Prayagraj Bulldozer Action पर ‘सुप्रीम’ निर्णय, कहाः दस-दस लाख दें हर्जाना, अखिलेश ने फैसले का किया स्वागत
Prayagraj Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर नाराजगी जतायी है। उन्होंने घर पर बुलडोजर चलाने की कार्यवाही को ही गलत करार दिया और उसकी निंदा की।;
Prayagraj Bulldozer Action: प्रयागराज में वकील, प्रोफेसर और तीन अन्य घरों पर बुलडोजर चलाने के मामले पर मंगलवार को उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने अपना फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर नाराजगी जतायी है। उन्होंने घर पर बुलडोजर चलाने की कार्यवाही को ही गलत करार दिया और उसकी निंदा की।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घर को गिराने की प्रक्रिया असंवैधानिक थी। यह हमारी आत्मा को झकझोंरता है। राइट टू शेल्र और उचित प्रक्रिया नाम की भी कोई चीज होती है। इस तरह किसी के भी घर पर बुलडोजर चला देना किसी भी तरह से उचित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण को यह आदेष दिया है कि पांचों पीड़ितों को दस-दस लाख रुपए हर्जाना दिया जाए।
बुलडोजर एक्शन को लेकर यूपी सरकार को पहले भी लग चुकी है फटकार
बीते साल नवंबर माह में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को बुलडोजर एक्शन पर कड़ी फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह सरकार की मनमानी है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि इस कार्यवाही में कोई भी उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। कोर्ट ने हलफनामा भी दिखाया और कहा कि इसके तहत घर के मालिक को कोई नोटिस भी नहीं जारी की गयी थी। केवल साइट पर जाकर लोगों को सूचित किया गया था।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी थी। यहीं नहीं कोर्ट ने कहा था कि मनमानी करते हुए जो भी सरकारें बुलडोजर एक्शन चला रही है वह कानून को हाथ में लेने की दोषी है। राइट टू शेल्टर मौलिक अधिकार है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि मकान सिर्फ संपत्ति नहीं बल्कि एक परिवार का आश्रय होता है। ऐसे में इस गिराने से पहले विचार किया जाना बेहद जरूरी है।
अखिलेश यादव ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश स्वागत योग्य है कि प्रयागराज में 2021 में हुए एक बुलडोज़र एक्शन पर सभी 5 याचिकाकर्ताओं को प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा 6 सप्ताह में 10-10 लाख मुआवज़ा दिया जाए। इस मामले में कोर्ट ने नोटिस मिलने के 24 घंटे के भीतर मकान गिरा देने की कार्रवाई को अवैध घोषित किया है।
सपा मुखिया ने कहा कि सच तो यह है कि घर केवल पैसे से नहीं बनता और न ही टूटने का जख्म केवल पैसों से भरा जा सकता है। परिवारवालों के लिए तो घर एक भावना है और उसके टूटने पर जो भावनाएं आहत होती हैं। उनका न तो कोई मुआवज़ा दे सकता है न ही कोई पूरी तरह पूर्ति कर सकता है। परिवारवाला कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा!