Uttarkashi Tunnel Accident: मंजिल के बहुत करीब बचाव अभियान, बस थोड़ी देर में आएगी खुशखबरी, अस्पताल और एंबुलेंस सब तैयार
Uttarakhand Tunnel Accident Rescue Operation: बुधवार की देर रात लोहे की सलाखों की वजह से ड्रिलिंग के काम में रुकावट पैदा हुई है।
Uttarakhand Tunnel Accident Rescue: उत्तराखंड में उत्तरकाशी के सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकलने का अभियान अब मंजिल के करीब पहुंच गया है। बुधवार की देर रात लोहे की सलाखों की वजह से ड्रिलिंग के काम में रुकावट पैदा हुई है। फिर स्पेशल कटर और गैस कटर के जरिए इन सलाखों को काटने की कोशिश की गई। ड्रिलिंग के दौरान ऑगर मशीन की बिट खराब हो गई जिसे ठीक करने के लिए हेलिकॉप्टर से मशीन लाई गई है। सुरंग स्थल पर 40 एंबुलेंस के साथ ही डॉक्टरों की टीम भी तैनात की गई है।
टनल बचाव कार्य लेने पहुंचे सीएम धामी
उत्तरकाशी टनल हादसे का बचाव कार्य अंतिम पड़ाव पर है। सीएम पुष्कर सिंह धामी सिलक्यारा टनल पहुंचे हैं। रेस्क्यू कार्य का जायजा ले रहे हैं। ऑगर मशीन के जरिए 45 मीटर पाइपलाइन बिछाई जा चुकी है। बचाव अपने अंतिम चरण में है। कुछ बाधाएं आ रही हैं लेकिन हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि जल्द से जल्द सभी श्रमिक बाहर आएं। बचाव के बाद की तैयारियां कर ली गई हैं। एम्बुलेंस और अस्पताल उनके चेकअप और इलाज के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री मोदी हर दिन बचाव अभियान पर अपडेट ले रहे हैं। उन्होंने आज भी अपडेट लिया है। हमारे एक्सपर्ट्स मजदूरों को बचाने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। मजदूरों के लिए पहले से ही अस्पताल से लेकर एंबुलेंस पूरी मेडिकल तैयार कर लिया गया है।
12 मीटर की दूरी शेष
सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने के लिए आज का दिन काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि रेस्क्यू ऑपरेशन अब आखिरी चरण में पहुंच गया है। टनल में 51 मीटर तक ड्रिलिंग कर दी गई है और अब मजदूर तक पहुंचने के लिए केवल 12 मीटर की दूरी शेष रह गई है। ऐसे में आज मजदूर को बाहर निकालने की बड़ी खुशखबरी आ सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रोजाना राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बचाव अभियान के संबंध में अपडेट ले रहे हैं।
7 टेक्नीशियन की टीम सिलक्यारा टनल पहुंची। दिल्ली से हेलीकॉप्टर से टेक्नीशियन उत्तरकाशी पहुंचे। केंद्रीय मंत्री वीके सिंह भी सिलक्यारा टनल पहुंचे हैं।
एंबुलेंस और डॉक्टरों की टीम मुस्तैद
रेस्क्यू ऑपरेशन के आखिरी चरण में पहुंचने के मद्देनजर डॉक्टरों की टीम के साथ एंबुलेंस को भी तैयार रखा गया है। एनडीआरएफ की टीमें भी मौके पर मौजूद हैं और स्ट्रेचर में बेरिंग और पहिया लगाने का काम किया जा रहा है। इसका मकसद यह है कि मजदूरों को लंबे पाइप में क्रॉल न करना पड़े और उन्हें पहिए वाले स्ट्रेचर से सकुशल खींचकर बाहर निकाल लिया जाए।
सुरंग स्थल पर मास्क और स्ट्रेचर के साथ ही ऑक्सीजन सिलेंडर, बीपी उपकरण और चिकित्सा के काम में आने वाली अन्य मशीनें भी मौजूद हैं ताकि श्रमिकों को तत्काल चिकित्सकीय सहायता मुहैया कराई जा सके।
मजदूरों के लिए विशेष स्ट्रेचर की व्यवस्था
देहरादून, हरिद्वार और टिहरी से 40 एंबुलेंस सुरंग स्थल पर लाई गई है और इसके साथ ही 15 डॉक्टरों की एक टीम को भी सुरंग स्थल के बाहर ही तैनात किया गया है। जानकारों का कहना है कि अपनी शारीरिक स्थिति के कारण श्रमिक लंबी दूरी तक चलने में असमर्थ होंगे और इसी कारण विशेष पहिए वाले स्ट्रेचर की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही बचाव टीम एक विशेष ऑक्सीजन पैक मास्क लेकर सुरंग के भीतर गई है ताकि श्रमिकों को आपात स्थिति में मदद पहुंचाई जा सके।
मजदूरों के लिए 41 बेड का विशेष वार्ड
सूत्रों का कहना है कि यदि आज मजदूर को सुरंग से बाहर निकलने में कामयाबी मिली तो उन्हें यहां से तुरंत चिन्यालीसौड़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया जाएगा। वहां पर 41 बेड का विशेष वार्ड तैयार किया गया है। इसके साथ ही श्रमिकों के स्वास्थ्य की जांच पड़ताल करने के लिए डॉक्टरों की विशेष टीम भी तैनात की गई है।
यदि सुरंग स्थल से निकलने के बाद किसी श्रमिक की हालत गंभीर मिली तो उसे उपचार के लिए दूसरे अस्पतालों में भेजने की भी पूरी तैयारी है। उत्तरकाशी के समस्त अस्पतालों के साथ ही एम्स ऋषिकेश को भी आपात स्थिति में चिकित्सा मुहैया कराने के लिए अलर्ट कर दिया गया है। यदि किसी श्रमिक को दूसरे अस्पताल में ले जाने की जरूरत पड़ी तो उसे हेलिकॉप्टर की मदद से दूसरे अस्पतालों में भेजा जाएगा।
सीएम ने उत्तरकाशी में डाला डेरा
बचाव अभियान पर करीबी नजर बनाए रखने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तरकाशी में ही डेरा डाले हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी धामी से बचाव अभियान के संबंध में रोजाना अपडेट ले रहे हैं। इसके साथ ही प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार व राज्य सरकार के विशेष कार्याधिकारी भास्कर खुल्बे भी सिलक्यारा में ही डटे हुए हैं। जानकारों का कहना है कि मजदूरों को बाहर निकलने का अभियान बुधवार देर रात मंजिल के काफी करीब पहुंच गया है। इस बीच देश के विभिन्न स्थानों पर मजदूरों की सकुशल लोग वापसी के लिए प्रार्थनाएं भी की जा रही हैं।
दीपावली के दिन हुआ था भूस्खलन
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर यमुनोत्री राजमार्ग पर सिलक्यारा में 12 नवंबर को दीपावली की सुबह करीब साढ़े पांच बजे भूस्खलन हुआ था। सुरंग के मुख्य द्वार से करीब 275 मीटर आगे मलबा आ जाने के कारण 50 मीटर से अधिक भाग पूरी तरह बाधित हो गया और दूसरे छोर की तरफ कम कर रहे 41 मजदूर सुरंग के भीतर ही फंस गए।
ड्रिलिंग का काम दो बार हुआ बाधित
मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए तभी से ही केंद्र और राज्य सरकार की दर्जन भर से अधिक एजेंसियां राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हुई है। ऑगर मशीन में खराबी आ जाने के कारण ड्रिलिंग का काम दो बार बाधित हुआ और इस कारण करीब छह दिन तक ड्रिलिंग का काम नहीं हो सका।
वैसे श्रमिकों तक खाना पहुंचाने में कामयाबी मिल गई है और श्रमिकों के लिए चिकित्सकों की सलाह पर खाना तैयार किया जा रहा है। उन्हें कम मिर्च मसाले वाला भोजन भेजा जा रहा है। ठोस भोजन के साथ ही श्रमिकों को फल भी दिए जा रहे हैं।