उत्तराखंड: जंगल में आग लगने का खतरा अधिक है इस साल

उत्तराखंड में वनों में आग लगने की घटनाएं शुरु हो गई हैं। फायर सीजन भी 15 फरवरी से शुरू हो गया है। जंगल को आग से बचाने के लिए मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने मंगलवार को सचिवालय में वनाग्नि को रोकने संबंधी तैयारियों की समीक्षा की।

Update: 2018-02-21 11:11 GMT

देहरादून: उत्तराखंड में वनों में आग लगने की घटनाएं शुरु हो गई हैं। फायर सीजन भी 15 फरवरी से शुरू हो गया है। जंगल को आग से बचाने के लिए मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने मंगलवार को सचिवालय में वनाग्नि को रोकने संबंधी तैयारियों की समीक्षा की।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि जिला वनाग्नि सुरक्षा योजना के अनुसार पहले से ही तैयारी कर लें। सभी क्रू-स्टेशन पर कर्मी तैनात कर दें। संचार व्यवस्था की जांच कर लें। वनों की आग रोकने के लिए नियंत्रित आग लगाने का कार्य कर लें।

बैठक में बताया गया कि 8700 फायर लाइन की क्लीनिंग कर ली गई है। 40 मास्टर कंट्रोल रूम, 1437 क्रू-स्टेशन, 174 वॉच टॉवर सक्रिय कर दिए गए हैं। समन्वय अधिकारियों को नामित कर दिया गया है। 150000 हेक्टेयर वनों के नीचे पड़े कूड़े कचरे को साफ कर दिया गया है। उपकरण और औजारों की व्यवस्था कर ली गई है। आग बुझाने वाले कार्मिकों को प्रशिक्षण दिया गया है। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के अलर्ट, अर्ली वार्निंग सहित सभी सिस्टम माध्यमो को ऑनलाइन किया गया है।

वर्ष 2016 में 4433 हेक्टेयर वनों में आग लगने की 2074 घटनाएं हुई थी। वर्ष 2017 में 1244 हेक्टेयर में 804 घटनाएं हुई हैं। इस वर्ष सर्दी कम हुई है। बारिश कम पड़ी है। इसलिए माना जा रहा है कि जंगल में आग के लिहाज से ये साल घातक हो सकता है।

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