केंद्र से टिहरी डैम झील का जलस्तर बढ़ाने की अनुमति, आशंकाओं के बीच नई सरकार लेगी फैसला
टिहरी डैम की झील में अभी 825 मीटर तक ही पानी भरने की अनुमति है। झील में अभी 780 मीटर तक ही पानी है। पानी कम होने से बिजली का उत्पादन क्षमता से कम होता है। इससे 1000 मेगावाट तक बिजली उत्पादन हो सकता है, जो अभी 400-500 मेगावाट के बीच है।
राजकुमार शर्मा
देहरादून: उत्तराखंड में बिजली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने टिहरी डैम की झील के जलस्तर को 825 मीटर से बढ़ाकर 828 मीटर करने की अनुमति दे दी है। केंद्र के इस फैसले से अब सूबे के अफसर असमंजस में फंसे हुए हैं, क्योंकि भूस्खलन और विस्थापन के खतरे से यह मुद्दा संवेदनशील है। बहरहाल, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव प्रदीप कुमार पुजारी ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र भेजकर इस पर अमल करने को कहा है।
बढ़ेगा बिजली उत्पादन
पुजारी ने अपने पत्र में कहा है कि टिहरी डैम का जलस्तर बढ़ाकर बिजली उत्पादन में बढ़ोत्तरी की जा सकती है। जिसका फायदा प्रदेश को आर्थिक रूप से भी मिलेगा। शासन ने इस आशय का प्रस्ताव सरकार को भेज दिया है।
टिहरी डैम की झील में अभी तक 825 मीटर तक ही पानी भरने की अनुमति है। लेकिन झील में अभी 780 मीटर तक ही पानी है। झील में पानी कम होने से बिजली का उत्पादन निर्धारित क्षमता के मुताबिक कम होता है।
टिहरी डैम से लगभग एक हजार मेगावाट तक बिजली का उत्पादन हो सकता है, जो फिलहाल 400-500 मेगावाट के बीच है। झील की क्षमता के मुताबिक इसमें 830 मीटर तक पानी भरा जा सकता है।
संवेदनशील मामला
झील का जलस्तर बढ़ाने के मुद्दे पर दिल्ली में कई दौर की बैठक हो चुकी है। 10 अगस्त-2016 और 16 सितंबर 2016 को हुई बैठक के आधार पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने टिहरी डैम की झील के जलस्तर को बढ़ाने की अनुमति दी है।
दूसरी ओर शासन द्वारा इस मुद्दे पर सावधानी से कदम उठाया जा रहा है, क्योंकि झील के आसपास रहने वालों को आशंका है कि इससे भूस्लखन का खतरा बढ़ सकता है और उनको विस्थापित होना पड़ सकता है।
मामला संवेदनशील होने की वजह से इस मुद्दे पर फैसला नई प्रदेश सरकार द्वारा लिया जाएगा।
प्रमुख सचिव सिंचाई, आनंद बर्द्धन ने कहा भी कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने इस संबंध में पत्र भेजा है। मामला संवेदनशील है। इसलिये फैसला प्रदेश में गठित होने वाली नई सरकार द्वारा लिया जाएगा।