Halal Certification: सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार से मांगा जवाब, याचिकाकर्ता से पूछा- कोर्ट को क्यों करना चाहिए विचार?

Supreme Court के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ के सामने जब याच‍िकाएं सुनवाई के लिए आई, तो बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार, केंद्र और अन्य को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगे हैं।   

Report :  aman
Update: 2024-01-05 10:53 GMT

प्रतीकात्मक चित्र (Social Media) 

SC on Halal Certification: सुप्रीम कोर्ट ने हलाल सर्टिफिकेट वाले प्रोडक्ट की बिक्री, भण्डारण और वितरण पर रोक लगाने वाली अधिसूचना को चुनौती देने वाली दो अलग-अलग याचिकाओं पर शुक्रवार (05 जनवरी) को उत्तर प्रदेश सरकार सहित अन्य से जवाब मांगा है। इस दौरान शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता से पूछा है कि, 'इन याचिकाओं पर अदालत को क्यों विचार करना चाहिए'?

आपको बता दें, पिछले वर्ष 18 नवंबर को खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 की धारा- 30 (2) (ए) के तहत आयुक्त, खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन उत्तर प्रदेश कार्यालय द्वारा इस बाबत अधिसूचना जारी की गई थी।

'पहले HC का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाना चाहिए?'

सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस बीआर गवई (Justice BR Gavai) और जस्टिस संदीप मेहता (Justice Sandeep Mehta) की खंडपीठ के समक्ष जब याच‍िकाएं सुनवाई के लिए आई, तो बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार, केंद्र और अन्य को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगे हैं। साथ ही, खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के वकीलों से भी सवाल पूछा कि, 'शीर्ष अदालत को संविधान के अनुच्छेद- 32 के तहत याचिकाओं पर विचार क्यों करना चाहिए? उन्हें पहले हाईकोर्ट का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाना चाहिए?

SC के सवाल, वकील ने ये दी दलील

याचिकाकर्ता की तरफ से एक वकील ने सर्वोच्च न्यायालय में दलील दी। कहा कि, 'इस मुद्दे का देशभर में प्रभाव शामिल है। इसका व्यापार और वाणिज्य पर भी प्रभाव है। दो सदस्यीय बेंच ने कहा, 'हाई कोर्ट के आदेश का भी देशभर में असर होगा। मान लीजिए अगर किसी विशेष दस्तावेज पर हाई कोर्ट रोक लगाता है तो वह देशभर में लागू होगा'।

क्या अधिसूचना जारी की जा सकती है?

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आगे कहा, 'अंतरराज्यीय व्यापार तथा वाणिज्य मुद्दे पर हाई कोर्ट भी विचार कर सकता है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील की दलील थी, कि शीर्ष अदालत को इस मुद्दे पर विचार करना चाहिए कि क्या ऐसी अधिसूचना जारी की जा सकती है? उन्होंने कहा कि, व्यापार, वाणिज्य और धार्मिक भावनाओं पर प्रभाव के साथ-साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य का मुद्दा भी था'।

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