रेल मंत्री की फटकार के बाद भी देरी से चल रही हैं ट्रेनें, उत्तर और पूर्वोत्तर रेलवे सबसे खराब

रेलवे के इंजीनियरिंग क्षेत्र से जुड़े एक सीनियर अधिकारी ने माना कि रेलवे संचालन के लिए तय मानकों को ईमानदारी से लागू किया जाए तो भारत में रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर की हालत इतनी लचर है कि एक गाड़ी भी तय समय पर नहीं चलाई जा सकती।

Update:2017-04-28 22:46 IST

उमाकांत लखेड़ा

नई दिल्ली: रेलवे के लिए गर्मियों का मौजूदा सीजन सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण होने व रेल मंत्री सुरेश प्रभु की चेतावनी के बावजूद देश के कई हिस्सों व प्रमुख रेल रूटों पर लेटलतीफी की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं।

रेलवे बोर्ड हालांकि गाड़ियों के देरी से चलने का आधिकारिक डाटा देने में कन्नी काटता है, लेकिन एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्वीकार किया है कि इन दिनों रेलों में भारी भीड़ के चलते व कई क्षेत्रों में सुरक्षा मानकों के प्रति एहतियात बरतने की मजबूरियों की वजह से गाड़ियों को वक्त पर चलाने में सबसे ज्यादा दिक्कतें आ रही हैं।

सुरक्षा को लेकर चिंता

रेलवे सूत्रों ने स्वीकार किया है कि कई रेलवे जोनों में सिंगल लाइन सिस्टम बना हुआ है। रेल गाड़ियों की तादाद में बढ़ोतरी के बावजूद लोको पायलटों की भारी कमी है। दूसरी ओर प्लेटफार्मों की किल्लत लंबी दूरी की गाड़ियों के वक्त पर संचालन में सबसे ज्यादा बाधक बन रही है। रेलवे के सुरक्षा तंत्र से जुड़े रहे एक वरिष्ठ अधिकारी ने माना है कि दिल्ली से कानपुर, इलाहाबाद व गोरखपुर से बिहार व हावड़ा तक संचालित हो रही गाड़ियों में सबसे ज्यादा मुश्किलें रेल सुरक्षा के नए मानकों को लेकर आड़े आ रही हैं।

पूर्वोत्तर रेलवे के तहत दिल्ली से बरौनी के बीच चलने वाली वैशाली एक्सप्रेस उन गाड़ियों में शामिल है जो दो घंटे से छह घंटे विलंब से चल रही हैं। उत्तर रेलवे के एक अधिकारी ने माना कि उत्तर प्रदेश में कानपुर व लखनऊ के बीच कुछ माह पहले दो बड़ी दुर्घटनाओं के बाद रेलवे ने पटरियों में तोड़फोड़ व पुलों से गुजरने वाली गाड़ियों की गति के घोषित मानकों में कटौती की है। तकनीकी कारणों से होने वाली दुर्घटनाओं के लिए डिविजनल रेलवे मैनेजरों को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराए जाने के बाद संबंधित अधिकारी फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रहे हैं।

रेलवे के इंजीनियरिंग क्षेत्र से जुड़े एक सीनियर अधिकारी ने माना कि रेलवे संचालन के लिए तय मानकों को ईमानदारी से लागू किया जाए तो भारत में रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर की हालत इतनी लचर है कि एक गाड़ी भी तय समय पर नहीं चलाई जा सकती। रेलवे सूत्रों का मानना है कि पूर्वोत्तर रेलवे में गाड़ियों के देरी से से चलने की प्रकिया में डाटा विश्लेषण के आधार पर 8 से 9 गिरावट दर्ज की गई है जबकि उत्तर पूर्वोत्तर रेलवे व उत्तर रेलवे की परफॉरमेंस में 1 से 2 प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी हुई है।

लोको पायलटों की कमी

लोको पायलटों को अपनी पारी की ड्यूटी खत्म करने के बाद अगली ड्यूटी के बीच 10 घंटे का अंतर रखा गया है लेकिन रेलगाड़ियों के देरी से चलने की वजह से ड्राइवरों के ड्यूटी के घंटे कई गुना बढ़ रहे हैं। रेलवे सूत्रों का कहना है कि देश के रेलवे के सभी जोनों में इस वक्त करीब 12 से 15 हजार ड्राइवरों की कमी है।

रेल मंत्री सुरेश प्रभु को विशेषज्ञों की ओर से यह फीडबैक दिया गया है कि गाड़ियों को वक्त पर चलाने के लिए सीनियर स्तर के स्टाफ की जवाबदेही तय होनी जरूरी है क्योंकि आम यात्रियों की तकलीफों के प्रति सबसे ज्यादा उदासीनता व नकारात्मक रवैया इसी श्रेणी के अधिकारियों का सामने आया है।

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