Year Ender 2022: एलओसी पर रही शांति, तो एलएसी पर होती रही उठापटक

Year Ender 2022: साल दर साल हम यह देखते आ रहे हैं कि भारत को अपने दोनों पड़ोसियों के साथ बॉर्डर पर गाहे बगाहे दो चार होना ही पड़ता है। यह साल भी कोई अपवाद नहीं रहा।

Report :  Jugul Kishor
Update: 2022-12-31 11:25 GMT

 Peace on the LoC And uproar on the LAC (Pic: Social Media)

Year Ender 2022: यूं तो भारत के साथ चीन और पाकिस्तान के मोर्चे पर तनाव कोई नयी बात नहीं है। साल दर साल हम यह देखते आ रहे हैं कि भारत को अपने दोनों पड़ोसियों के साथ बॉर्डर पर गाहे बगाहे दो चार होना ही पड़ता है। यह साल भी कोई अपवाद नहीं रहा। साल 2022 में चीन और पाकिस्तान दोनों मोर्चों पर तनाव रहा। हालांकि नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर कमोबेश स्थितियां सामान्य रहीं लेकिन वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर सिचुएशन जटिल बनी रहीं। साल 2022 में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर शांति कायम है और घुसपैठ की कोशिशों, हिंसा की गतिविधियों में काफी कमी आई है। लेकिन एलएसी पर आप साल के आखिरी महीने में भी चीन के साथ तनातनी की स्थित बनी हुई है। कश्मीर घाटी में स्थिति काफी सामान्य है और पथराव, आंदोलन के मामले में हिंसा के मापदंडों में महत्वपूर्ण गिरावट आई है। जिससे नियंत्रण रेखा के करीब लोगों को काफी राहत मिली है। इस रिपोर्ट में जाने दोनों मोर्चों की स्थिति के बारे में।

एलओसी पर हमलों में आई कमी, गृहमंत्रालय ने संसद में पेश किए आंकड़े

आतंकवाद और अलगाववाद से प्रभावित जम्मू कश्मीर में आतंकी हमलों में कमी आई है। इस बात की तस्दीक केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संसद में की। मंत्रालय की ओर से संसद में दी गई लिखित जानकारी के मुताबिक, 2018 में जहां 417 आतंकी वारदातें हुई थीं, वहीं 2021 में घटकर ये 229 रह गईं। केंद्र सरकार ने बताया कि इस दरम्यान जम्मू कश्मीर में भी सुरक्षा की स्थिति काफी बेहतर हुई है। जिसकी वजह सरकार की आतंकवाद के विरूद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति है।

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, जम्मू कश्मीर में पिछले साल यानी 2021 में 229 आतंकी हमले हुए थे जिनमें 42 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे। इन घटनाओं में 41 आम नागरिकों की जान भी गई थी। इससे पहले साल 2020 में 244 आतंकी हमलों में 62 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे और 37 आम नागरिकों की मौत हुई थी। वहीं, 2019 में 255 आतंकी हमले हुए जिसमें 80 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और 39 आम नागरिकों की जान गई। 

नक्सली हिंसाओं में आई कमी

आतंकी वारदातों की तरह वामपंथी उग्रवाद संबंधी हिंसा में भी कमी आई है। गृह मंत्रालय के मुताबिक, साल 2009 में नक्सली हिंसा की 2258 घटनाएं सामने आईं थीं, जो 2021 आते-आते सिमटकर 509 रह गई हैं। 2010 में नक्सली हिंसा में 1005 लोगों की जान गई थी, जो 2021 में कम होकर 147 रह गई हैं। मंत्रालय के अनुसार, नक्सली हिंसा के भौगोलिक विस्तार में भी कमी आई है। 2010 में देश के 96 जिले वामपंथी उग्रवाद संबंधी हिंसा के चपेट में थे। 2021 में केवल 46 जिले नक्सली हिंसा से प्रभावित हैं।

जम्मू कश्मीर में हो सकते हैं विधानसभा चुनाव

लगातार आतंकी घटनाओं में कमी देखते हुए केंद्र सरकार अगले साल देश के 9 अन्य राज्यों की तरह जम्मू कश्मीर में भी विधानसभा चुनाव करा सकती है। 2019 में जम्मू कश्मीर का स्पेशल स्टेटस खत्म कर उसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था। जम्मू कश्मीर से लद्दाख को अलग कर उसे भी एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। पिछले साल डीडीसी चुनवों के सफलतापूर्वक संपन्न कराने के बाद विधानसभा चुनाव कराने के आसार बढ़ गए हैं।

एलएसी पर जारी है विवाद

वास्तविक सीमा नियंत्रण (एलएसी) पर भारतीय सुरक्षा बलों और चीनी सैनिकों के बीच झड़प के बाद एक बार फिर से भारत का चीन के साथ सीमा विवाद गहराता नजर आ रहा है। बता दें कि 9 दिसंबर को 300 से ज्यादा चीनी सैनिकों ने 17 हजार फीट की ऊंचाई पर भारतीय चोटी की ओर बढ़ने की कोशिश की लेकिन भारतीय सैनिकों ने सभी चीनी सैनिकों के मंसूबों पर पानी फेरते हुए खदेड़ दिया था।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में बताया कि 09 दिसंबर 2022 को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने अरुणाचल के तवांग सेक्टर के यांग्त्से में एलएसी पर अतिक्रमण करने की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय सैनिकों ने सामना करते हुए चीनी सैनिकों को खदेड़ दिया। उन्होने सदन में कहा कि झड़प में हमारे किसी भी सैनिक की मृत्यु नहीं हुई और न ही कोई सैनिक गंभीर रूप से घायल हुआ।

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय सेना के कमांडर ने समय रहते हस्तक्षेप किया और चीन के सैनिक वापस अपनी लोकेशन पर चले गए। इस घटना के बाद क्षेत्र के स्थानीय कमांडर ने 11 दिसंबर 2022 को अपने चीनी समकक्ष के साथ फ्लैग मीटिंग की और घटना पर चर्चा की। चीनी पक्ष को इस तरह की कार्रवाई से मना किया गया और सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए कहा गया।

अमेरिका ने भारत किया समर्थन

अरुणाचल में चीनी सैनिकों के साथ झड़प के मामले में अमेरिका का भी बयान आया था। उन्होने कहा था कि हम भारत का समर्थन करते हैं। अमेरकी रक्षा विभाग के पेंटागन के प्रेस सचिव पैड राइडर ने कहा कि हम अपने साझेदारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग हैं। हम स्थित को नियंत्रण में रखने के लिए भारत का पूरा समर्थन करते हैं। इससे पहले भी अमेरिका ने बयान जारी करके कहा था कि इस बात की खुशी है कि दोनों ही देशों की सेनाओं ने स्थिति को नियंत्रण में रखा है। हम स्थिति पर पैनी नजर बनाए हुए हैं। अमेरिका ने कहा कि भारत और चीन के बीच में जो सीमाओं को लेकर विवाद है उसका समाधान बातचीत के जरिए किया जाए।

संसद में हुआ जमकर हंगामा

दिसंबर में शीतकालीन सत्र भी चल रहा थ। संसद के दोनों सदनों में भारत चीन का तनाव मुद्दा छाया रहा। जहां विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार से चर्चा करने की मांग करते हुए हंगामा किया तो वहीं रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दोनों सदनों में बयान जारी किया। उन्होने बताया कि भारत और चीन के बीच हुई झड़प में किसी जवान की जान नहीं गई है और न ही कोई जवान गंभीर रुप से घायल हुआ है। लेकिन विपक्ष रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के जवाब से असंतुष्ट दिखा और संसद में जमकर हंगाम किया।

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