SC Verdict on Demonetization: नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट की क्लीन चिट, प्रक्रिया में नहीं कोई गड़बड़ी

SC Verdict on Demonetisation: नोटबंदी के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं और आज न्यायमूर्ति एसए नजीर की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ इस महत्वपूर्ण मसले पर फैसला सुनाया।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2023-01-02 05:44 GMT

सुप्रीम कोर्ट  (photo: social media )

SC Verdict on Demonetisation: मोदी सरकार की ओर से देश में 2016 में की गई नोटबंदी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर देश की शीर्ष अदालत में सोमवार को फैसला सुनाया गया। शीतकालीन अवकाश के बाद देश की शीर्ष अदालत सोमवार से ही खुली। सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी पर क्लीन चिट दे दी। फैसले में कहा कि सरकार का ये फैसला बिल्कुल सही है। नोटबंदी की प्रक्रिया में किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। नोटबंदी के लिए सरकार ने उचित प्रक्रिया का पालन किया था।

न्यायमूर्ति एसए नजीर की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ इस महत्वपूर्ण मसले पर फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति नजीर 4 जनवरी को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। न्यायमूर्ति नजीर के अलावा इस संविधान पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यम और बीवी नागरत्ना भी शामिल रहे। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पूरे देश की निगाहें लगी हुई थी। शीर्ष अदालत की सोमवार की वाद सूची के अनुसार, इस मामले में दो अलग-अलग फैसले होंगे जो न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की ओर से सुनाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के खिलाफ सभी याचिकाएं खारिज कर दिया है। नोटबंदी के फैसले को लागू करने से पहले सरकार और रिजर्व बैंक के बीच छह महीने तक बातचीत हुई थी, तब जाकर सरकार ने ये कदम उठाया था।  

अदालत में सुरक्षित रख लिया था फैसला

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान 2016 में एक हजार और पांच सौ रुपये के नोटों को बंद करने का फैसला किया था। प्रधानमंत्री मोदी की ओर से रात आठ बजे की गई इस घोषणा से पूरे देश में हड़कंप मच गया था। बाद में नोटों को बदलने के लिए बैंकों के सामने काफी दिनों तक लंबी-लंबी लाइनें लगी रहीं। विपक्ष की ओर से मोदी सरकार के इस फैसले की तीखी आलोचना की गई थी और अब यह मामला शीर्ष अदालत पहुंच चुका है।

शीर्ष अदालत में दायर 58 याचिकाओं में नोटबंदी के इस फैसले को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने 7 दिसंबर को केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक को 2016 में नोटबंदी के फैसले से जुड़े सारे रिकॉर्ड सौंपने का निर्देश दिया था। इसके बाद अदालत ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब आज इस महत्वपूर्ण मसले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से तीखा विरोध

याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अदालत ने आरबीआई के वकीलों के साथ ही याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनी हैं। आरबीआई की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने अदालत में दलीलें पेश की हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और अधिवक्ता पी चिदंबरम और श्याम दीवान अदालत में तर्क रखे हैं। चिदंबरम ने पांच सौ और एक हजार के नोट बंद करने के फैसले को गंभीर रूप से त्रुटिपूर्ण बताया था। उनका कहना था कि लीगल टेंडर से जुड़े किसी भी प्रस्ताव को सरकार अपने स्तर पर शुरू नहीं कर सकती। आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर ही ऐसा कदम उठाया जा सकता है।

सरकार और आरबीआई की दलीलें

दूसरी ओर इस मुद्दे पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से तीखा विरोध किया गया था। सरकार की ओर से कहा गया था कि अदालत ऐसे किसी मामले की सुनवाई नहीं कर सकते जिसमें राहत देने का कोई जरिया न बचा हो। इस मामले पर आरबीआई का कहना था कि नोटबंदी के फैसले से लोगों को कुछ समय के लिए दिक्कतों का सामना जरूर करना पड़ा मगर यह फैसला राष्ट्रहित में लिया गया था। आरबीआई का यह भी कहना था कि लोगों की दिक्कतों के समाधान के लिए एक मैकेनिज्म की व्यवस्था भी की गई थी। 

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