ऐसे इंटरनेट बंद करती है सरकार, जानिए इसकी पूरी डिटेल
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में पूरे देश के अलग-अलग राज्य में प्रदर्शन चल रहा है. जिसे देखते हुए सरकार ने कुछ दिनों के सभी इंटरनेट सेवाएं बंद करा दी हैं।
नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में पूरे देश के अलग-अलग राज्य में प्रदर्शन चल रहा है। जिसे देखते हुए सरकार ने कुछ दिनों के सभी इंटरनेट सेवाएं बंद करा दी हैं। इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनैशनल इकनॉमिक रिलेशन्स समेत दो थिंक टैंक संस्थाओं की रिसर्च के मुताबिक, इंटरनेट बैन करने के मामले में भारत पूरी दुनिया में सबसे आगे है। लेकिन क्या आपको पता है कि सरकार इंटरनेट पर बैन लगाने का फैसला कैसे लेती है। इंटरनेट बंद करने का एक प्रोसेस होता है, जिसे फॉलो करते हुए इस पर बैन लगाया जाता है। हम आपको बता रहे हैं कि भारत में इंटरनेट कैसे बंद किया जाता है।
ये भी पढ़ें:IIFAअवॉर्ड 2020: इस राज्य में होगा आयोजन, सरकार ने दी मंजूरी, इतना होगा खर्च
देश में इंटरनेट पर ऐसे लगता है बैन
- केंद्र या राज्य के गृह सचिव इंटरनेट बैन करने का ऑर्डर देते हैं।
- यह ऑर्डर SP या उससे ऊपर के रैंक के अधिकारी के जरिए भेजा जाता है। उक्त अधिकारी सर्विस प्रोवाइडर्स को इंटरनेट सर्विस ब्लॉक करने के लिए कहता है।
- ऑर्डर को अगले कामकाजी दिन (वर्किंग डे) के अंदर केंद्र या राज्य सरकार के रिव्यू पैनल के पास भेजना होता है। इस रिव्यू पैनल को 5 वर्किंग डेज में इसकी समीक्षा करनी होती है। केंद्र सरकार के रिव्यू पैनल में कैबिन सेक्रेटरी, लॉ सेक्रेटरी और टेलिकम्युनिकेशन्स सेक्रेटरी होते हैं। वहीं, राज्य सरकार से दिए गए आदेश के रिव्यू पैनल में चीफ सेक्रेटरी, लॉ सेक्रेटरी और एक अन्य सेक्रेटरी शामिल रहता है।
इमर्जेंसी में क्या होता है?
इमरर्जेंसी के वक़्त केंद्र या राज्य के गृह सचिव द्वारा अधिकृत किए गए जॉइंट सेक्रेटरी इंटरनेट बैन करने के लिए ऑर्डर दे सकते हैं। वैसे तो, इसके लिए उन्हें 24 घंटे के अंदर केंद्र या राज्य के गृह सचिव से इसकी मंजूरी लेनी पड़ेगी।
ये भी पढ़ें:खुद को अविवाहित बता रिन्यूवल करवाया था पासपोर्ट, अदालत ने दी दो साल की सजा
2017 से पहले अलग नियम
साल 2017 से पहले जिले के डीएम इंटरनेट बंद करने का आदेश देते थे। 2017 में सरकार ने इंडियन टेलिग्राफ ऐक्ट 1885 के तहत टेम्प्ररी सस्पेंशन ऑफ टेलिकॉम सर्विसेज (पब्लिक इमरजेंसी या पब्लिक सेफ्टी) रूल्स तैयार किए। लेकिन इसके बाद अब सिर्फ केंद्र या राज्य के गृह सचिव या उनके द्वारा अधिकृत अथॉरिटी इंटरनेट बंद करने का आदेश दे सकते हैं।