UP Police की कारगुजारियों पर Supreme Court ने उठाये सवाल, DGP को सख्त चेतावनी, जानिए क्या है मामला
UP Police : उत्तर प्रदेश पुलिस के काम करने के तरीके पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़े सवाल उठाए हैं और उसे सुधरने की चेतावनी दी है।
UP Police : उत्तर प्रदेश पुलिस के काम करने के तरीके पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़े सवाल उठाए हैं और उसे सुधरने की चेतावनी दी है। सुप्रीमकोर्ट ने कहा है कि यूपी की पुलिस सत्ता का मज़ा ले रही है और उसे संवेदनशील बनाने की जरूरत है। पुलिस की लापरवाही और असंवेदनशील रवैए का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आपके डीजीपी क्या कर रहे हैं?
क्यों कही ये बात
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान ये बातें कहीं, जिसमें याचिकाकर्ता अनुराग दुबे ने पुलिस से बचने की गुहार लगाई थी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने मामले की सुनवाई में पाया कि याचिकाकर्ता को डर है कि अगर वह जांच के लिए पुलिस के समक्ष पेश हुआ तो उसके खिलाफ नया मामला दर्ज कर लिया जाएगा।
- अदालत ने संबंधित एफआईआर में याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी, बशर्ते कि वह जांच में शामिल हो और सहयोग करे।
- कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता जांच अधिकारी द्वारा उसके मोबाइल फोन पर दिए गए किसी भी नोटिस का पालन करेगा।
- अदालत की पूर्व अनुमति के बिना याचिकाकर्ता को पुलिस हिरासत में नहीं लिया जाएगा।
- अदालत ने याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर (आईपीसी की धारा 323, 386, 447, 504 और 506 के तहत) को रद्द करने के संबंध में याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था।
- याचिकाकर्ता अनुराग दुबे के खिलाफ दर्ज अन्य मामलों और आरोपों की प्रकृति को देखते हुए, यूपी सरकार को नोटिस जारी किया गया कि दुबे को अग्रिम जमानत क्यों न दी जाए।
- कोर्ट ने पुलिस पर सवाल उठाते हुए कहा कि आप पुलिस और सिविल कोर्ट की शक्ति को एक मान रहे हैं? बड़े आरोपों की जांच होनी चाहिए। ऐसा नहीं है कि समाज में अपराधी नहीं हैं या गैंगस्टर नहीं हैं, लेकिन सबकी जांच होनी चाहिए।
क्या कहा सरकारी वकील ने
- यूपी सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राणा मुखर्जी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि न्यायालय के पिछले आदेश के बाद याचिकाकर्ता को नोटिस भेजा गया था, लेकिन वह जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ और इसके बजाय उसने हलफनामा भेजा। इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता शायद इस डर में जी रहा है कि यूपी पुलिस उसके खिलाफ एक और झूठा मामला दर्ज कर सकती है।
डीजीपी को चेतावनी
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सरकारी वकील की दलील पर कहा - "उसे पेश नहीं होना चाहिए क्योंकि उसे पता है कि आप एक और झूठा मामला दर्ज करेंगे और उसे वहीं गिरफ्तार कर लेंगे। आप अपने डीजीपी को बता सकते हैं कि जैसे ही उसे (दुबे को) छुआ गया, हम ऐसा कठोर आदेश पारित करेंगे कि उन्हें पूरी जिंदगी याद रहेगा। हर बार आप उसके खिलाफ एक नई एफआईआर लेकर आते हैं! अभियोजन पक्ष कितने मामलों को बरकरार रख सकता है? जमीन हड़पने का आरोप लगाना बहुत आसान है। कोई व्यक्ति जिसने रजिस्टर्ड सेल डीड द्वारा खरीदा है, आप उसे जमीन हड़पने वाला कहते हैं! क्या यह सिविल विवाद है या आपराधिक विवाद? हम सिर्फ यह बता रहे हैं कि आपकी पुलिस किस खतरनाक इलाके में घुस रही है और उसका मज़ा ले रही है! सत्ता से कौन चूकना चाहेगा? आप पुलिस की सत्ता संभाल रहे थे, अब आप सिविल कोर्ट की सत्ता संभाल रहे हैं! और इसलिए आप मज़ा ले रहे हैं।।मुद्दा यह है कि पुलिस को कैसे संवेदनशील बनाया जाना चाहिए।"
दुबे के वकील से सवाल
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अनुराग दुबे के वकील अभिषेक चौधरी से भी पूछा कि याचिकाकर्ता क्यों पेश नहीं हो रहे हैं। इस पर वकील ने जवाब दिया कि उनके पास इस संबंध में कोई निर्देश नहीं है, हालांकि दुबे ने पुलिस अधिकारियों को अपना मोबाइल नंबर दिया है, ताकि वे उन्हें बता सकें कि उन्हें कब और कहां पेश होना है।
इस बिंदु पर, न्यायमूर्ति भुइयां ने सरकारी वकील राणा मुखर्जी से पूछा कि दुबे को किस संचार माध्यम से पेश होने के लिए कहा गया था। जब उन्हें बताया गया कि पुलिस पत्र के जरिए समन भेज रही है तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप आजकल के जमाने में पत्र कैसे भेज रहे हैं? कोर्ट ने कहा, उसे उसके मोबाइल पर कॉल करें। आपको उसे यह भी बताना है कि उसे किस पुलिस स्टेशन में पेश होना है। इतने सारे पुलिस स्टेशन हैं कि आपको उसे यह भी बताना है कि इस बार रेड कार्पेट कहाँ है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम निर्देश पारित करते हैं कि आरोपी आज एसएचओ को फोन नंबर दें। फोन 24 घंटे चालू रहेगा। इनमें से किसी भी मामले का जांच अधिकारी आरोपी को मामले की जांच का समय, तारीख और स्थान बता सकता है। आरोपी को नोटिस का जवाब देना होगा और जांच में शामिल होना होगा।
गिरफ्तार न करने की चेतावनी
पुलिस अधिकारियों को दुबे को गिरफ्तार न करने की चेतावनी देते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, "उसे जांच में शामिल होने दें, लेकिन उसे गिरफ्तार न करें। और अगर आपको लगता है कि किसी खास मामले में गिरफ्तारी जरूरी है, तो आकर हमें बताएं कि क्या कारण हैं। लेकिन अगर पुलिस अधिकारी ऐसा कर रहे हैं, तो आप जान लीजिए कि, हम न केवल उन्हें निलंबित करेंगे, बल्कि वे कुछ और भी खो देंगे।"
कौन है अनुराग दुबे
पुलिस के मुताबिक अनुराग दुबे फर्रुखाबाद का गैंगस्टर है जिसके खिलाफ हत्या, जमीन हड़पने, जबरन वसूली और अन्य अपराधों से संबंधित 63 से अधिक एफआईआर दर्ज हैं। उस पर एनएसए, गुंडा एक्ट भी लग चुका है। अनुराग के बड़े भाई अनुपम दुबे के खिलाफ हत्या समेत कई गंभीर केस दर्ज हैं।
गाजीपुर में पुलिसवालों पर केस
एक तरफ जहां सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस के काम करने के तरीके पर सख्त टिप्पणी की है वहीं गाजीपुर में पुलिसवालों की कारगुजारियों के चलते 18 पुलिसवालों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। ये मुकदमा भी गाजीपुर के सीजेएम के आदेश के एक महीने बाद दर्ज हुआ।
मामला क्या है
मामला ये है कि चंदौली में तैनात सिपाही अनिल कुमार सिंह ने वर्ष 2022 में मुगलसराय पुलिस द्वारा हर महीने साढ़े 12 लाख रुपये अवैध वसूली का खुलासा किया था। डीआईजी विजिलेंस ने छानबीन कर उसके आरोप की पुष्टि भी की थी। लेकिन आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के उलट, उस सिपाही को ही तत्कालीन एसपी अमित कुमार ने बर्खास्त कर दिया। यही नहीं, उसे फर्जी मुकदमे में फंसाने की कोशिश की गई।
दो साल पहले जब सिपाही अनिल कुमार सिंह नंदगंज में बड़हरा स्थित अपनी ससुराल में थे तभी रात में सादे वेश में पहुंचे पुलिसकर्मियों ने उन्हें अगवा कर लिया। बबुरी थाने में उसे फर्जी दस्तावेजों के जरिये फर्जी मुकदमे में फंसाने की साजिश रची गई। सिपाही की बेटी ने 112 डायल पर पूरे घटनाक्रम की सूचना दी। इससे उसकी जान बच गई।
सिपाही अनिल कुमार ने अदालत का रुख किया जिसके आदेश के महीने भर बाद नंदगंज पुलिस ने चंदौली के तत्कालीन एसपी अमित कुमार (अभी गौतमबुद्ध नगर में तैनात) समेत 18 पुलिसकर्मियों पर विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। इन लोगों पर सिपाही अनिल कुमार सिंह का अपहरण कर उन्हें फर्जी केस में फंसाने का आरोप है।