टॉप FMCG कंपनियां मालामाल: खूब हुआ मुनाफ़ा, रोजमर्रा के सामान की बढ़ी बिक्री

रोजाना इस्तेमाल होने वाले सामान की मांग बढ़ने से FMCG सेक्टर लौट आई है। टॉप FMCG कंपनियों पिछले टीन तीन महीनों में करोड़ो का मुनाफा हुआ।

Update: 2021-02-02 13:46 GMT

लखनऊ: पिछले दिनों भले ही कोरोना संकट के बीच कई व्यापार ठप्प हुए हों, रोजगार पर असर पड़ा हो लेकिन रोजमर्रा की जरूरत के सामान बनाने वाली टॉप कंपनियों को काफी मुनाफा हुआ। देश की टॉप FMCG कंपनियां महामारी के दौर से उबर कर काफी फायदे में रहीं। एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर से दिसंबर तिमाही के आंकड़ों में इस बात की पुष्टि भी हुई।

टॉप FMCG कंपनियों को अक्टूबर से दिसंबर तिमाही मे मुनाफा

दरअसल, रोजाना इस्तेमाल होने वाले सामान की मांग बढ़ने से FMCG सेक्टर लौट आई है। टॉप FMCG कंपनियों पिछले टीन तीन महीनों में करोड़ो का मुनाफा हुआ। च्यवनप्राश से लेकर हेयर ऑयल तक बनाने वाली कंपनी डाबर इंडिया ने अक्टूबर से दिसंबर तिमाही में 494 करोड़ रुपए का मुनाफ़ा कमाया है। बता दें कि ये उसके पिछले साल 2019 के इसी तिमाही के मुकाबले 24% ज्यादा है।

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रोजाना इस्तेमाल का सामान खूब बिका

डॉबर के अलावा हिंदुस्तान यूनिलिवर लिमिटेड ने भी इस तिमाही में 1921 करोड़ रुपए का शुद्ध मुनाफा कमाया। अगर पिछले वर्ष से तुलना की जाए तो इस बार 19 फीसदी ज्यादा मुनाफा हुआ। साथ ही कंपनी के सामानों की बिक्री में 20% तक बढ़ गयी।

डाॅबर से लेकर सफोला तक इन कंपनियों का रेवैन्यू बढ़ा

वहीं रिपोर्ट्स के मुताबिक़, सफोला और पैराशूट जैसे ब्रांड की पैरेंट कंपनी मैरिको ने भी दिसंबर तिमाही में 13 प्रतिशत मुनाफा कमाया। अक्टूबर से दिसंबर के बीच कम्पनी की 312 करोड़ रुपए की कमाई हुई है। ऐसे में कम्पनी का रेवेन्यू पिछले साल की तुलना में इस इस तिमाही 18% बढ़ गया। साथ ही प्रसिद्द बोरोप्लस क्रीम और नवरत्न तेल बेचने वाली इमामी कम्पनी का के रेवेन्यू भी लगातार दो तिमाही से 16 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।

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चीजों की मांग बढ़ने से कंपनियों को मुनाफा

रोजमर्रा की चीजों की मांग बढ़ने और कंपनियों के मुनाफे को लेकर एक ओर जहां बाजार में रौनक ही तो वहीं कोरोना महामारी के दौरान हुए घाटे और आर्थिक संकट से उबरने की भी उत्सुकता है। इस बारे में एडलवाइस सिक्योरिटीज के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च) अबनेश रॉय ने जानकारी दी कि पिछले तीन तिमाहियों के बाद अक्टूबर से शहरी मांग वापस आ गई है। लेकिन बता दें कि अभी भी यह प्री-कोविड स्तर से नीचे है।

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