Living Will: इच्छा मृत्यु की प्रक्रिया को आसान बनाएगा सुप्रीम कोर्ट, विधायिका से कानून बनाने को कहा

Living Will: लिविंग विल का मतलब मरीज की उस इच्छा से है, जिसमें वह अपना इलाज बंद करने का चयन करता है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2023-01-18 10:12 IST

सुप्रीम कोर्ट  (photo: social media )

Living Will: सुप्रीम कोर्ट इच्छा मृत्यु की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए तैयार है। शीर्ष अदालत की पांच जजों की संविधान पीठ ने मंगलवार को कहा कि गरिमा के साथ मौत उन लोगों का अधिकार है, जिन्होंने लिविंग विल बनाई है। हालांकि, यह विधायिका पर पर निर्भर करता है कि वह गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए कानून बनाए जो अपना इलाज नहीं कराना चाहते, बस शांति से मौत चाहते हैं।

क्या होता है लिविंग विल

लिविंग विल का मतलब मरीज की उस इच्छा से है, जिसमें वह अपना इलाज बंद करने का चयन करता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद लिविंग विल दर्ज कराने के इच्छुक लोगों को जटिल दिशानिर्देशों के कारण कठिनाई का सामना करना पड़ता है। मंगलवार को याचिकाकर्ताओं ने इन्हीं जटिल प्रक्रियाओं का हवाला देते हुए कहा कि इसने अदालत के 2018 के फैसले को पूरी तरह निरर्थक बना दिया है। इस पर पीठ ने स्वीकार किया कि प्रक्रिया को सरल बनाने की जरूरत है।

कोर्ट ने बताई अपनी लक्ष्मण रेखा

जस्टिस के.एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने कहा कि दिशानिर्देश में केवल मामूली फेरबदल हो सकता है, अन्यथा यह साल 2018 के उसके खुद के फैसले की समीक्षा करने जैसा हो जाएगा। यह भी कहा गया कि आगे का निर्देश केवल सीमित क्षेत्र में लागू हो सकता है, जहां लाइलाज रोग से पीड़ित मरीज इतने बीमार हैं कि वे यह भी बताने की स्थिति में नहीं हैं इलाज रोक दिया जाए।

पीठ ने आगे कहा कि हम न तो चिकित्सा विज्ञान के विशेषज्ञ हैं और न ही विधायिका जैसी हमारे पास विशेषज्ञता है। चूंकि हम यहां पहले से निर्धारित दिशा-निर्देशों में सुधार के लिए हैं, इसलिए हमें सावधान रहने की जरूरत है। पांच जजों की इस संविधान पीठ में जस्टिस जोसेफ के अलावा जस्टिस अजय रस्तोगी, अनिरूद्ध बोस, सीटी रविकुमार और ऋषिकेश रॉय शामिल थे।

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