सुप्रीम कोर्ट ने निजी अस्पतालों के खिलाफ की तीखी टिप्पणी, कही ये बड़ी बात

Supreme Court News : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अस्पताल बनाने के लिए सब्सिडी पर जमीन लेने के लिए कहते हैं कि वह कम से कम अपने अस्पताल में 25 फीसदी बेड गरीबों के लिए रिजर्व रखेंगे, लेकिन ऐसा होता कभी दिखाई नहीं देता है।

Written By :  Rajnish Verma
Update: 2024-04-11 11:20 GMT
सुप्रीम कोर्ट (सोशल मीडिया)

Supreme Court News : सुप्रीम कोर्ट ने निजी अस्पतालों पर तीखी टिप्पणी करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अस्पताल बनाने के लिए सब्सिडी पर जमीन लेने के लिए कहते हैं कि वह कम से कम अपने अस्पताल में 25 फीसदी बेड गरीबों के लिए रिजर्व रखेंगे, लेकिन ऐसा होता कभी दिखाई नहीं देता है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी नेत्र रोगों के इलाज के लिए पूरे देश एक समान दर तय किसे जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कही।  

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस प्रसन्ना बी. वाराले की बेंच ने नेत्र रोगों के इलाज के लिए पूरे देश में सरकार द्वारा एक समान दर तय किए जाने के फैसले को चुनौती वाली याचिका पर सुनवाई की। यह याचिका ऑल इंडिया ऑप्थैलमोलॉजिकल सोसायटी की ओर से दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि स्पेशलिस्ट के रेट एक समान नहीं हो सकते हैं। इसके साथ मेट्रो सिटी और ग्रामीण क्षेत्रों में भी एक रेट नहीं हो सकता है। 

अगली सुनवाई 17 अप्रैल को होगी

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और अधिवक्ता बी. विजयलक्ष्मी ने दलीलें पेश करते हुए कहा कि सरकार का पूरे देश एक समान दर तय करने का फैसला ठीक नहीं हैं।  इस मामले पर कोर्ट ने कहा कि इस मामले का व्यापक असर देखने को मिलेगा। जस्टिस धूलिया ने सवाल उठाते हुए कहा कि आप कैसे इस नीति को चुनौती दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर पूर्वोत्तर भारत को ही लेते हैं, यहां स्वास्थ्य सेवाओं की दरें काफी कम हैं। ऐसे में यदि इस नियम को समाप्त कर दिया जाएगा, ताे फिर इस पर असर हो सकता है। कोर्ट ने केंद्र सरकार की राय लेने के लिए एक नोटिस जारी किया है और इस मामले की अगली सुनवाई 17 अप्रैल को होगी।

बता दें कि देश में प्राइवेट अस्पतालों की फीस और सेवाओं को हमेशा सवाल उठते हैं, महंगे इलाज को पहले भी लोग अपनी चिंताएं व्यक्त कर चुके हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी काफी अहम है।

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