ये दो हीरा व्यापारी अपने कर्मचारियों के लिए भगवान से कम नहीं, तोहफे में बांटी 'टू-व्हीलर'

गुजरात के सूरत में शुक्रवार को हीरा करोबारी लक्ष्मीदास वेकारिया ने अपने कर्मचारियों से खुश होकर उन्हें तोहफे में टू-व्हीलर बांटी।

Update: 2017-04-21 07:34 GMT

सूरत: गुजरात के सूरत के दो हीरा व्यापारी लक्ष्मीदास वेकरिया और सवजीभाई ढोलकिया देश के अन्य व्यापारियों के लिए एक मिसाल हैं। व्यापार में पैसे तो लगभग हर कोई कमाता है लेकिन अपने कर्मचारियों का ध्यान बहुत कम लोग ही रख पाते हैं।

सूरत के ये दोनों हीरा व्यापारी अपने कर्मचारियों के लिए भगवान से कम नहीं हैं। दोनो अपने कर्मचारियों को दान नहीं देते बल्कि कमाई में उनका वाजिब हक देते हैं। वाजिब हक भी ऐसा जो उन्हें सिर पर छत दे सके और अपने काम की जगह पर पहुंचने के लिए सहूलियत ।

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आम तौर पर होता तो यह है कि कर्मचारियों को उनके काम की मजदूरी भी सही से नहीं दी जाती, उनकी परेशानियों पर ध्यान देते की बात तो अलग है लेकिन इन दोनो ने ऐसा काम किया है जो उन्हें समाज में सिर्फ सम्मान ही नहीं दिलाता बल्कि सीख भी देता है कि पैसे कमाएं तो उसे सही और वाजिब जगह पर खर्च भी करें।

शुक्रवार (21 अप्रैल) सूरत में हीरा करोबारी लक्ष्मीदास वेकारिया ने अपने कर्मचारियों से खुश होकर उन्हें तोहफे में टू-व्हीलर बांटी। उन्होंने अपने कर्मचारियों को 125 टू-व्हीलर दी हैं। हर टू-व्हीलर पर तिरंगा लगा हुआ है। वेकारिया ने साल 2010 में हीरे तराशने की फैक्ट्री शुरू की थी।

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56 वर्कर्स को ज्वेलरी भी बांटी थी

इससे पहले गुजरात में हीरा कारोबारी सवजी भाई ढोलकिया ने भी अपने कर्मचारियों से खुश होकर उन्हें तोहफा देकर सुर्खियों बटोरी हैं। ढोलकिया ने पिछले साल हरे कृष्णा एक्सपोर्ट्स के कर्मचारियों को दिवाली बोनस के तौर पर 400 फ्लैट्स और 1260 करें बंटी थी। 56 वर्कर्स में ज्वेलरी भी बांटी गई थी। इतना ही नहीं उन्होंने साल 2014 में कंपनी के करीब 1300 कर्मचारियों को कारें, मकान और ज्वेलरी दी थी।

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कम शुरू हुई ये परंपरा

-हरे कृष्णा एक्सपोर्ट्स के मालिक सावजीभाई ढोलकिया ने साल 2013 में कर्मचारियों को तोहफा देने की शुरुआत की थी।

-जिसके तहत उन्होंने 1260 कर्मचारियों को गाड़ी गिफ्ट में दी थी।

-नए साल के बोनस के रुप में कुल 1200 डेटसन रेडी देने का ऐलान किया और डेटसन की ओर से एक दिन में ही 650 गाड़ियों को डिलिवरी की गई।

-सभी गाड़ियों को तिरंगे से कवर किया गया था।

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जानें सवजीभाई के बारे में

-गुजरात के दुधाला गांव के रहने वाले सवजीभाई ने 1977 में 12.50 रुपए लेकर अमरेली से सूरत आए थे।

-सूरत में सवजीभाई ने 1977 में बतौर हीराधीश अपनी जिंदगी की शुरुआत की थी।

-उस वक्त उन्हें 169 रुपए पगार के तौर पर मिलते थे।

-बाद में वह जिस कंपनी में काम करते थे उसी कंपनी के मालिक बन गए।

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