Weather Update Today: पहाड़ों पर बरस रही आफत, लाखों लोग बुरी तरह प्रभावित
Uttarakhand Weather Update: भूस्खलन, बाढ़, सड़क धंसने जैसी आपदाएं हर दिन बढ़ती जा रही हैं। ठीक यही हाल असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश का है।
Uttarakhand Weather Update: हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में इन दिनों आफत बरस रही है। जो पहाड़ टूरिस्टों के लिए घूमने फिरने, मौज मस्ती करने की जगहें रहती हैं और जो बाकी मौसमों में बहुत सुहावने लगते हैं, वही पहाड़ इन दिनों डरा रहे हैं। भूस्खलन, बाढ़, सड़क धंसने जैसी आपदाएं हर दिन बढ़ती जा रही हैं। ठीक यही हाल असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश का है। पूर्वोत्तर में बाढ़ से हजारों लोग विस्थापित हुए हैं, और लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। लोग पिछले साल की भयानक आपदा से उबर नहीं पाए थे कि इस साल और आफत आ गई है।
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उत्तराखंड में लगातार भारी बारिश व भूस्खलन से 43 सड़कें बंद हो गईं हैं। तीन स्टेट हाईवे और दो मुख्य जिला मार्ग टूट गए हैं। लगातार बारिश को देखते हुए 30 जून तक आदि कैलाश यात्रा पर रोक लगा दी गई है।
हिमाचल का बुरा हाल
हिमाचल प्रदेश में बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन के कारण हुई अत्यधिक भारी बारिश ने तबाही मचा दी है। पिछले तीन दिनों में कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई है और 14 अन्य घायल हुए हैं।
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भूस्खलन के कारण व्यस्त चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग अवरुद्ध होने से सैकड़ों लोग मंडी जिले में 23 घंटे तक फंसे रहे। भूस्खलन से 70 किलोमीटर लंबे मंडी-पंडोह-कुल्लू मार्ग पर भारी ट्रैफिक जाम हो गया। 26 जून की शाम को जाकर हाईवे को आंशिक रूप से वाहनों की आवाजाही के लिए खोला जा सका।सड़क को अवरुद्ध करने वाले भारी पत्थरों को हटाने के लिए विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया। कटोला के रास्ते वैकल्पिक मंडी-कुल्लू मार्ग भी ठप था जिसे लगभग 20 घंटे बाद खोला जा सका। भारी बारिश के बाद राज्य में कुल 301 सड़कें बंद हैं, जबकि 140 बिजली ट्रांसफार्मर बाधित हैं। राज्य भर में बादल फटने की एक घटना, सात भूस्खलन और चार अचानक बाढ़ की सूचना मिली है। भारी बारिश के कारण पंडोह-कुल्लू खंड पर मंडी शहर से लगभग 40 किमी दूर औट के पास खोतिनल्ला में अचानक बाढ़ देखी गई।
प्राकृतिक और मानवनिर्मित
पहाड़ों में हर साल की मौसमी आपदाएं और एक्सट्रीम मौसमी बदलाव के लिए क्लाइमेट चेंज, ग्लोबल वार्मिंग को जिम्मेदार ठहराया जाता है लेकिन इन हालातों के लिए इंसानी हस्तक्षेप भी जिम्मेदार है। पहाड़ों में डेवलपमेंट के लिए सड़कें, सुरंगें, बांध, पुल, बिल्डिंग का बड़े पैमाने पर निर्माण, जंगलों की कटाई, लोगों द्वारा फैलाया गया प्लास्टिक, वन्य संपदा को नष्ट करना ये सब आपदाओं के रूप में ब्याज समेत वापस आते हैं।