OBC आरक्षण: केंद्र ने बढ़ाई क्रीमी लेयर की सीमा, 6 से बढ़कर 8 लाख हुई

Update:2017-08-24 03:56 IST
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नई दिल्ली: मोदी सरकार ने बुधवार (23 अगस्त) को लिए एक महत्वपूर्ण फैसले में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए क्रीमी लेयर की उच्चतम सीमा 2 लाख रुपए बढ़ाकर 8 लाख रुपए कर दी है। वहीं, सरकार ने ओबीसी जातियों के बीच सब-कैटिगरी यानि कोटा के अंदर कोटा बनाने की भी पहल कर दी है। इस वर्ग में भी पिछड़ेपन की सीमा को देखते हुए उन्हें आरक्षण का हक दिया जाएगा।

पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया, कि एक आयोग बनाने का फैसला लिया गया है, जो ओबीसी के वर्गीकरण पर विचार करेगा। अध्यक्ष की नियुक्ति के 12 हफ्ते के भीतर यह अपनी रिपोर्ट भी देगा। इसे तीन बिंदुओं पर फैसला करना है। इसे यह देखना है कि ओबीसी के अंदर केंद्रीय सूची में शामिल जातियों को क्या उनकी संख्या के अनुरूप सही मात्रा में आरक्षण का लाभ मिल रहा है। अगर नहीं तो इनका कैसा वर्गीकरण किया जा सकता है। आयोग इसके मापदंडों पर भी विचार करेगा।

10 राज्यों में पहले से ही लागू

बता दें, कि पिछड़ा वर्ग आयोग ने तीन वर्गों में वर्गीकरण का सुझाव दिया था। ऐसा वर्ग जो पिछड़ा है, दूसरा वर्ग जो ज्यादा पिछड़ा है और तीसरा जो अति पिछड़ा है। भावी आयोग उन जातियों की संख्या और पिछड़ेपन को ध्यान में रखकर नई सूची तैयार करेगा। गौरतलब है कि आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, झारखंड सहित 10 राज्यों में पहले ही ऐसी व्यवस्था लागू है।

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काफी बड़े होंगे इसके राजनीतिक मायने

हालांकि, यह फैसला भले ही सामाजिक समानता के मुद्दे से जुड़ा है। लेकिन आने वाले दिनों में इसके राजनीतिक मायने काफी बड़े होंगे। याद करें तो पिछले चुनावों में भी ऐसे ओबीसी वर्ग का बीजेपी के प्रति झुकाव रहा था ये अलग बात है कि यह बहुत प्रभावी नहीं है। इनकी बड़ी संख्या है और केंद्र व राज्यों की सूची को मिलाया जाए तो ऐसी जातियों की संख्या सैकड़ों में है।

आने वाले चुनाव की तैयारी तो नहीं?

बिहार, यूपी में जो प्रभावी ओबीसी वर्ग है और जो आरक्षण के 27 फीसद कोटा का अधिकांश हिस्से पर काबिज होते हैं, उनके स्थानीय नेता भी क्षेत्रीय दलों में हैं। बीजेपी की ओर से पहले ही संकेत दिया गया था कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि आरक्षण का लाभ सभी जातियों तक पहुंचे। इसे आगामी चुनावों की तैयारियों के रूप में भी देखा जा रहा है।

केंद्र सरकार ने पहले ही दिए थे संकेत

इससे पहले, मानसून सत्र में सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का संविधान संशोधन लाया था। लोकसभा से उसे पारित भी कर दिया गया, लेकिन राज्यसभा में विपक्ष ने धर्म के आधार पर सदस्यों की नियुक्ति का संशोधन लाकर उसे अटका दिया। अब सरकार को फिर से कवायद करनी होगी। इस बीच वर्गीकरण के फैसले पर मुहर ने ओबीसी को केंद्र सरकार के रुख का संकेत दे दिया है।

 

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