नई दिल्ली: केंद्र सरकार और आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल के बीच नीतिगत मुद्दों को लेकर मतभेद होने की खबर सामने आ रही है। वैसे ये नया मामला नहीं है। काफी समय से दोनों के बीच तनाव की खबरें आ रही हैं। वहीं, इस मामले को लेकर टीओआई का कहना है कि सरकार और आरबीआई के बीच इस साल के शुरुआत से ही संबंध अच्छे नहीं थे। दोनों ओर से ज्यादा बात नहीं की जा रही है।
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उधर, आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने इस मामले पर चिंता जताते हुए कहा कि आरबीआई की स्वायत्तता पर चोट किसी के हक में नहीं होगी। उन्होंने ये भी कहा कि जिस तरह से केंद्र सरकार आरबीआई के काम में दखल दे रही है, उस तरह से बैंक की स्वायत्तता पर अच्छा-खासा प्रभाव पड़ रहा है।
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विरल ने आगे कहा कि बैंक चाहता है कि इकोनॉमी में सुधार आए। इसके लिए बैंक सरकार से थोड़ा दूरी बनाना चाहता है लेकिन सरकार की बैंक के कामों में दखलंदाजी काफी बढ़ गई। सरकार इसे कम करने के मूड में नहीं दिख रही, जबकि यह बिल्कुल ठीक बात नहीं है। एक बात ये भी है कि जिस तरह से बैंक और सरकार के बीच तनाव बना हुआ है, उसका असर उर्जित पटेल के भविष्य पर भी पड़ सकता है।
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दरअसल, उर्जित पटेल के तीन साल 2019 सितंबर में पूरे होने वाले हैं। ऐसी स्थिति में अब खतरा इस बात है कि उनके सेवा विस्तार और बाकी कार्यकाल का क्या होगा। सरकार और बैंक के बीच हुए मतभेद के दौरान ये बातें भी उठ रही हैं कि उर्जित से बेहतर गवर्नर रघुराम राजन थे।
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ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि उर्जित चाहते हैं कि सरकारी बैंकों पर नजर रखने के लिए आरबीआई को और शक्तिशाली बनाना चाहिए, जबकि साल के शुरुआत से ही केंद्र सरकार की दखलंदाजी बैंक के कामों में काफी बढ़ गई है। एक कारण ये भी है, जिसकी वजह से तमाम लोग उर्जित पटेल पर निशाना साध रहे हैं।