BNSS Section 479: जेलों की भीड़ होगी कम, नए कानून से अंडरट्रायल्स को बड़ी राहत
BNSS Section 479: यह आदेश भारत में जेलों में भीड़भाड़ के मुद्दे से संबंधित एक जनहित याचिका पर आया है।
BNSS Section 479: विचाराधीन कैदियों को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 479, पूर्वव्यापी रूप से लागू होगी। इसका मतलब है कि यह प्रावधान 1 जुलाई 2024 से पहले दर्ज किए गए मामलों में सभी विचाराधीन कैदियों पर लागू होगा।
यह आदेश भारत में जेलों में भीड़भाड़ के मुद्दे से संबंधित एक जनहित याचिका पर आया है। वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने अदालत को बताया था कि अगर बीएनएसएस धारा 479 को उसके मूल रूप में लागू किया जाता है, तो इससे जेलों में भीड़भाड़ की समस्या को हल करने में मदद मिलेगी।
क्या है धारा 479 में
- धारा 479 के अनुसार, अगर जेल में बंद विचाराधीन कैदियों ने संबंधित अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम कारावास की अवधि का आधा हिस्सा पूरा कर लिया है तो उनको जमानत पर रिहा किया जा सकता है।
- अगर कोई व्यक्ति पहली बार अपराधी है, और उसने ऐसे अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम कारावास की अवधि का एक तिहाई हिस्सा जेल में बिताया है तो उसे अदालत द्वारा जमानत पर रिहा किया जाएगा।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की दो सदस्यीय पीठ ने केंद्र के इस कथन को रिकॉर्ड में लिया कि धारा 479 पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू होगी और देशभर के जेल अधीक्षकों को निर्देश दिया कि वे आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर तदनुसार कार्रवाई करें। पीठ ने अपने आदेश में जोर देते हुए कहा, "उक्त कदम यथासंभव शीघ्रता से और तीन महीने के भीतर उठाए जाने चाहिए।"
सुप्रीम कोर्ट अक्टूबर 2021 से जेलों में भीड़भाड़ के मुद्दे पर सक्रिय रूप से निगरानी कर रही है। कोर्ट ने इस समस्या का स्वतः संज्ञान लिया था। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बीएनएसएस की धारा 479 को एक जुलाई, 2024 से पहले दर्ज सभी विचाराधीन मामलों में लागू किया जाएगा।
बीएनएसएस की अन्य सभी धाराएं 1 जुलाई से लागू होंगी।