IAS को जान का खतरा: इसलिए उठाया गया ये बड़ा कदम, जानें पूरा मामला
असम-मेघालय कैडर के 1995 बैच के आइएएस हजेला जुलाई 1996 में पहली बार असिस्टेंट कमिश्नर के तौर पर असम के सिलचर में आए थे। सिलचर असम के बंगाली बहुल काछार जिले का मुख्यालय था। इसके बाद सितंबर 2013 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हजेला को कमिश्नर बनाया और फिर वह असम के गृह और राजनीतिक विभाग के सचिव नियुक्त किए गए।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) के ‘को-ऑर्डिनेटर’ प्रतीक हजेला का ट्रांसफर करने का आदेश दिया है। उनका ट्रांसफर मध्य प्रदेश में किया जायेगा और वहां पर वह प्रतिनियुक्ति के तौर पर काम करेंगे।
यह आदेश चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई, नरीमन की पीठ ने जारी किया है। प्रतीक हजेला का मध्य प्रदेश में ट्रांसफर क्यों किया गया, इसका कारण अभी तक नहीं बताया गया है।
हम आपको बता दें कि अगस्त महीने में एनआरसी की अंतिम सूची जारी की गई थी, इसमें 19 लाख लोगों को बाहर किया गया था।
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हजेला असम-मेघालय कैडर के 1995 बैच के आइएएस अधिकारी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ही उन्हें एनआरसी कोऑर्डिनेटर के पद पर नियुक्त किया था।
क्या है प्रतीक हजेला और एनआरसी का कनेक्शन
प्रतीक हजेला ने एनआरसी प्रकिया में काफी महत्पपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने ही इसकी पूरी प्रकिया को बनाया था। एनआरसी असम के संयोजक के तौर पर उनके ऊपर करोड़ों लोगों की कागजात छानबीन की जिम्मेदारी थी। ये कागज असम के नागरिकों ने इसलिए लगाए थे ताकि वह ये साबित कर सकें कि वह वर्ष 1971 के पहले भारत में रह रहे हैं।
1996 में पहली बार असिस्टेंट कमिश्नर के तौर पर असम के सिलचर में आए
असम-मेघालय कैडर के 1995 बैच के आइएएस हजेला जुलाई 1996 में पहली बार असिस्टेंट कमिश्नर के तौर पर असम के सिलचर में आए थे। सिलचर असम के बंगाली बहुल काछार जिले का मुख्यालय था। इसके बाद सितंबर 2013 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हजेला को कमिश्नर बनाया और फिर वह असम के गृह और राजनीतिक विभाग के सचिव नियुक्त किए गए।
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उन्होंने तब एनआरसी को अपडेट किए जाने की प्रक्रिया में रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के तहत राज्य संयोजक की भूमिका निभाई थी। एनआरसी में संयोजक पद पर नियुक्ति के 6 महीने बाद उन्होंने अगस्त 2014 में एनआरसी के लिए 10-12 लोगों की टीम बनाई।
हजेला ऐसे शख्स रहें हैं जिन्होंने एनआरसी अपडेशन का टेक्निकल कॉन्सेप्ट बनाया। इसमें किसी भी व्यक्ति के पुरखों की जानकारी मैपिंग डिजिटल डेटासेट्स के जरिये की जा सकती थी और ये दशकों पुराने दस्तावेजों के आधार पर तैयार किए थे। इसमें वेरीफिकेशन का तरीका क्या होगा ये भी तय किया गया।
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एनआरसी के पहले ड्राफ्ट की लिस्ट में हजेला की बेटी का ही नाम नहीं था शामिल
जब 31 दिसंबर 2017 में एनआरसी का पहला ड्राफ्ट जारी हुआ तो सोचने वाली बात यह है कि उस लिस्ट में हजेला की बेटी का नाम भी शामिल नहीं था। इसके बाद साल 2018 में एनआरसी की लिस्ट जारी गई थी। इसमें 40 लाख लोगों बाहर किया गया था। इसके बाद हजेला को काफी विरोध भी झेलना पड़ा। उन पर आरोप लगे कि वह कुछ ताकतों को निर्देशों पर काम कर रहे हैं।