अर्नब पर बड़ी खबर: अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू, सीबीआई जांच की मांग
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और इंदिरा बनर्जी की खंडपीठ में बुधवार को सुबह लगभग 11 बजे सुनवाई शुरू हुई है। अर्नब गोस्वामी और उनके साथ दो अन्य आरोपित फिरोज शेख व नीतीश सारदा की ओर सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका मंगलवार को ही दाखिल की गई है।
नई दिल्ली। रिपब्लिक भारत टीवी के सीईओ व एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी की जमानत अर्जी पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई है। अर्नब गोस्वामी की ओर से अदालत से दरख्वास्त की गई है कि मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया जाए।
मंगलवार को जमानत याचिका हुई थी दाखिल
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और इंदिरा बनर्जी की खंडपीठ में बुधवार को सुबह लगभग 11 बजे सुनवाई शुरू हुई है। अर्नब गोस्वामी और उनके साथ दो अन्य आरोपित फिरोज शेख व नीतीश सारदा की ओर सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका मंगलवार को ही दाखिल की गई है। याचिका में अर्नब की ओर से पेश हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने बांबे हाईकोर्ट से जमानत याचिका रद्द किए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ की गुहार लगाई है।
हरीश साल्वे ने अर्नब का पक्ष रखा
हरीश साल्वे ने अर्नब का पक्ष रखते हुए कोर्ट में कहा कि उनके मुवक्किल को सरकार की ओर से निशाना बनाया जा रहा है। केस खोलने के लिए कानून का सही से पालन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से दो साल पुराने मामले की जांच दोबारा शुरू कराई गई है वह साफ बता रहा है कि यह किसी बड़ी साजिश का हिस्सा है। आपराधिक मामले की जांच शुरू करने के लिए प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है।
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टीआरपी स्कैंडल
सुनवाई के दौरान हरीश साल्वे ने हंसा रिसर्च ग्रुप की ओर से हाईकोर्ट में दाखिल की गई याचिका का भी जिक्र किया और कहा कि टीआरपी स्कैंडल मामले को भी इससे जोडक़र देखना चाहिए। सरकार के इशारे पर मुंबई पुलिस उनके मुवक्किल का लगातार उत्पीडऩ करने की कोशिश की कर रही है। इस बात को आसानी से समझा जा सकता है कि वह लोग क्या करने की कोशिश कर रहे हैं और उनका निशाना क्या है।
महाराष्ट्र में आपातकाल की स्थिति
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में आपातकाल की स्थिति है। वहां नागरिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। कोर्ट से मिल रही जानकारी के अनुसार सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है। सरकारों को इस सबको नजरअंदाज करना चाहिए। यह वह आधार नहीं है जिस पर चुनाव लड़ा जाता है। खबर लिखे जाने तक सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका पर सुनवाई जारी है।]
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रिपोर्ट- अखिलेश तिवारी
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