VVPAT Issue: विपक्षियों को लगी मायूसी! वोटिंग के बीच SC ने सुनाया VVPAT पर अहम फैसला

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से EVM के जरिए डाले गए वोट की VVPAT की पर्चियों से शत-प्रतिशत मिलान की मांग को तगड़ा झटका लगा है। ये फैसला जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षा वाली बेंच ने सहमति से दिया है।

Update:2024-04-26 10:50 IST
सुप्रीम कोर्ट (सोशल मीडिया)

Supreme Court: VVPAT वेरिफिकेशन की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। यही देश की शीर्ष अदालत ने बैलेट पेपर की मांग को लेकर दर्ज याचिका को भी खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से EVM के जरिए डाले गए वोट की VVPAT की पर्चियों से शत-प्रतिशत मिलान की मांग को बड़ा झटका लगा है। ये फैसला जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षा वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सहमति से दिया है।

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में यह साफ कर दिया है कि मतदान EVM मशीन से ही होगा। EVM-VVPAT का 100 फीसदी मिलान नहीं किया जाएगा। 45 दिनों तक VVPAT की पर्ची सुरक्षित रहेगी। ये पर्चियां उम्मीदवारों के हस्ताक्षर के साथ सुरक्षित रहेगी। सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि चुनाव के बाद सिंबल लोडिंग यूनिटों को भी सीलकर सुरक्षित किया जाए। यह भी निर्देश दिया गया है कि उम्मीदवारों के पास नतीजों की घोषणा के बाद टेक्निकल टीम द्वारा EVM के माइक्रो कंट्रोलर प्रोग्राम की जांच कराने का विकल्प होगा, जिसे चुनाव घोषणा के सात दिनों के भीतर किया जा सकेगा। फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस खन्ना ने कहा कि VVPAT वेरिफिकेशन का खर्चा उम्मीदवारों को खुद ही उठाना पड़ेगा। अगर किसी स्थिति में ईवीएम से छेड़छाड़ की गई या EVM को किसी तरह का नुकसान पहुंचा तो उसका हर्जाना भी भरना पड़ेगा।

वहीं, इस दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि किसी सिस्टम पर आंख मूंदकर अविश्वास करने से संदेह ही पैदा होता है। लोकतंत्र का मतलब ही विश्वास और सौहार्द बनाए रखना है। बता दे कि मौजूदा समय में वीवीपैट वेरिफिकेशन के तहत लोकसभा क्षेत्र की प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के केवल पांच मतदान केंद्रों के ईवीएम वोटों और वीवीपैट पर्ची का मिलान किया जाता है। इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में केवल पांच रैंडमली रूप से चयनित EVM को सत्यापित करने के बजाय सभी EVM वोट और VVPAT की गिनती की मांग करने वाली याचिका पर ECI को नोटिस जारी किया था।

ये VVPAT क्या है?

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) ने 2013 में वीवीपैट यानी वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल मशीनें डिजाइन की थीं। ये दोनों वही सरकारी कंपनियां हैं, जो EVM यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें भी बनाती हैं। VVPAT मशीनों का सबसे पहले इस्तेमाल 2013 के नागालैंड विधानसभा चुनाव के दौरान किया गया था। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में कुछ सीटों पर भी इस मशीन को लगाया गया। बाद में 2017 के गोवा विधानसभा चुनाव में भी इनका इस्तेमाल हुआ। 2019 के लोकसभा चुनाव में पहली बार वीवीपैट मशीनों का इस्तेमाल देशभर में किया गया। उस चुनाव में 17.3 लाख से ज्यादा वीवीपैट मशीनों का इस्तेमाल किया गया था।

जानिए कैसे काम करती है ये?

वोटिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए VVPAT को लाया गया था। ये मशीन EVM से कनेक्ट रहती है। जैसे ही वोटर वोट डालता है, वैसे ही एक पर्ची निकलती है। इस पर्ची में उस कैंडिडेट का नाम और चुनाव चिन्ह होता है, जिसे उसने वोट दिया होता है। VVPAT की स्क्रीन पर ये पर्ची 7 सेकंड तक दिखाई देती है। ऐसा इसलिए ताकि वोटर देख सके कि उसका वोट सही उम्मीदवार को गया है। 7 सेकंड बाद ये पर्ची VVPAT के ड्रॉप बॉक्स में गिर जाती है।

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