हे प्रभु! मानवीय चूक के चलते एक हफ्ते में दो रेल हादसे
यूपी में एक हफ्ते के अंदर दो बड़े रेल हादसे हो चुके हैं। अभी कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस दुर्घटना का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा है तो दूसरी ओर बीती रात आजमगढ़ से दिल्ली जा रही कैफियत एक्सप्रेस ट्रेन के इंजन सहित 8 डिब्बे पटरी से उतर गए हैं।
लखनऊ : यूपी में एक हफ्ते के अंदर दो बड़े रेल हादसे हो चुके हैं। अभी कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस दुर्घटना का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा है तो दूसरी ओर बीती रात आजमगढ़ से दिल्ली जा रही कैफियत एक्सप्रेस ट्रेन के इंजन सहित 8 डिब्बे पटरी से उतर गए हैं।
यह हादसा बीती रात दो बजकर 40 मिनट पर हुआ है। इस हादसे में भी मानवीय चूक के चलते यात्रियों को नुकसान हुआ है। जानकारी के मुताबिक, ट्रेन के डंपर से टकराने के कारण हादसा हुआ है।
यात्रियों को नुकसान
आपको बता दें कि जिस डंपर से ट्रेन की टक्कर हुई है, वह रेलवे के काम में ही लगी थी। पटरी को पार करते समय डंपर अचानक ट्रैक पर पलट गया। लापरवाह चालक डंपर को वहीं छोड़कर भाग गया। आला अधिकारियों को सूचना नहीं मिलने के कारण कैफियत एक्सप्रेस के यात्रियों को नुकसान हुआ है। इस हादसे में अभी तक 4 यात्री गंभीर रुप से तथा 74 लोगों के घायल होने की सूचना मिल रही है। यूपी एक सप्ताह में रेलवे के हादसे से सहम गई है। दोनों दुर्घटनाएं मानवीय चूक के कारण हुई हैं।
मानवीय चूक हैं हादसे की असल वजह
रेल दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण मानवीय चूक है। रेलवे के आंकड़े बताते हैं कि 80 फीसदी रेल दुर्घटनाएं विभागीय कर्मचारियों और राहगीरों की लापरवाही के चलते होती हैं। पहली रेल दुर्घटना 25 जनवरी 1869 को हुई थी। इसके बाद से हादसों का दौर बढ़ता जा रहा है। अभी ताजा मामला यूपी के मुजफ्फरनगर जिले में हुआ है जिसमें कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस के 14 डिब्बे पटरी से उतरने के कारण 23 यात्रियों की मौतें होने के साथ कई गंभीर अवस्था में हैं। इस हादसे पर रेलवे के आला अधिकारियों ने भी माना है कि कर्मचारियों की लापरवाही के कारण घटना हुई है।
आपको बता दें कि ये लापरवाही का पहला मामला नहीं है। अधिकांश हादसों में अनदेखी के चलते यात्रियों को जान गंवानी पड़ती है।
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नहीं होता कोई बड़ा एक्शन
जब भी कोई बड़ा रेलवे हादसा होता है तो जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई तो तुरंत हो जाती है लेकिन घटना के कारणों को सुधारने के लिए कोई कवायद नहीं होती है। अधिकांश मामलों में मानवीय चूक के कारण यात्रियों की मौतें होती हैं।
क्या है मुख्य वजह?
रेल हादसों का मुख्य कारण मानवरहित क्रासिंग और ट्रेनों का पटरी से उतरना है। 80 फीसदी रेल दुर्घटना मानव रहित फाटक और पटरी के उतरने से होती है। सबसे अधिक मानवीय चूक के कारण 150 रेल दुर्घटना साल 2011-12 में हुई थी। इसमें 90 फीसदी हादसे लोगों की भूल के कारण हुए। इन घटनाओं के लिए 52 रेल कर्मचारियों और 63 राहगीरों को जिम्मेदार माना गया था। देशभर में 30 हजार से भी अधिक रेलवे फाटक हैं। इसमें 10,000 मानवरहित क्रासिंग हैं, अक्सर इन्हीं वजहों से हादसें होते हैं। भारतीय रेलवे के विजन 2020 में मानवरहित फाटकों को पूरी तरह से खत्म करने का संकल्प है।
भ्रष्टाचार भी शामिल
अभी हाल में ही रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने भ्रष्टाचार को भी हादसों का वजह माना है। यह करप्शन ठेके आवंटित करने से ई-टिकट और आरक्षण तक फैला हुआ है। रेलवे के 6000 से भी अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार का विभागी मामला चल रहा है। रेलवे में भ्रष्टाचार संलिप्त होने से भी लापरवाही सामने आती है।
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देश के बड़े रेल हादसे
22 जनवरी 2017: विजयनगरम जिले में हीराखंड एक्सप्रेस के आठ डिब्बे पटरी से उतरने की वजह से करीब 39 लोग मारे गए।
20 नवंबर 2016 : कानपुर के पास पुखरायां में बड़ा रेल हादसा हुआ, जिसमें 150 से अधिक यात्रियों की मौतें हुईं थीं। पटना-इंदौर एक्सप्रेस के 14 डिब्बे पटरी से उतरे थे।
20 मार्च 2015 : देहरादून से वाराणसी जा रही जनता एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी, जिसमें 34 लोग मारे गए थे।
4 मई 2014 : दिवा सांवतवादी पैसेंजर ट्रेन नागोठाने और रोहा स्टेशन के बीच पटरी से उतर गई थी। इस हादसे में 20 यात्रियों ने जान गंवाई और 100 से अधिक घायल हुए।
30 जुलाई 2012 : भारतीय रेलवे के इतिहास में वर्ष 2012 में सबसे अधिक दुर्घटनाएं हुई हैं। इस साल करीब 14 रेल हादसे हुए, इनमें पटरी से उतरने व ट्रेनों का आमने-सामने भिड़ंत हो चुके हैं।
7 जुलाई 2011 : यूपी में ट्रेन व बस की टक्कर में 38 लोगों की मौत हुई।
20 सितंबर 2010 : मध्य प्रदेश के शिवपुरी में ग्वालियर इंटरसिटी एक्सप्रेस एक मालगाड़ी से टकरा गई। इस टक्कर में 33 यात्रियों की जान गई व 160 से अधिक घायल हुए।
19 जुलाई 2010 : पश्चिम बंगाल में उत्तर बंग एक्सप्रेस व वनांचल एक्सप्रेस की टक्कर हुई, इसमें 62 से अधिक लोग मरे थे।
28 मई 2010 : पश्चिम बंगाल में संदिग्ध नक्सली हमले में ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस पटरी से उतरी। इस हादसे में 150 से अधिक यात्रियों ने जान गंवाई थी।
21 अक्टूबर 2009 : उत्तर प्रदेश में मथुरा के पास गोवा एक्सप्रेस का इंजन मेवाड़ एक्सप्रेस की आखिरी बोगी से टकरा गया। इस घटना में 22 लोग मारे गए जबकि 23 अन्य घायल हुए।
14 फरवरी 2009 : (रेल बजट के दिन) हावड़ा से चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस के 14 डिब्बे ओडिशा में जाजपुर रेलवे स्टेशन के पास पटरी से उतरे। हादसे में 16 की मौत हो गई और 50 घायल हुए।
21 अप्रैल 2005 : गुजरात में वडोदरा के पास साबरमती एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी की टक्कर में कम से कम 17 लोगों की मौत हो गई और 78 अन्य घायल हो ग।.
फरवरी 2005 : महाराष्ट्र में एक रेलगाड़ी और ट्रैक्टर-ट्रॉली की टक्कर में कम से कम 50 लोगों की मौत हो गई थी।
9 सितंबर,2002 : हावड़ा से नई दिल्ली जा रही राजधानी एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हुई। इसमें 120 लोग मारे गए।
22 जून 2001 : मंगलोर-चेन्नई मेल केरल की कडलुंडी नदी में जा गिरी। 59 लोग मारे गए।
31 मई 2001 : उत्तर प्रदेश में एक रेलवे क्रॉसिंग पर खड़ी बस से ट्रेन जा टकराइ। 31 लोग मारे गए।
2 दिसंबर 2000 : कोलकाता से अमृतसर जा रही हावड़ा मेल दिल्ली जा रही एक मालगाड़ी से टकराई। 44 की मौत और 140 घायल हुए।
3 अगस्त 1999 : दिल्ली जा रही ब्रह्मपुत्र मेल अवध-असम एक्सप्रेस से गैसल, पश्चिम बंगाल मे टकराई। 285 की मौत और 312 घायल हुए थे।
26 नवंबर 1998 : फ्रंटियर मेल सियालदाह एक्सप्रेस से खन्ना, पंजाब में टकराई। 108 की मौत, 120 घायल।
14 सितंबर 1997 : अहमदाबाद-हावड़ा एक्सप्रेस बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में एक नदी में जा गिरी। 81 की मौत, 100 घायल हुए थे।
18 अप्रैल 1996 : एर्नाकुलम एक्सप्रेस दक्षिण केरल में एक बस से टकराई। 35 की मौत और 50 घायल हुए थे।
20 अगस्त 1995 : नई दिल्ली जा रही पुरुषोत्तम एक्सप्रेस कालिंदी एक्सप्रेस से जा टकराई। इसमें 250 की मौत तथा 250 लोग घायल हुए थे।