Supreme Court Latest Judgements: साल 2024 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय, डालते हैं उन पर एक नजर

Supreme Court Important Judgements 2024: साल 2024 में सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख फैसलों का विस्तृत विवरण...

Written By :  AKshita Pidiha
Update:2024-12-30 12:45 IST

Supreme Court Important Judgements and Orders 2024 

2024 Mein Supreme Court Ke Bade Faisle: वर्ष 2024 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कई महत्वपूर्ण और विवादास्पद निर्णय दिए, जिन्होंने व्यापक चर्चा और बहस को जन्म दिया। 2024 का वर्ष सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के लिए ऐतिहासिक रहा, जिसमें विभिन्न कानूनी क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए गए। पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ के नेतृत्व में इन फैसलों ने चुनावी पारदर्शिता, विधायी शक्तियों, सकारात्मक कार्रवाई, संपत्ति अधिकारों और अन्य महत्वपूर्ण विषयों को संबोधित किया। नीचे इन मामलों का संकलन और उनके प्रमुख निर्णय दिए गए हैं।

यहां उन प्रमुख फैसलों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत है:

1. चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करना

सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2024 में चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया। न्यायालय ने माना कि गुमनाम दानदाताओं के माध्यम से राजनीतिक दलों को धनराशि प्राप्त होने से पारदर्शिता में कमी आती है, जो संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। इस निर्णय ने राजनीतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता की आवश्यकता पर जोर दिया।

2. धार्मिक स्थलों पर विवादों पर रोक

दिसंबर 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने सभी अदालतों को धार्मिक स्थलों से जुड़े विवादों पर अंतरिम या अंतिम निर्णय देने से रोक दिया।


ज्ञानवापी, मथुरा, भोजशाला और संभल जैसे संवेदनशील मामलों में न्यायालय ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि ऐसे विवाद सामाजिक सौहार्द्र को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए इन पर निर्णय देने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए।

3. बिलकिस बानो मामले में दोषियों की सजा माफी रद्द

सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में बिलकिस बानो मामले के दोषियों की सजा माफी को रद्द कर दिया।


न्यायालय ने गुजरात सरकार द्वारा दोषियों की सजा माफ करने के निर्णय को अनुचित ठहराया और कहा कि ऐसे गंभीर अपराधों में सजा माफी देना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।

4. बुलडोजर कार्रवाई पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में विभिन्न राज्यों में बिना पूर्व सूचना के अतिक्रमण विरोधी बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाई।


न्यायालय ने कहा कि बिना उचित प्रक्रिया के ऐसे विध्वंस कार्य मानवाधिकारों का उल्लंघन करते हैं और प्रशासन को कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए।

5. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की नियुक्ति

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने 2024 में भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। उन्होंने न्यायालय में मामलों की सूचीबद्धता में सुधार करते हुए लंबित मामलों को कम करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए।


तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध मामलों में मौखिक उल्लेख की पुरानी प्रक्रिया को समाप्त करना उनके सुधारों में शामिल था।

6. व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों में सक्रियता

सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े कई मामलों में सक्रिय भूमिका निभाई। न्यायालय ने कहा कि गिरफ्तारी अंतिम उपाय होना चाहिए और जमानत याचिकाओं पर शीघ्र निर्णय लेने की आवश्यकता पर जोर दिया। इससे नागरिक स्वतंत्रता की सुरक्षा में न्यायालय की भूमिका स्पष्ट हुई।

7. उपासना स्थलों से जुड़े विवाद

इस वर्ष, उपासना स्थलों को लेकर कई कानूनी विवाद सामने आए, जिनमें से बहुत से मामले उच्चतम न्यायालय पहुंचे। ज्ञानवापी, मथुरा, भोजशाला और संभल जैसे मामलों में उपासना स्थलों पर एक समुदाय के दावों से जुड़े मामले न्यायालय में प्रस्तुत हुए, जिन पर न्यायालय ने सावधानीपूर्वक विचार किया।

8. विशेष लोक अदालतों का आयोजन

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक प्रणाली में तेजी लाने और सौहार्दपूर्ण समाधान को बढ़ावा देने के लिए विशेष लोक अदालतों का आयोजन किया। इस पहल का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों के लिए सुलभ और कुशल न्याय सुनिश्चित करना था, जिससे न्यायालय की कार्यप्रणाली में सुधार हुआ।

9.NEET पात्रता पर

सीबीएसई और राज्य बोर्डों द्वारा मान्यता प्राप्त ओपन स्कूल के छात्रों की NEET पात्रता पर सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2024 में निर्णय दिया कि सीबीएसई और राज्य बोर्डों द्वारा मान्यता प्राप्त ओपन स्कूल के छात्र NEET परीक्षा के पात्र हैं।


इस फैसले ने ओपन स्कूलिंग के माध्यम से शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों के लिए चिकित्सा शिक्षा के द्वार खोले।

10. न्यायिक सेवा में पदोन्नति के लिए साक्षात्कार में न्यूनतम अंक की अनिवार्यता

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के उस मानदंड को बरकरार रखा, जिसमें जिला जज पद पर पदोन्नति के लिए साक्षात्कार में न्यूनतम 50 फीसदी अंक प्राप्त करना आवश्यक है। न्यायालय ने कहा कि यह मानदंड न्यायिक सेवा में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उचित है।

11. संपत्ति के अधिकार का विस्तार गैर-भारतीय नागरिकों तक

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 300ए के तहत प्रदत्त संपत्ति का अधिकार उन लोगों तक भी है, जो भारत के नागरिक नहीं हैं। इस निर्णय ने संपत्ति के अधिकार के दायरे को व्यापक किया।

12. चंडीगढ़ मेयर चुनाव में अनियमितताओं पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में अनियमितताओं पर कड़ी फटकार लगाई।


न्यायालय ने कहा कि यह लोकतंत्र की हत्या के समान है और ऐसे कृत्यों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

13. भ्रष्टाचार के अभियुक्त पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही

सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार के अभियुक्त पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 319 के तहत दायर आवेदन को बरकरार रखा। न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामलों में प्रथम दृष्टया साक्ष्य के आधार पर कार्यवाही जारी रहनी चाहिए।

14. विशेष लोक अदालतों का आयोजन

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक प्रणाली में तेजी लाने और सौहार्दपूर्ण समाधान को बढ़ावा देने के लिए विशेष लोक अदालतों के आयोजन की पहल की। इससे समाज के सभी वर्गों के लिए न्याय सुलभ और कुशल बनाने का प्रयास किया गया।

15. स्थगन आदेशों का स्वतः समाप्त होना

कोर्ट ने सर्वसम्मति से 2018 के एशियन रिसर्फेसिंग ऑफ रोड एजेंसी बनाम सीबीआई के फैसले को पलट दिया, जिसमें छह महीने के बाद स्थगन आदेश स्वतः समाप्त हो जाते थे। पीठ ने कहा कि स्थगन आदेशों को समाप्त करने में न्यायिक विवेक का उपयोग होना चाहिए, न कि यह स्वतः समाप्त हो।

16. विधायी संरक्षण और सदन में रिश्वतखोरी

सुप्रीम कोर्ट ने 1998 के पी.वी. नरसिम्हा राव मामले में दिए गए फैसले को पलट दिया, जिसमें विधायकों को सदन में भाषण या मतदान के लिए रिश्वत लेने पर अभियोजन से छूट दी गई थी।


पीठ ने कहा कि रिश्वतखोरी लोकतंत्र को कमजोर करती है, और इसे विधायी विशेषाधिकार के तहत संरक्षित नहीं किया जा सकता।

17. खनिज और खदान पर राज्यों का कराधान अधिकार

8:1 के बहुमत से सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि खनिज और खदान अधिनियम, 1957 के तहत रॉयल्टी कर नहीं है। इसने राज्यों को खदानों और खनिजों पर कर लगाने का अधिकार दिया। यह निर्णय पिछली तिथि से लागू होगा, और कंपनियों को बकाया कर 2026 से 12 वर्षों में चुकाने के निर्देश दिए गए।

18. आरक्षित श्रेणियों के भीतर उप-वर्गीकरण

पीठ ने राज्यों को अनुसूचित जाति और जनजाति की सूची के भीतर उप-वर्गीकरण करने का अधिकार दिया। कोर्ट ने कहा कि इन समूहों के बीच भेदभाव के विभिन्न स्तर होते हैं। हालांकि, एक असहमति में न्यायाधीश ने इसे अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताया।

19. नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6A

4:1 के बहुमत में, सुप्रीम कोर्ट ने असम में 1971 से पहले आए बांग्लादेशी प्रवासियों को नागरिकता देने वाली धारा 6A को बरकरार रखा।


कोर्ट ने 1971 के बाद के प्रवासियों की पहचान और निर्वासन के लिए सुनवाई का आदेश दिया।

20. औद्योगिक अल्कोहल पर राज्यों का अधिकार

8:1 के बहुमत से कोर्ट ने फैसला दिया कि राज्यों को औद्योगिक अल्कोहल को नियंत्रित करने का अधिकार है। इसने ‘मादक पेय’ की परिभाषा को गैर-पीने योग्य अल्कोहल तक विस्तृत किया।

21. निजी संपत्ति का स्वभाव

कोर्ट ने कहा कि सभी निजी संपत्तियां समुदाय के संसाधन नहीं मानी जा सकतीं। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 31C अभी भी संविधान में मौजूद है।

22. 'लाइट मोटर व्हीकल' लाइसेंस पर नियम

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि एक हल्के मोटर वाहन (LMV) लाइसेंस धारक 7500 किलोग्राम तक के परिवहन वाहनों को चला सकता है। हालांकि, ई-रिक्शा और खतरनाक सामान वाले वाहनों के लिए अलग लाइसेंस की आवश्यकता होगी।

23. सार्वजनिक पदों पर भर्ती के नियमों का परिवर्तन

सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से निर्णय दिया कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता।


यह फैसला राजस्थान उच्च न्यायालय में अनुवादक पदों पर भर्ती के विवाद से संबंधित था।

24. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा

4:3 के बहुमत से कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) को अल्पसंख्यक दर्जा दिया। कोर्ट ने पहली बार अल्पसंख्यक संस्थानों के निर्धारण के मानदंड भी निर्धारित किए।

25. एकतरफा मध्यस्थों की नियुक्ति

कोर्ट ने फैसला दिया कि एकतरफा मध्यस्थ नियुक्ति संवैधानिक रूप से अवैध है। इससे संबंधित मध्यस्थता खंड अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करते हैं।

26. हिंडनबर्ग रिसर्च आरोप और अडानी समूह पर जांच का मामला

साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह पर स्टॉक प्राइस में हेरफेर के आरोपों की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) के गठन की कोई ठोस आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने इस मामले के न्यायिक पहलू को समाप्त करते हुए कहा कि SEBI की जांच को स्थानांतरित करने का कोई वैध आधार नहीं है।

27. 2024 लोकसभा चुनाव और ईवीएम की गिनती का मुद्दा

मार्च 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें ईवीएम से डाले गए 100 प्रतिशत वोटों की गिनती, पेपर बैलेट का उपयोग, और वीवीपैट स्लिप्स को बैलेट बॉक्स में डालने की मांग की गई थी।


यह फैसला लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण से पहले आया, जब 13 राज्यों की 88 सीटों पर मतदान हुआ।

28. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने इस वर्ष अपने कई फैसलों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को पुनः स्पष्ट किया।एक मामले में, कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद व्हाट्सएप स्टेटस पर "ब्लैक डे" लिखने वाले एक प्रोफेसर के खिलाफ आपराधिक मामला खारिज कर दिया और पुलिस को मौलिक अधिकारों के प्रति संवेदनशील बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।एक अन्य फैसले में, कोर्ट ने कहा कि गाली-गलौज मात्र अश्लीलता नहीं होती। इसने 'कॉलेज रोमांस' वेब सीरीज के निर्माताओं और कलाकारों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।

29. दहेज विरोधी कानूनों के दुरुपयोग का मुद्दा

अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद दहेज विरोधी कानूनों के दुरुपयोग पर बहस छिड़ गई। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इस विषय पर चिंता व्यक्त की थी। कोर्ट ने कई मामलों में संसद से आग्रह किया कि भारतीय न्याय संहिता (BNS) में आवश्यक संशोधन किए जाएं।

30. ग्रेट इंडियन बस्टर्ड संरक्षण और जलवायु परिवर्तन का अधिकार

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी।कोर्ट ने कहा, “लोगों को जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के खिलाफ अधिकार प्राप्त है... जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन का कहर बढ़ रहा है, इसे एक स्वतंत्र अधिकार के रूप में स्पष्ट करना आवश्यक है। यह अधिकार अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) द्वारा मान्यता प्राप्त है।”

इन फैसलों ने 2024 में भारतीय न्यायपालिका की संवेदनशीलता और दूरदर्शिता को उजागर किया। 2024 के ये फैसले भारतीय न्याय प्रणाली और संविधान के विकास में मील के पत्थर साबित हुए।

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