Year Ender 2022: इस साल ISRO ने गाड़े सफलता के नए झंडे, रिकॉर्ड मिसाइल हुई लांच
Year Ender 2022: आन्ध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के लांचपैड से पहला अपना निजी तौर पर विकसित विक्रम-एस मिसाइल लांच किया।
Year Ender 2022: हम साल 2022 के अंत की ओर हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने साल 2022 में कई नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। इसरो ने 2022 में प्राइवेट स्पेस सेक्टर में अपना कौशल दिखाया। आन्ध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के लांचपैड से पहला अपना निजी तौर पर विकसित विक्रम-एस मिसाइल लांच किया। एक निजी अंतरिक्ष उद्योग को बढ़ावा देने के भारत के प्रयास में ये एक मील का पत्थर है। विक्रम-एस नामक रॉकेट को चेन्नई शहर के पास सरकार द्वारा संचालित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 18 नवंबर, 2022 को सुबह दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट के साथ लॉन्च किया गया।
मिसाइल लांच के समय 89.5 किमी या लगभग 55.6 मील की ऊँचाई पर पहुँच गयी। यह नासा द्वारा निर्धारित 50 मील की पृथ्वी-अंतरिक्ष सीमा से अधिक है, लेकिन कर्मन रेखा (पृथ्वी से लगभग 62 मील ऊपर) से कम है, जिसे अक्सर अंतरिक्ष की सीमा माना जाता है। रॉकेट के पीछे की कंपनी स्काईरूट है, जो हैदराबाद में स्थित है और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पूर्व इंजीनियरों द्वारा स्थापित की गई है। भारत के अंतरिक्ष विभाग की एक एजेंसी, IN-SPACe के अध्यक्ष, पवन कुमार गोयनका ने कहा कि प्रक्षेपण उम्मीद के मुताबिक ही हुआ। बंगाल की खाड़ी में रॉकेट गिरने के बाद उन्होंने कहा सभी प्रणालियां, जैसा कि मैं समझ सकता हूं, योजना के अनुसार काम किया, और स्काईरूट एयरोस्पेस ने विभिन्न उप-प्रणालियों की क्षमता का प्रदर्शन किया है जो कक्षीय लॉन्च वाहन में जाएंगे।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सफल प्रक्षेपण की प्रशंसा की
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर लिखा था कि "स्काईरूट एयरोस्पेस द्वारा विकसित रॉकेट विक्रम-एस के रूप में भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण, आज श्रीहरिकोटा से उड़ान भरी। यह भारत के निजी अंतरिक्ष उद्योग की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह उपलब्धि हमारे युवाओं की अपार प्रतिभा की गवाही देती है, जिन्होंने जून 2020 के ऐतिहासिक अंतरिक्ष क्षेत्र के सुधारों का पूरा लाभ उठाया।
जानिए लांच की गई विक्रम-एस मिसाइल के बारे में
इसरो के संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई की याद में विक्रम-एस का नाम दिया गया है। विक्रम सीरीज़ में तीन प्रकार के रॉकेट लॉन्च किए जाने हैं, जिन्हें छोटे आकार के सैटेलाइट्स ले जाने के मुताबिक विकसित किया गया है। विक्रम-1 इस सिरीज़ का पहला रॉकेट है। बताया जाता है कि विक्रम-2 और 3 भारी वज़न को पृथ्वी की निचली कक्षा में पहुंचा सकते हैं। विक्रम-एस तीन सैटेलाइट को पृथ्वी की निचली कक्षा में पहुंचा सकता है। इन तीन में से एक विदेशी कंपनी का जबकि बाकी दो भारतीय कंपनियों के उपग्रह हैं। स्काईरूट पहले ही बता चुका है कि मई, 2022 में रॉकेट का सफल परीक्षण हो चुका है। स्काईरूट के बयान के मुताबिक, विक्रम एस की लांचिंग 12 से 16 नवंबर के बीच होनी थी । लेकिन खराब मौसम के कारण इसे 18 नवंबर, 2022 को लॉन्च किया गया।
स्काईरूट एयरोस्पेस कंपनी
स्काईरूट एयरोस्पेस एक निजी कपंनी है, जो हैदराबाद में स्थित है। स्काईरूट पहला स्टार्टअप है, जिसने अपने रॉकेट लॉन्च करने के लिए इसरो के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस मिशन के जरिए किफायती और कम लागत के अंतरिक्ष उड़ान में प्रवेश बाधाओं को दूर हटाना है।
प्राइवेट मिसाइल लांच करने की कब से हो रही थी कोशिश
भारतीय अंतरिक्ष सेक्टर में निजी कंपनियां साल 2020 से भारतीय अंतरिक्ष सेक्टर में मिसाइल लांच करने की कोशिश कर रही थीं। जून 2020 में मोदी सरकार ने इस क्षेत्र में बदलाव की शुरुआत की थी, जिसके बाद निजी कंपनियों के लिए रास्ता खुला। इसके लिए इन-स्पेस ई नामक एक नई संस्था बनाई गई, जो इसरो और स्पेस कंपनियों के बीच पुल का काम करती है। अनुमान है कि 2040 तक अंतरराष्ट्रीय स्पेस उद्योग का आकार एक ट्रिलियन डॉलर तक हो जाएगा। इस उद्योग में भारत की हिस्सेदारी अभी महज 2 प्रतिशत है। भारत इस गैप को भरने के लिए नई स्पेस टेक्नोलॉजी के लिए निजी कंपनियों को बढ़ावा दे रहा है।
भारत में कब शुरु हुई थी स्पेस प्रोग्राम यात्रा
अंतरिक्ष स्पेस के क्षेत्र में भारत की यात्रा 1960 के दशक में शुरु हुई थी। उस समय डॉ. विक्रम साराभाई के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च की स्थापना की गई थी। भारत के पहले सैटेलाइट आर्यभट्ट को रुस के आस्त्राखान ओब्लास्ट से लांच किया गया था। भारतीय स्पेस के सेक्टर में इतिहास में इसे मील का पत्थर माना जाता है। भारत की सरजमीं से पहला रॉकेट 21 नवंबर, 1963 को सफलता पूर्वक लांच किया गया था। इसे तिरुअन्तपुरम के पास थुंबा से छोड़ा गया था। पहली बार लांच किए गए राकेट का वजन 715 किलोग्राम था, जो 30 किलोग्राम की सैटेलाइट को 207 किलोमीटर तक ले जा सकता था।
इसरो ने 2022 में 96 लोगों को किया पुरुस्कृत
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 15 अगस्त, 2022 को बेंगलुरु के अंतरिक्ष भवन में आयोजित एक समारोह में 96 व्यक्तियों को पुरस्कार दिया। इसरो अवार्ड्स को पूर्व इसरो के अध्यक्ष डॉ कस्तूरीरंगन और अध्यक्ष डॉ के सिवन ने वितरित किया। यह योजना पहले 2007 में शुरू हुई थी और यह इसरो का 12वां पुरस्कार संस्करण था।
साल 2022 में इसरो की उपलब्धियां
24 नवंबर को इसरो ने किया राकेट का सफल परीक्षण
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के 'आरएच200' रॉकेट का 24 नवंबर, 2022 को तिरुवनंतपुरम के थुंबा तट से लगातार 200वां सफल प्रक्षेपण किया। इसरो ने परीक्षण के समय इसे ऐतिहासिक पल बताया था। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ और अन्य लोग इसके गवाह बने। आरएच200 ने थुंबा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन (TERLS) से उड़ान भरी थी।
इसरो ने एक साथ लांच किए 9 सैटेलाइट
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 26 नवंबर को एक साथ 9 सैटेलाइट लॉन्च किए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसरो ने तमिलनाडु के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ओशनसैट-3 और भूटान के एक उपग्रह समेत आठ लघु उपग्रहों यानी सैटेलाइट को पीएसएलवी-सी54/ईओएस-06 मिशन के तहत लांच किया। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि पीएसएलवी-सी54 ने पृथ्वी अवलोकन उपग्रह यानी अर्थ ऑबजर्वेशन सैटेलाइट और अन्य आठ उपग्रहों को लक्षित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया। इसरो के मुताबिक एसएलवी-सी54 के जरिए ओशनसैट-3 और आठ लघु उपग्रह- भूटानसैट, पिक्सेल का 'आनंद', ध्रुव अंतरिक्ष के दो थायबोल्ट और स्पेसफ्लाइट यूएसए के चार एस्ट्रोकास्ट लांच किये गये।
इसरो ने हाइपरसोनिक वाहन का किया सफल ट्रायल
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और एकीकृत रक्षा स्टाफ ने संयुक्त रूप से 9 दिसंबर को हाइपरसोनिक वाहन परीक्षण किया है। परीक्षण के दौरान हाइपरसोनिक वाहन ने आवश्यक सभी पैरामीटर हासिल करते हुए उच्च क्षमता का प्रदर्शन किया। इस परीक्षण के बाद भारत के रक्षा क्षेत्र को और अधिक मजबूती मिलेगी, खासकर पाकिस्तान और चीन की हरकतों को नाकाम करने में ये हथियार अहम रोल निभाएगा।