Maharashtra Politics: चुनावी झटके के बाद हिंदुत्व के एजेंडे पर लौटे उद्धव ठाकरे, BMC चुनाव से पहले उठाया बड़ा कदम
Maharashtra Politics: बृह्नमुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) का चुनाव उद्धव गुट के लिए काफी अहम माना जा रहा है और इसलिए पार्टी ने इस चुनाव से पहले बड़ा कदम उठाया है।
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में बड़ा झटका लगने के बाद शिवसेना का उद्धव गुट हिंदुत्व के अपने पुराने एजेंडे की ओर लौटने की तैयारी में जुट गया है। महाविकास अघाड़ी गठबंधन (एमवीए) में शामिल होने के बाद उद्धव गुट को लगातार सियासी झटकों का सामना करना पड़ा है और इसलिए पार्टी ने अपनी पुरानी विचारधारा की ओर लौटने का फैसला किया है। बृह्नमुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) का चुनाव उद्धव गुट के लिए काफी अहम माना जा रहा है और इसलिए पार्टी ने इस चुनाव से पहले बड़ा कदम उठाया है।
पार्टी के कई नेताओं ने उद्धव ठाकरे को पहले ही हिंदुत्व के एजेंडे पर राजनीति करने की सलाह दी थी। पार्टी नेताओं का मानना है कि हिंदुत्व की विचारधारा से समझौता करने के कारण पार्टी लगातार कमजोर हो रही है। इसी कारण पार्टी ने अब पुरानी रणनीति पर राजनीति करने का फैसला किया है।
उद्धव के एजेंडे पर उठे सवाल
हिंदुत्व को कभी शिवसेना की पहचान माना जाता था और पार्टी के संस्थापक बाल ठाकरे हिंदुत्व के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया करते थे। भाजपा के साथ गठबंधन के दौरान भी शिवसेना हिंदुत्व के एजेंडे पर ही कायम रही। 2019 में उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री के पद को लेकर मतभेद उभरने के बाद भाजपा से अपनी राहें अलग कर ली थीं। बाद में वे कांग्रेस और एनसीपी की समर्थन से मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हुए थे। हालांकि एकनाथ शिंदे की अगुवाई में शिवसेना में हुई बगावत के बाद उन्हें मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा था। भाजपा से अलग होने के बाद ही उद्धव के हिंदुत्व के एजेंडे पर सवाल उठते रहे हैं।
चुनावी झटके के बाद पार्टी नेताओं का बढ़ता दबाव
उद्धव गुट के एमवीए में शामिल होने के बाद उनकी पार्टी को झटकों का सामना करना पड़ा है। हाल में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उद्धव की शिवसेना सिर्फ 20 सीटों पर सिमट गई थी। इसीलिए पार्टी के कई नेता एमवीए से अलग होकर चुनाव लड़ने का भी सुझाव देने लगे हैं।
उद्धव ठाकरे के आवास पर पिछले दिनों हुई बैठक के दौरान पार्टी नेताओं ने हिंदुत्व की विचारधारा की ओर लौटने का दबाव बनाया था। पार्टी नेताओं का कहना था कि मतदाताओं ने हिंदुत्व की विचारधारा से समझौता करने के कारण पार्टी से मुंह मोड़ लिया है। इसलिए बीएमसी चुनाव से पहले पार्टी को अपनी पुरानी विचारधारा की ओर लौटना चाहिए।
फिर हिंदुत्व की राह पर लौटे उद्धव ठाकरे
ऐसे में उद्धव ठाकरे ने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने मंगलवार को पूर्व पार्षदों को बीएमसी चुनाव की तैयारी में जुटने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा और महायुति में शामिल अन्य दलों के इन बयानों का विरोध किया जाना चाहिए जिसमें उद्धव गुट पर हिंदुत्व की विचारधारा से समझौता करने का आरोप लगाया जाता है। उद्धव ठाकरे ने अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को एक बार फिर से हिंदुत्व का झंडा उठाने का निर्देश दिया।
शिवसेना प्रमुख ने कहा कि पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिंदुत्व से जुड़े मुद्दे मतदाताओं तक पूरी मजबूती के साथ पहुंचाने चाहिए। उन्होंने कहा कि मतदाताओं तक यह संदेश पहुंचाना चाहिए कि शिवसेना हिंदुत्व के मुद्दे पर पहले भी लड़ रही थी और आगे भी पार्टी इन मुद्दों के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेगी। जानकारों का कहना है कि उद्धव ठाकरे जल्द ही महाराष्ट्र का दौरा कर सकते हैं और इस दौरान वे पार्टी के हिंदुत्व के एजेंडे को और मजबूत बनाने की कोशिश करेंगे।
दूसरे दलों को देंगे मजबूती से जवाब
उद्धव की बैठक में हिस्सा लेने वाले एक नेता ने बताया कि उद्धव ने बैठक में कहा कि दूसरे राजनीतिक दलों ने हमारे बारे में दुष्प्रचार किया है कि हमने हिंदुत्व की विचारधारा को छोड़ दिया है। हमें इस बात का पूरी मजबूती के साथ जवाब देना होगा। इसके साथ ही उन्होंने मतदाताओं के बीच हिंदुत्व के एजेंडे को ले जाने का निर्देश भी दिया है। उन्होंने पार्टी नेताओं को मुंबई के 36 विधानसभा क्षेत्रों में फैले 227 वार्डों में चुनावी तैयारी में जुट जाने को भी कहा।
चुनावी तैयारी के लिए 18 पर्यवेक्षक नियुक्त
शिवसेना के सूत्रों ने बताया कि निकाय चुनाव की तैयारियों के लिए 18 पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई है। इसके साथ ही चुनावी तैयारी के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश भी दिया गया है। उद्धव गुट के अधिकांश नेताओं का कहना है कि बीएमसी चुनाव के दौरान पार्टी को अपने दम पर चुनाव लड़ना चाहिए और किसी भी पार्टी के साथ कोई गठबंधन नहीं करना चाहिए।
उद्धव ठाकरे ने अभी इस मुद्दे पर अपना रुख साफ नहीं किया है मगर माना जा रहा है कि पार्टी नेताओं के बढ़ते दबाव के कारण वे आने वाले दिनों में अकेले चुनाव लड़ने का बड़ा फैसला ले सकते हैं। अगर उद्धव ठाकरे एमवीए से अलग हुए तो इसका महाराष्ट्र की सियासत पर बड़ा असर पड़ना तय माना जा रहा है।