यूपी सरकार का बड़ा ऐलान, चीन के सामानों को लेकर करने वाले है ये काम

लद्दाख में चीन से हुए सीमा विवाद के बाद देश भर में चीन के सामानों के बहिष्कार की खबरों के बीच अब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार भी चीन के सामानों पर रोक लगाने की तैयारी कर रही है।

Update:2020-06-25 15:15 IST

मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: लद्दाख में चीन से हुए सीमा विवाद के बाद देश भर में चीन के सामानों के बहिष्कार की खबरों के बीच अब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार भी चीन के सामानों पर रोक लगाने की तैयारी कर रही है। इसी क्रम में यूपी पावर कार्पोरेशन ने पूरे प्रदेश के बिजली डिस्कामों से पिछले एक साल में चीनी मीटरों और उपकरणों के ऑर्डर और चीनी वस्तुओं के अनुबंधों के बारे में भी जानकारी मांगी है। हालांकि अभी यूपी के चार नए बिजलीघरों में जिन विदेशी कंपनियों को काम दिया गया है वह चीन की तो नहीं है लेकिन ये विदेशी कंपनियां कई उपकरण व सामान चीन से ही मंगा रही है।

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प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के प्रवक्ता अंकुश त्रिपाठी ने न्यूजट्रैक को फोन पर बताया कि चीन से आने वाले सभी सामानों व उपकरणों की विभागीय जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि एमडी पावर कार्पोरेशन ने इस विभागीय जांच के आदेश दिए है।

नए बिजलीघर बनाने वाली दक्षिण कोरिया व जापान की कंपनी अभी भी मंगा रही है चीनी सामान व उपकरण

हालांकि विभागीय सूत्रों के मुताबिक बिजली विभाग से चीन को पूरी तरह से हटा पाना बहुत ही मुश्किल काम है। सूत्र बताते है कि मौजूदा समय में प्रदेश में चार स्थानों पर नई यूनिट लगाई जा रही है। जिसमे ओबरा-सी और जवाहरपुर में 660 मेगावाट की दो-दो इकाईयांे का काम दक्षिण कोरिया की कंपनी दुशाल को तथा हरदुआगंज में 660 मेगावाट की एक इकाई का काम जापान की कंपनी तोशीबा को दिया गया है। जबकि पनकी में 660 मेगावाट की एक इकाई का काम बीएचईएल को दिया गया है। अब यह विदेशी कंपनियां दुशाल व तोशीबा इन बिजलीघरों में ब्वायलर ट्यूब, आईडी फैन, एफडी फैन तथा पीए फैन समेत कई उपकरण चीन से ही मंगाये जा रहे है।

पुराने बिजलीघरों में लगने वाले एफजीडी प्लांट भी चीन के

इसके अलावा यूपी के पुराने बिजलीघरों में भी प्रदूषण को रोकने के लिए फ्लू गैस डी सल्फराइजेशन (एफजीडी) प्लांट लगाये जा रहे है। इसमे भी अनपरा-डी में एफजीडी प्लांट लगाने का आर्डर चीन को दिया जा चुका है और ओबरा, पारीछा, हरदुआगंज में भी एफजीडी प्लांट के टेंडर हो चुके है, जिसमे चीन एल-1 है। जाहिर है कि एल-1 होने के कारण यहा का काम भी चीन को ही जाने की संभावना है।

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इधर, ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने जांच का स्वागत करते हुए कहा है कि बिजली संयंत्रों में, ब्वायलर ट्यूब समेत अन्य उपकरण चीन से मंगाए जाते हैं क्योंकि वे सस्ते होते हैं। लेकिन हकीकत यह है कि चीनी उपकरणों की गुणवत्ता अच्छी नहीं है। उन्होंने कहा कि बिजली संयंत्रों में इस्तेमाल होने वाले उपकरण सार्वजनिक क्षेत्र की देशी कंपनी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) से खरीदे जाएं।

उन्होंने कहा कि भेल के पीएसयू होने के कारण विभाग को टेंडर करने की जरूरत भी नहीं पडेगी और वह सीधे भारतीय कंपनी से उपकरण खरीद सकेंगा। उन्होंने कहा कि इससे ग्लोबल टेंडर में लगने वाले समय की तो बचत होगी साथ ही श्आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य हासिल करने में भी मदद मिलेगी।

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