Bengal politics: TMC में तेज हुई बुजुर्ग बनाम युवा की बहस, ममता और अभिषेक बनर्जी का अलग-अलग नजरिया, पार्टी के कई बड़े नेता 70 पार
Bengal politics: तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का इस संबंध में अलग ही नजरिया है। पिछले दिनों उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को सम्मान देने की अपील भी की थी।
Bengal politics: पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) में बुजुर्ग बनाम युवा नेताओं को लेकर बहस काफी तेज हो गई है। तृणमूल कांग्रेस में अधिकांश बड़े नेताओं की उम्र 70 पार है जबकि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी युवा पीढ़ी को पार्टी में आगे लाने की वकालत कर रहे हैं। उनका मानना है कि पार्टी के बुजुर्ग नेताओं को सियासत से रिटायरमेंट ले लेना चाहिए और युवा पीढ़ी को आगे लाने के लिए रास्ता खाली कर देना चाहिए।
दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का इस संबंध में अलग ही नजरिया है। पिछले दिनों उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को सम्मान देने की अपील भी की थी। उनका मानना था कि अनुभवी नेताओं के सक्रिय रहने से पार्टी को मजबूती मिलेगी। इसके बाद माना जा रहा था कि पार्टी में बुजुर्ग नेताओं का दबदबा आगे भी बना रहेगा।
बुजुर्ग नेताओं के रिटायर होने की वकालत
तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की ओर से पार्टी में अधिकांश बुजुर्ग नेताओं की वजह से कार्य कुशलता में गिरावट की बात कही जा रही है। वे इस बात की वकालत कर रहे हैं कि राजनीति में भी रिटायरमेंट की एक उम्र तय होनी चाहिए। उनका कहना है कि इससे पार्टी के युवा नेताओं के लिए राजनीति में आगे बढ़ने का रास्ता भी खुलता है। इसके साथ ही पार्टी को नए विचारों का लाभ भी मिलता है।
युवा पीढ़ी को आगे बढ़ाने की जरूरत
अभिषेक बनर्जी के करीबी माने जाने वाले टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष का कहना है कि पार्टी के पुराने नेताओं को युवा पीढ़ी के लिए रास्ता बनाने के संबंध में पता होना चाहिए। पार्टी में युवा पीढ़ी को आगे बढ़ाने की जरूरत है। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के पुराने और युवा नेताओं के बीच खींचतान जैसी कोई स्थिति नहीं है।
अभिषेक बनर्जी की ओर से की जा रही वकालत और घोष के बयान के बाद पार्टी में बुजुर्ग बनाम युवा की बहस काफी तेज हो गई है। पार्टी के कई सांसद, मंत्री और अन्य महत्वपूर्ण नेता 70 से अधिक उम्र वाले हैं और इन नेताओं की ओर से इस बयान का तीखा विरोध किया जा रहा है।
ममता बनर्जी को करना है आखिरी फैसला
इस संबंध में लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय का कहना है कि ममता बनर्जी तृणमूल कांग्रेस की मुखिया हैं और उनका फैसला ही अंतिम होगा। अगर उन्हें लगता है कि कोई नेता रिटायर होने लायक हो गया है तो वह रिटायर हो जाएगा। अगर उन्हें ऐसा महसूस नहीं होता है तो ऐसे नेता आगे भी पार्टी की मजबूती के लिए काम करते रहेंगे। 74 वर्षीय पार्टी के वरिष्ठ नेता बंदोपाध्याय ने कहा कि इस तरह की बहस का कोई मतलब नहीं है क्योंकि पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए बुजुर्ग और युवा दोनों नेताओं की जरूरत है।
पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता सौगत रॉय ने भी कहा कि पार्टी में उम्र को लेकर कोई समस्या नहीं है। पार्टी के 76 वर्षीय वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी के बुजुर्ग और युवा नेताओं की भूमिका पर अंतिम फैसला ममता बनर्जी को करना है। उन्हें ही इस बात का फैसला करना है कि पार्टी की ओर से किसे टिकट दिया जाएगा और पार्टी में कौन नेता किस पद की जिम्मेदारी संभालेगा।
तृणमूल कांग्रेस में तेज हुई बहस
बंदोपाध्याय और सौगत रॉय पार्टी के उन नेताओं की सूची में शामिल हैं जिन्हें आयु सीमा लागू होने की स्थिति में रिटायरमेंट लेना पड़ सकता है। मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले वरिष्ठ मंत्री फिरहाद हकीम का भी कहना है कि आयु सीमा और एक व्यक्ति एक पद के संबंध में ममता बनर्जी ही आखिरी फैसला ले सकती हैं।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि बुजुर्ग नेताओं को टीएमसी की राजनीति से बाहर करने को लेकर बहस लगातार तेज होती जा रही है। अभिषेक बनर्जी लगातार युवा पीढ़ी को आगे लाने और एक व्यक्ति एक पद की वकालत करने में जुटे हुए हैं। हालांकि इससे लोकसभा चुनाव के दौरान टीएमसी की चुनावी संभावनाएं प्रभावित होने की आशंका भी जताई जा रही है।
अब सबकी निगाहें ममता बनर्जी की ओर लगी हुई हैं। यह देखने वाली बात होगी कि ममता बनर्जी अपने करीबी बुजुर्ग नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देना जारी रखेंगी या आने वाले दिनों में वे युवा नेताओं को आगे बढ़ाएंगी।