UNESCO: क्रिएटिव सिटी नेटवर्क में अब कोझिकोड और ग्वालियर भी

UNESCO: यह घोषणा यूनेस्को द्वारा अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर 31 अक्टूबर को की गई , जिसे विश्व शहर दिवस के रूप में माना गया है।

Written By :  Nirala Tripathi
Update:2023-11-04 12:59 IST

 UNESCO: केरल के कोझिकोड और मध्य प्रदेश के ग्वालियर ने क्रमशः साहित्य और संगीत के क्षेत्र में अपने विशेष योगदान के लिए यूनेस्को की प्रतिष्ठित रचनात्मक शहरों की सूची में जगह बनाई है।केरल के मालाबार समुद्र तट पर बसे कोझिकोड को सिटी ऑफ लिटरेचर तो मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक शहर ग्वालियर को सिटी ऑफ म्युजिक माना गया।

यह घोषणा यूनेस्को द्वारा अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर 31 अक्टूबर को की गई , जिसे विश्व शहर दिवस के रूप में माना गया है। विश्व शहर दिवस पर, यूनेस्को महानिदेशक ऑड्रे अज़ोले द्वारा जारी जानकारी में बताया गया की विश्व के 55 नए शहरों को यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क (यूसीसीएन) की प्रतिष्ठित सूची में शामिल किया गया।

यूनेस्को के क्रिएटिव सिटी नेटवर्क में में अब तक पूरे विश्व के 350 शहर शामिल किए जा चुके हैं यह ऐसे शहर हैं जिन्होंने विकास के अपने अहम सफर में, अपनी संस्कृति और रचनाशीलता को प्रमुखता से जगह दी और इसे अपने विकास के क्रम में शामिल भी रखा।

इस सूची में शामिल शहर 7 क्रिएटिव पक्षों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

शिल्प और लोक कला ,

डिजाइन ,

फिल्म और पाक शैली

साहित्य, मीडिया और संगीत।

यूनेस्को का रचनात्मक शहरों का नेटवर्क (UCCN) , इस परियोजना को वर्ष 2004 में प्रारंभ किया गया था।इसका उद्देश्य "उन शहरों के मध्य, आपसी सहयोग को बढ़ावा देना है जो अपनी संस्कृति और रचनात्मकता को अपने शहरी विकास में एक प्रमुख रणनीतिक कारक के रूप में पहचानते हैं और उसके संवर्धन में प्रयत्नशील रहते है।

मसालों का शहर

केरल के कोझिकोड को कभी "मसालों का शहर" भी पुकारा जाता था , यहां का मालाबार समुद्र तट मसालों की व्यापारिक गतिविधियों को प्रमुख केंद्र हुआ करता था। इतिहास के जानकार मानते है कि पुर्तगाल के जहाजी वास्को डी गामा ने अपनी भारत यात्रा के दौरान, सर्वप्रथम यहीं के समुद्र तट पर अपना लंगर डाला था।


कोझिकोड, वार्षिक केरल साहित्य महोत्सव का स्थाई स्थल है। यह प्रति वर्ष विभिन्न तरह के पुस्तक महोत्सव वह अन्य साहित्यिक गतिविधियों का केंद्र बना रहता है। भारत में साहित्य महोत्सव की शुरुआत यहीं से हुई।

ग्वालियर शास्त्रीय संगीत का अहम गढ़

मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक शहर ग्वालियर को, बनारस के बाद हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का अहम गढ़ माना जाता है। ग्वालियर में शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत,और भक्ति संगीत की एक बेहद समृद्ध विरासत भी रही है। ग्वालियर घराना, हिंदुस्तानी संगीत का सबसे पुराने घराना है। उस्ताद नत्थन पीरबख्श और उस्ताद नत्थू खान, इस घराने के जन्मदाता कहलाते हैं. मुगल बादशाह अकबर के नव रत्नों में शुमार मशहूर गायक तानसेन भी ग्वालियर संगीत घराने से ही ताल्लुक रखते थे।


ग्वालियर किले के परिसर में तानसेन का बेहद खूबसूरत मकबरा आज भी है। ग्वालियर , संगीत के उच्च प्रतिष्ठित संस्थानों का भी शहर है और यह वर्ष में कई लोकप्रिय संगीत समारोह का भी आयोजन भी करता है।


यूनेस्को द्वारा हर वर्ष विश्व के विभिन्न शहरों को अपनी प्रतिष्ठित यूसीसीएन परियोजना (UCCN Project)में शामिल करने हेतु आवेदन मांगे जाते हैं। भारत में यह आवेदन संस्कृति मंत्रालय के माध्यम से भेजे जाते हैं। पूर्व में भारत के 6 प्रमुख शहरों को इस प्रतिष्ठित सूची में स्थान मिल चुका है।


वर्ष 2015 में वाराणसी और जयपुर को क्रमशः संगीत का रचनात्मक शहर और शिल्प और लोक कला के क्षेत्र में तो साल 2017 में चेन्नई को संगीत के क्षेत्र में तो वहीं वर्ष 2019 में मुंबई को फिल्म तो हैदराबाद को गैस्ट्रोनॉमी (पाक कला)की श्रेणी में और साल 2021 में श्रीनगर को शिल्प और लोक कला की श्रेणी में यूनेस्को की प्रतिष्ठित यूसीसीएन सूची में शामिल किया जा चुका है।

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