रो देंगे आप, जब बेटे ने कर दिया शव लेने से इनकार, फिर कैसे हुआ अंतिम संस्कार
भोपाल में कोरोना संक्रमित व्यक्ति का शव उसके के बेटे ने लेने से इनकार दिया। जिसके बाद इलाके के तहसीलदार ने उस व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया
पूरे देश में कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है। देश में आए दिन कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। वैसे तो कैसी भी मौत कोई नहीं मरना चाहता लेकिन इस वायरस से हुई तो मौत और भी दर्दनाक व दुखदाई होती है। इससे संक्रमित हो कर मरने पर तो कई परिवारों को अपने इंसान का शव तक नहीं देखने को मिलता। इस वायरस का खौफ ये है कि लोग इस वायरस के डर से अपने रिश्ते तक छोड़ देते हैं। आलम तो ये है कि भोपाल में इस वायरस से मरे एक व्यक्ति का शव उसके बेटे ने लेने से ही मना कर दिया। अंततः उसका अंतिम संस्कार तहसीलदार को करना पड़ा।
बेटे ने शव लेने से किया इनकार
मध्यप्रदेश के भोपाल में एक व्यक्ति की कोरोना वायरस के संक्रमण से मौत हो गई। लेकिन जब अंतिम संस्कार के लिए व्यक्ति का शव उसके घरों वालों को सौंपा गया तो उस व्यक्ति के बेटे ने अपने पिता का शव लेने से इंकार कर दिया। कोरोना का इतना खौफ कि बेटे ने पिता से नाता ही तोड़ दिया और बेटे के होते हुए पिता का अंतिम संस्कार पुत्र के हांथों नहीं हो पाया।
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प्रशासन की ओर से बेटे को लाख समझाया भी गया। लेकिन बेटे ने किसी की भी न मानी। और शव लेने से पूर्णतया मना कर दिया। आखिर में बैरागढ़ तहसीलदार गुलाबसिंह बघेल ने व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया। गौरतलब है कि शुजालपुर निवासी व्यक्ति को आठ अप्रैल को पैरालिसिस का दौरा पड़ा था। जिसले बाद उसे मल्टीकेयर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।
कोरोना पॉजिटिव होने पर हाथ लगाने से किया इनकार
बाद में डॉक्टर्स को उस व्यक्ति में कुछ कोरोना के लक्षण नजर आए। जिसके बाद डॉक्टरों ने व्यक्ति के घर वालों से उसका कोरोना टेस्ट कराने को बोला। जिसके बाद 10 अप्रैल को जांच के लिए उनके नमूने लिए गए। बाद में जब 14 अप्रैल को कोरोना की रिपोर्ट आई तो पता चला कि पिता कोरोना वायरस पॉजिटिव है। उसके बाद व्यक्ति को भोपाल के चिरायु अस्पताल में भर्ती कर दिया गया। यहां इलाज के दौरान सोमवार देर रात उनकी मौत हो गई।
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बाद में व्यक्ति की मौत के बाद प्रशासन ने उसके परिजनों की जानकारी दी तो व्यक्ति की पत्नी, बेटा और साला गांव से अस्पताल पहुंचे। बाद अस्पताल प्रशासन की ओर से परिजनों को यह बताया गया कि संक्रमण की वजह से वो लोग व्यक्ति के शव को गाँव नहीं ले जा सकते। इसके बाद कोरोना का इतना भय कि मृतक के बेटे ने अपने पिटा के शरीर को हाथ तक लगाने से मना कर दिया।
तहसीलदार ने किया अंतिम संस्कार
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जिसके बाद कई लोगों ने उसे बहुत समझाया लेकिन वो मानने को तैयार नहीं हुआ। अफसरों ने बेटे को बताया कि डॉक्टर, नर्स और चिकित्साकर्मी भी तो मरीजों का इलाज कर रहे हैं उनके पास जा रहे हैं। उसने पिता का अंतिम संस्कार करने से भी मना कर दिया। बेटे ने लिखकर दे दिया कि उसे पीपीई किट पहननी नहीं आती है इसीलिए प्रशासन ही अंतिम संस्कार करे। जब बेटा नहीं माना तो मां ने भी प्रशासन को इसकी इजाजत दे दी। इसके बाद तहसीलदार गुलाबसिंह बघेल ने रीति-रिवाजों के अनुसार श्मशान में ही नहाकर और पीपीई किट पहनकर अंतिम संस्कार किया। बेटा 50 मीटर दूर से ही पिता की चिता को जलते देखता रहा।