Bansuri Swaraj: सुषमा स्वराज की सियासी विरासत को आगे बढ़ाएंगी बेटी बांसुरी, जानें उनका अब तक का सफर
Bansuri Swaraj: बांसुरी स्वराज को दिल्ली बीजेपी ईकाई में अहम पद दिया गया है। पेशे से वकील बांसुरी को कानूनी प्रकोष्ठ का सह-संयोजक नियुक्त किया गया है।
Bansuri Swaraj: भारत में राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का एक लंबा इतिहास है। राजे-राजवाड़ों का दौर भले समाप्त हो गया हो लेकिन लोकतांत्रिक भारत में भी परंपरा वही है। देश की वर्तमान राजनीति में ऐसे कई सियासी खानदान हैं, जिनकी दूसरी, तीसरी या चौथी पीढ़ी राजनीति में सक्रिय है। इस सूची में एक और नाम जुड़ गया है, वो है ‘बांसुरी स्वराज’। बांसुरी अपनी मां और देश की मशहूर राजनेता सुषमा स्वराज की सियासी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए राजनीति में एंट्री मारी है।
बांसुरी स्वराज को दिल्ली बीजेपी ईकाई में अहम पद दिया गया है। पेशे से वकील बांसुरी को कानूनी प्रकोष्ठ का सह-संयोजक नियुक्त किया गया है। बांसुरी ने अपनी इस नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, बीएल संतोष और वीरेंद्र सचदेवा को धन्यवाद दिया।
भारतीय जनता पार्टी दिल्ली प्रदेश के विधि प्रकोष्ठ का प्रदेश सह-संयोजक के रूप में पार्टी की सेवा करने का अवसर प्रदान करने के लिए मैं आदरणीय PM @narendramodi जी, @AmitShah जी @JPNadda जी @blsanthosh जी @Virend_Sachdeva जी, @BJP4Delhi और @BJP4India की अत्यंत आभरी हूँ। pic.twitter.com/W4yf6CNNcG
— Bansuri Swaraj (@BansuriSwaraj) March 26, 2023
सुषमा स्वराज की इकलौती पुत्री हैं बांसुरी
पूर्व केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का विवाह 13 जुलाई 1973 को स्वराज कौशल के साथ हुआ था। दोनों का यह प्रेम विवाह था। स्वराज सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता रहे हैं और बाद में राजनीति में आ गए। वे तीन साल तक मिजोरम के गवर्नर रहे। बाद में वे सक्रिय राजनीति से दूर हो गए। 3 जनवरी 1984 को उनके घर एक बच्ची का जन्म हुआ। बताया जाता है कि सुषमा स्वराज भगवान श्रीकृष्ण की परमभक्त थीं। उन्हें श्रीकृष्ण की बांसुरी काफी पसंद थी। इसलिए उन्होंने अपनी बेटी का नाम ‘बांसुरी’ रखा। बांसुरी स्वराज स्वराज दंपत्ति की इकलौती संतान हैं।
पिता की तर्ज पर अपनाया वकालत का पेशा
एक उच्च शिक्षित परिवार में पैदा होने के कारण बांसुरी स्वराज की पढ़ाई – लिखाई भी उसी तरीके से हुई। उन्होंने भारत में 12वीं तक की पढ़ाई करने के बाद स्नातक प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से किया। उन्होंने टेम्पल कॉलेज से बैरिस्टर की डिग्री हासिल की। ये वही कॉलेज है, जहां से महात्मा गांधी ने भी वकालत की डिग्री ली थी। वकालत की डिग्री लेने के बाद वो दिल्ली हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने लगीं। वह 2007 से वकालत कर रही हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, उनका नेटवर्थ 9 करोड़ रूपये के आसपास है।
ललित मोदी के कारण विवादों में आया था नाम
सुषमा स्वराज जैसी देश की जानी-मानी और प्रभावशाली राजनेता की बेटी होने के बावजूद बांसुरी स्वराज लाइमलाइट से काफी दूर रहती थीं। राजनीति के बजाय वह अपने वकालत के प्रोफेशन में ज्यादा व्यस्त रहती थीं। वह मीडिया में सुर्खियों में पहली बार तब आईं तब उनके बारे में ये जानकारी सामने आई कि वो आईपीएल के पूर्व कमिश्नर भगोड़े ललित मोदी लीगल टीम में शामिल थी। ललित मोदी ने बकायदा बांसुरी को ट्वीट कर बधाई भी दी थी।
इसके बाद देश में सियासी घमासान मच गया। सुषमा स्वराज उस दौरान विदेश मंत्री के पद पर थीं। उनपर विपक्षी दलों ने काफी गंभीर आरोप लगाए। अडानी विवाद की तरह उस दौरान भी राहुल गांधी ने संसद में सुषमा स्वराज के खिलाफ ललित मोदी को लेकर मोर्चा खोल दिया था, कई दिनों तक संसद भी ठप रहा। हालांकि, सुषमा स्वराज विपक्ष के आरोपों पर जोरदार पलटवार करते हुए कहा था कि उनकी बेटी एक वकील है और उसने अपना केस लड़ा, इसके अलावा वो किसी को नहीं जानती।
2019 में सुषमा का हो गया था निधन
सुषमा स्वराज का 7 अगस्त 2019 को अचानक निधन हो गया था। भारतीय राजनीति में वो चंद राजनेताओं में गिनी जाती हैं, जिनके दोस्त विपक्षी पार्टियों में भी थे। सुषमा यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की प्रभावी भूमिका अदा कर चुकी हैं। वह दिल्ली की मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं। 1998 में उनके नेतृत्व में चुनाव हारने के बाद बीजेपी दिल्ली की सत्ता में अभी तक वापसी नहीं कर पाई है। ऐसे में उनकी बेटी भारतीय जनता पार्टी के जरिए देश की राजनीति में कितनी सीढ़ी चढ़ पाती हैं, देखने वाली बात होगी।