाई ओझा हैं। यह आश्रम वाराणसी की सीमा पर मिर्जापुर जिले में बन रहा है। इस आश्रम के निर्माण में काशी क्षेत्र के कई नेताओं ने सहयोग दिया है।
जानकारों का कहना है कि काशी क्षेत्र में लोकसभा और निकाय चुनाव में टिकट के दावेदार गड़ौली धाम आश्रम में आर्थिक सहयोग के जरिए अपनी सियासी राह आसान करने की कोशिश में जुटे हुए थे। उन्हें लग रहा था कि इस मदद के जरिए वे आगे चलकर भाजपा का टिकट पाने में कामयाब हो सकते हैं। आश्रम के निर्माण में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की ओर से आर्थिक मदद दिए जाने की शिकायत भाजपा के शीर्ष नेतृत्व तक भी पहुंची थी।
शीर्ष नेतृत्व ने दिया था स्पष्ट संदेश
जानकार सूत्रों के मुताबिक पिछले महीने की 12 तारीख को आश्रम का स्थापना दिवस मनाया गया था। स्थापना दिवस के सिलसिले में पांच दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसके तहत सामूहिक रुद्राभिषेक, खेल महोत्सव और 1008 सामूहिक विवाह आदि कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। इन आयोजनों में सुनील भाई ओझा की ओर से सरकार के कई मंत्रियों, विधायकों, पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया गया था।
प्रदेश के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक, राज्य सरकार के कई और मंत्री, कई प्रमुख पदाधिकारी और अन्य नेता हाल के दिनों में आश्रम में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे। टिकट के दावेदारों के लिए इस आश्रम के नया पावर सेंटर बनने की चर्चाओं के बीच शीर्ष नेतृत्व ने काशी क्षेत्र के अन्य नेताओं से फीडबैक लिया है। जानकारों के मुताबिक इस फीडबैक के बाद ही पार्टी के शीर्ष नेताओं ने प्रदेश नेतृत्व को स्पष्ट संदेश दिया है कि इस आयोजन से पार्टी व सरकार का कोई मतलब नहीं है।
प्रदेश अध्यक्ष ने जारी किया था निर्देश
शीर्ष नेतृत्व की ओर से संदेश मिलने के बाद ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने क्षेत्रीय अध्यक्ष महेश श्रीवास्तव को फोन पर निर्देश दिया था कि पार्टी के सभी पदाधिकारियों को सूचित कर दिया जाए कि कोई भी अब गड़ौली धाम आश्रम नहीं जाएगा और न तो आश्रम में किसी भी प्रकार का सहयोग प्रदान करेगा। प्रदेश नेतृत्व का आदेश मिलने के बाद सभी पदाधिकारियों को फोन करके इस बाबत जानकारी दी गई थी। भाजपा प्रदेश नेतृत्व के आदेश के बाद काशी क्षेत्र में भाजपा कार्यकर्ताओं और अन्य प्रतिनिधियों ने गड़ौली धाम आश्रम से दूरी बना ली थी।
दूसरी ओर सुनील भाई ओझा ने अपनी सफाई में कहा था कि आश्रम का पूरा निर्माण बैंक चेक के जरिए किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस आश्रम के निर्माण के लिए किसी से भी आर्थिक सहयोग नहीं मांगा गया है। उनका कहना था कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की ओर से इस तरह का आदेश क्यों दिया गया है,इसे आदेश देने वाला ही बता सकता है।
सियासी भविष्य को लेकर लग रहे थे कयास
पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से कड़ा तेवर अपनाए जाने के बाद भाजपा के प्रदेश प्रभारी सुनील भाई ओझा के सियासी भविष्य को लेकर भी अटकलबाजियों का दौर शुरू हो गया था। माना जा रहा था कि आने वाले दिनों में शीर्ष नेतृत्व की ओर से सुनील ओझा के सियासी भविष्य को लेकर बड़ा फैसला लिया जा सकता है। अब पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से अहम फैसला लेते हुए सुनील ओझा को उत्तर प्रदेश से बिहार भेज दिया गया है। अब वे बिहार भाजपा में सह प्रभारी की भूमिका निभाएंगे।
पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं सुनील ओझा
सुनील ओझा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काफी करीबी माना जाता है। वे वाराणसी में प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र की जिम्मेदारी भी संभालते रहे हैं। वे भाजपा के टिकट पर गुजरात के भावनगर से दो बार विधायक भी रह चुके हैं। तीसरी बार टिकट न मिलने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। हालांकि तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद मोदी से उनकी दूरियां बढ़ गई थीं।
बाद में उन्होंने भाजपा से इस्तीफा देकर महागुजरात जनता पार्टी के नाम से अलग पार्टी भी बनाई थी। बाद में फिर सियासी हालात बदले और वे फिर मोदी के करीब आ गए। इसके बाद उन्हें गुजरात भाजपा के प्रवक्ता की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी की सियासी पिच पर बैटिंग करने के लिए उतरे तो सुनील भाई ओझा को गुजरात से काशी भेजा गया था। उसके बाद से सुनील ओझा काशी में ही डटे रहे हैं। अमित शाह को यूपी का भाजपा का प्रभारी बनाए जाने के बाद सुनील ओझा को सह प्रभारी बनाया गया था।