Canada-India Row: सिख युवाओं को वीजा के लालच से लुभा रहे कनाडा के खालिस्तानी तत्व

Canada-India Row: कनाडा में अवैध अप्रवासी और वे छात्र, जिन्होंने कनाडा में अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है, लेकिन उपयुक्त नौकरी नहीं पा सके हैं, सबसे अधिक संवेदनशील हैं।

Report :  Neel Mani Lal
Update:2023-09-27 21:52 IST

Terrorists luring Sikh youth with Canadian visa (Photo-Social Media)

Canada-India Row: कनाडा स्थित खालिस्तान समर्थक तत्व भोले-भाले सिख युवाओं को वीजा स्पांसर करके वहां आने के लिए लुभा रहे हैं। ऐसे तत्वों का एकमात्र उद्देश्य कनाडाई धरती पर अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए युवाओं का इस्तेमाल करना है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर (जिसकी ह्त्या हो चुकी है), मोनिंदर सिंह बुआल, परमिंदर पंगली, भगत सिंह बराड़ जैसे अन्य व्यक्ति अपने खालिस्तान समर्थक एजेंडे को पूरा करने के लिए सिख युवाओं को लालच दे कर उनका इस्तेमाल कर रहे हैं। हालाँकि, प्रवासी भारतीयों के समर्थन की कमी के कारण अलगाववादी तत्वों को पैदल सैनिकों की कमी का सामना करना पड़ा है।

डिमांड और सप्लाई का कुचक्र

बताया जाता है कि ‘डिमांड और सप्लाई’ चक्र का कनाडा में खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों द्वारा इस्तेमाल किया गया है जो पंजाब के सीधे सादे सिख युवाओं को प्लंबर, ट्रक ड्राइवर जैसी नौकरियों या ऐसे तत्वों द्वारा नियंत्रि गुरुद्वारों में ‘रागी, सेवादारों और पाठी’ जैसे धार्मिक कार्यों के लिए प्रायोजित करने का एक नया आईडिया लेकर आए थे। बताया जाता है कि ये खालिस्तान समर्थक चरमपंथी कनाडा में भारत विरोधी विरोध प्रदर्शनों और कार्यक्रमों में भाग लेने और कट्टरपंथी धार्मिक सभाओं का संचालन करने जैसी खालिस्तान समर्थक गतिविधियों के लिए युवाओं का शोषण करने के बदले में ऐसे पंजाबी युवाओं के वीजा और कनाडा की यात्राओं को प्रायोजित करते हैं। उसके बाद वे कनाडा में ऐसे भारतीय युवाओं और छात्रों की पहचान करते हैं जिन्हें खुद को कनाडा में बनाए रखना मुश्किल हो रहा है और उन्हें नौकरियों और रहने की जगह की दरकार होती है।

अवैध प्रवासियों और बेरोजगारों पर नजर

कनाडा में अवैध अप्रवासी और वे छात्र, जिन्होंने कनाडा में अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है, लेकिन उपयुक्त नौकरी नहीं पा सके हैं, सबसे अधिक संवेदनशील हैं। खालिस्तान समर्थक चरमपंथी उन्हें गुरुद्वारे के संसाधनों का उपयोग करके आजीविका के लिए आश्रय और निम्न स्तर की नौकरियों की पेशकश करते हैं। अहसानों के बोझ तले दबे ऐसे युवा स्वेच्छा से या दबाव में आ कर "कनाडा में खालिस्तान ब्रिगेड" में शामिल हो जाते हैं।

जब आईएसआई समर्थित खालिस्तानी समूह ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ को अपने भारत विरोधी अभियान "पंजाब इंडिपेंडेंस रेफरेंडम" के लिए समर्थन प्राप्त करना मुश्किल हो रहा था, तो निज्जर और उसके दोस्तों ने इन "पैदल सैनिकों" का इस्तेमाल यह दिखाने के लिए किया कि उनका अभियान सफल है। इन खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों के लिए अब अधिक से अधिक ऐसे लोगों को प्राप्त करना आसान हो गया है क्योंकि वे कनाडा के सरे, ब्रैम्पटन, एडमॉन्टन आदि इलाकों में 30 से अधिक गुरुद्वारों पर नियंत्रण रखते हैं।

गैंगस्टरों का गठजोड़

निज्जर, बुआल और बराड़ ने पंजाब में दविंदर बांभिया गिरोह, अर्श दल्ला गिरोह, लखबीर लांडा गिरोह जैसे गैंगस्टरों के साथ एक "गठजोड़" भी बनाया और पंजाब में आतंकवादी हमलों के लिए अपने गुर्गों का उपयोग करने के बदले में इन वांछित गैंगस्टरों को कनाडा ले आए। भारत में कुछ खालिस्तान समर्थक राजनीतिक दल युवाओं को ऐसे "पत्र" देने के लिए एक से दो लाख रुपये लेते हैं, जिसका इस्तेमाल यह झूठा दावा करते हुए किया जाता है कि वे पार्टी कैडर हैं और धार्मिक आधार पर भारत में उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं और उन्हें कनाडा में राजनीतिक शरण मिलनी चाहिए। ऐसे युवा कनाडा पहुंचते ही खालिस्तान समर्थक तत्वों में शामिल हो जाते हैं। कनाडा जाने वाला कोई भी वास्तविक यात्री जानता है कि कनाडाई वीज़ा प्राप्त करना बेहद कठिन और लम्बी प्रक्रिया होती है। खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों द्वारा चलाया जाने वाला यह "मानव तस्करी" चैनल कनाडाई एजेंसियों की नाक के नीचे धड़ल्ले से बना हुआ है, भले ही यह देश मानव तस्करी के प्रति बहुत संवेदनशील हो।

भारत और कनाडा के बीच विवाद तब शुरू हुआ जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की "संभावित" संलिप्तता का आरोप लगाया। भारत ने आरोपों को "बेतुका" और "प्रेरित" कहकर दृढ़ता से खारिज कर दिया और इस मामले पर ओटावा के एक भारतीय अधिकारी के निष्कासन के बदले में एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित कर दिया।

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