Uttarakhand Tunnel Rescue: कुछ ही मीटर की ड्रिलिंग बाकी, दुआएं करते रहिए
Uttarakhand Tunnel Rescue Operation: माइक्रो टनलिंग विशेषज्ञ क्रिस कूपर ने कहा है कि अब तक 3 मीटर मैनुअल ड्रिलिंग की जा चुकी है और कुल मिलाकर लगभग 50 मीटर ड्रिलिंग का काम पूरा हो चुका है।
Uttarakhand Tunnel Rescue Operation: सिल्कयारा सुरंग में बचाव अभियान का आज 17 वां दिन है और मलबे के पीछे फंसे हुए श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए मैनुअल ड्रिलिंग और वर्टिकल ड्रिलिंग का काम जारी है। मैनुअल डीलिंग में कुल मिलाकर लगभग 50 मीटर का काम पूरा हो चुका है और पांच - छह मीटर ड्रिल करना ही बाकी है। मैनुअल ड्रिलिंग का काम 12 रैट होल माइनर कर रहे हैं और ऑगर मशीन द्वारा डाले गए पाइप के भीतर से हाथों से मलबा निकाल रहे हैं।
वहीं, सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग अब तक आवश्यक 86 मीटर में से 42 मीटर की गहराई तक पहुंच गई है। बचावकर्मियों को उम्मीद है कि जब यह एक मीटर चौड़ा शाफ्ट सुरंग के शीर्ष से नीचे तक पहुंचेगा तो इसके जरिए श्रमिकों को बाहर निकाला जा सकेगा।
57 मीटर ड्रिलिंग होनी है
माइक्रो टनलिंग विशेषज्ञ क्रिस कूपर ने कहा है कि अब तक 3 मीटर मैनुअल ड्रिलिंग की जा चुकी है और कुल मिलाकर लगभग 50 मीटर ड्रिलिंग का काम पूरा हो चुका है। फंसे हुए श्रमिकों तक पहुंचने के लिए सुरंग के अंदर एक पाइप बिछाने के लिए सुरंग के मुहाने से लगभग 57 मीटर तक ड्रिलिंग का काम किया जाना है।
50 मीटर काम पूरा
क्रिस कूपर ने कहा कि अब तक हम 50 मीटर पार कर चुके हैं। अब लगभग 5-6 मीटर जाना बाकी है। अभी तक सब पॉजिटिव है। इससे पहले बचाव दल ने पाइप बिछाने के लिए ऑगर मशीन का उपयोग करके लगभग 47 मीटर ड्रिलिंग का काम पूरा कर लिया था।
फंस गई थी ऑगर मशीन
ऑगर मशीन के मलबे में फंस जाने के कारण ड्रिलिंग कार्य रोक दिया गया, जिसे बाद में प्लाज़्मा कटर का उपयोग करके काटकर निकाला गया।
रैट होल माइनर
रैट-होल खनिक मैन्युअल ड्रिलिंग का काम कर रहे हैं जो 27 नवम्बर की रात से चल रहा है। इस काम के लिए खास मजदूर बुलाये गए हैं।
इस बीच, राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने कहा कि 36 मीटर की वर्टिकल ड्रिलिंग पूरी हो गई है। डॉलिंग पहाड़ी के ऊपर से नीचे की ओर की गई थी।
कोई समय सीमा नहीं
उत्तराखंड सरकार के सचिव नीरज खैरवाल ने कहा है कि समग्र रूप से ड्रिलिंग कार्यों के लिए समयसीमा की कल्पना नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा - समय सीमा के बारे में नहीं कहा जा सकता, लेकिन हम आशा करें और प्रार्थना करें कि कम से कम बाधाएं आएं और हम इसे जल्दी से करने में सक्षम हों।"
अधिकारियों ने बताया है कि सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिक स्थिर और सुरक्षित हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने कहा है कि फिलहाल सुरंग के अंदर स्थिति नियंत्रण में है। भोजन और दवाएं आवश्यकता के अनुसार अंदर जा रही हैं। मनोवैज्ञानिक पहलुओं को भी महत्व दिया गया है। बैकअप संचार स्थापित किया गया है।
इस बीच प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव प्रमोद कुमार मिश्रा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मौके पर स्थिति का जायजा लिया। केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला और उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू ने पीके मिश्रा के साथ सुरंग के अंदर काम का निरीक्षण किया।