SC कॉलेजियम ने दी मंजूरी, हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति का रास्ता हुआ साफ

Update: 2017-03-15 03:10 GMT

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद जजों की नियुक्ति का रास्ता अब साफ हो गया है। लंबे समय से कोर्ट में अटके जजों के अप्वॉइंटमेंट पर अब स्थिति साफ हो गई है। इससे जुड़े मेमोरेंडम ऑफ प्रोसिजर (एमओपी) पर सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी मिल गई है। इस मामले में सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच सालभर से मतभेद चला आ रहा था।

चीफ जस्टिस जे एस खेहर की अध्यक्षता वाला कलेजियम एमओपी में नेशनल सिक्यॉरिटी क्लॉज को जोड़ने पर सहमत हो गया है। केंद्र सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति की पात्रता में इसे शामिल किए जाने पर अड़ा था। इस कलेजियम के अन्य सदस्यों में जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस मदन बी लोकुर शामिल हैं।

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कुछ इस तरह तैयार हुआ क्लॉज

चीफ जस्टिस जे. एस. खेहर की अगुआई वाला कॉलेजियम एमओपी में नेशनल सिक्युरिटी वाला क्लॉज जोड़ने को तैयार हो गया है।बता दें कि केंद्र इसमें सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों के अप्वॉइंटमेंट के लिए उनकी एलिजिबिलिटी को भी जोड़ने पर अड़ा था। इस कॉलेजियम में जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे. चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस मदन बी. लोकुर भी शामिल हैं। इसके अलावा कॉलेजियम सुप्रीम कोर्ट और सभी हाईकोर्ट में सेक्रेट्रिएट्स बनाने के अपने विरोध से भी पीछे हट गया है।

हाईकोर्ट में संख्या से कम एंप्लॉय

एमओपी को केंद्र की मंजूरी मिलेगी, फिर इसे लागू करने के लिए भेजा जाएगा। बता दें हाईकोर्ट में जरूरत से 60% इम्प्लॉई कम हैं। जजों की कमी की वजह से पेंडिंग केसों का निपटारा नहीं हो पा रहा है।

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जस्टिस खेहर ने बदली स्थिति

जस्टिस खेहर की अगुआई वाली कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच ने अक्टूबर 2015 में एनजेएसी (नेशनल ज्युडिशियल अप्वाॅइंटमेंट कमीशन) पर रोक लगा दी थी। साथ ही, दिसंबर में केंद्र सरकार को चीफ जस्टिस के साथ मशविरा कर नया एमओपी तैयार करने को कहा था। इसके बाद से ही एमओपी का ड्राफ्ट कॉलेजियम और सरकार के बीच फंसा था। दोनों में से कोई भी इस पर झुकने को तैयार नहीं था। हालांकि, खेहर के चीफ जस्टिस बनने के बाद से हालात बदल गए। चीफ जस्टिस जे. एस. खेहर की अगुआई वाला कॉलेजियम एमओपी में नेशनल सिक्युरिटी वाला क्लॉज जोड़ने को तैयार हो गया है

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