घूस के पैसे जमा करने के लिए खोले गए बैंक खाते में घोटाला करके फंसी उत्तराखंड कांग्रेस

Update:2018-02-28 12:29 IST

आलोक अवस्थी

गजब है कांग्रेस! उत्तराखंड कांग्रेस ने घूस के पैसे को जमा कराने के लिए खोले गए बैंक खाते में घोटाला करके खुद को संकट में डाल लिया है। आपको याद होगा.. राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 74 के मुआवजे में हुए घोटाले का किस्सा.. जिसमें आधा दर्जन से अधिक राजपत्रित अधिकारी जेल जा चुके हैं और एसआईटी मुआवजे की रकम की पाई-पाई का हिसाब खोज रही है। जांच की आंच अब मुख्य किरदारों के काफी नजदीक पहुंच चुकी है पूरा तत्कालीन कांग्रेसी खेमा तनाव में है हरीश रावत जी अब एसआईटी की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उनसे पूछा है कि आखिर आप ही बताइए कि किस जांच एजेंसी पर उन्हें भरोसा होगा। हरीश रावत जी सीबीआई को तो केंद्र का तोता बता चुके हैं। अब एसआईटी के सवाल उनको परेशान करने लगे।

अब चलिए समझते हैं घोटाले में हुए घोटाले का मामला है क्या? एनएच 74 जिन मार्गो से निकलने वाली थी वह काम शुरू होने से पहले अकृषि भूमि दर्ज कराई गई थी, किंतु कार्य शुरू होते ही उस जमीन के दावेदार मैदान में आ गए, जिन्हें तत्कालीन सरकार ने अधिकारियों को आगे करके मुआवजे की रकम बांटी। जांच शुरू हुई और वह सारे अधिकारी दोषी पाए गए और सभी इस समय जेल भेज दिए गए हैं। मामला यहीं खत्म नहीं हुआ इस रकम के एक हिस्से को इन्हीं मुआवजा धारकों से कांग्रेस के एक अकाउंट में जमा करवाया गया। इस खाते को दो महानुभावों को ऑपरेट करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी..। उनमें से एक तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश जी के ओएसडी और एक कांग्रेस से भेजे गए नाम क्रमश: कमल रावत व सुरेंद्र राजा हैं। इनको ही स्टेट बैंक खाता संख्या 364 041 2330 को ऑपरेट करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी यहां यह उल्लेखनीय है कि इस खाते में उसी समय जब मुआवजे की धनराशि बांटी जा रही थी यानी 51 दिनों तक जमकर पैसा जमा कराया गया। इसमें अधिकतम जमा कराने वाले वही लोग हैं जिन्हें मुआवजे का लाभ मिला एसआईटी इस प्रकरण की जांच यहां तक पूरी कर चुकी है और खातेदारी इस बात की पुष्टि कर चुके हैं। मामला अब गंभीर हो जाता है।

इस खाते में जमा हुई रकम जो 5:30 करोड़ थी उसका क्या हुआ अगर सबकुछ ठीक था तो कांग्रेस के पास उस रकम के खर्च का ब्योरा तो होना ही चाहिए? लेकिन यहां कुछ और ही खिचड़ी पकी मोटी रकम निकाली गई अब तो मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष इसकी जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार हैं और ना ही तत्कालीन अध्यक्ष किशोर उपाध्याय सभी जानते हैं कि इस खाते को हरीश जी की निगरानी में ही ऑपरेट किया जा रहा था। राजनीतिक तौर पर उस समय कांग्रेस भयंकर संक्रमण काल से गुजर रही थी एक दर्जन से अधिक नेताओं ने बगावत करके कांग्रेस को छोडऩे का फैसला कर लिया था।

एक तरह से उस समय कांग्रेस का सारा दायित्व हरीश जी और तत्कालीन अध्यक्ष किशोर उपाध्याय जी के हाथ में ही था अब जांच तो जांच है.. एसआईटी अपनी कार्यवाही कर रही है और उस समय के सभी सिपहसालार को जांच का सामना करना पड़ रहा है कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष प्रीतम प्रीतम सिंह बना जिम्मेदारी क्यों लेने लगे उन्होंने जांच अधिकारियों को किशोर उपाध्याय का रास्ता दिखा दिया और किशोर जी ने स्वीकार किया कि वह जांच अधिकारियों के सवालों का जवाब देंगे किशोर की यही मासूमियत अब हरीश रावत के लिए संकट बनने जा रही है ।

उत्तराखंड की कांग्रेस की सियासत को समझने वाले जानते ही हैं कि एक लंबे समय से हरीश रावत जी ने किशोर उपाध्याय को ठिकाने लगा रखा जब सरकार थी तब भी उनकी कितनी चलती थी यह किसी से छुपा नहीं है हरीश ने किन-किन रावतों को सरकारी कार्यों को चलाने की जिम्मेदारी सौंपी थी यह भी किसी से छुपा नहीं है बाहर हाल उस समय की बेरुखी राजनीति के किस रूप में प्रकट होगी यह एसआईटी को किशोर उपाध्याय के दिए हुए बयानों से साबित हो जाएगा फिलहाल तो एसआईटी के सवालों के घेरे में किशोर उपाध्याय हैं और जल्द ही हरीश रावत जी के सामने भी सवालों का पिटारा आएगा तब हरीश रावत के राजनीतिक कौशल की असली परीक्षा होगी क्योंकि कागज तो वही पढ़े जाते हैं जिसमें जो इबारत लिखी होती है हरीश ने उत्तराखंड की पूरी कांग्रेस को प्राइवेट लिमिटेड बनाते समय कई जरूरी पात्रों को निपटाया अब उनकी प्रतीक्षा करो कोर्ट से आने वाली आवाज का हरीश रावत हाजिर हो।

बचाव के रास्ते

अत्यन्त भरोसे के सूत्रों के अनुसार अपनी साख बचाने के लिए इन दोनो खाताधारकों क्रमश: कमल रावत और सुरेन्द्र रांगड़ के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने जा रही है ताकि सारी बला इनके सर डाल कर अपनी जान बचाई जा सके। इन दोनो को भी फिलहाल हालात से समझौता करने के लिए तैयार कर लिया गया है। कांग्रेस की रणनीति यह है कि फिलहाल मामले से बड़े नेताओं को बचा लिया जाए बाद में पैरोकारी में ढील देकर इन्हें भी सेफ पैसेज दे दिया जाएगा।

कांग्रेस में खलबली

एनएच-74 मुआवजा घोटाले की जांच को गठित एसआइटी का शिकंजा कसने से प्रदेश कांग्रेस में खलबली है। इस मुआवजे की बड़ी धनराशि समेत 5.54 करोड़ रुपये जिस तरह प्रदेश कांग्रेस के चुनावी बैंक खाते में जमा हुए और इस राशि के एक हिस्से के स्रोत की स्थिति आना पार्टी की मुश्किलें बढ़ा सकता है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, मौजूदा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह और पार्टी के खाते का संचालन से जुड़े पार्टी नेताओं के भी एसआइटी की पूछताछ के दायरे में आने का अंदेशा जताया जा रहा है। एआईसीसी को भी एसआईटी की कार्यवाही की जानकारी दी गई है। उधर, प्रदेश कांग्रेस ने अपने चुनावी खाते में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार से इन्कार किया है। इस घटना से कांग्रेस में बेचैनी साफतौर पर दिख रही है। दरअसल, बेचैनी की वजह एसआइटी के पूछताछ के लिए आगे आना है। गौरतलब है कि कुछ अरसा पहले एआइसीसी की ओर से भी चुनावी खर्च का विस्तृत हिसाब-किताब मांगे जाने से पार्टी नेताओं के बीच हंगामा हो गया था। चुनावी खाते के संचालन से जुड़े रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुरेंद्र रांगड़ ने कहा कि खाते से लेन-देन चेक के माध्यम से हुआ है। कहीं गड़बड़ी नहीं है। पार्टी के चार्टर्ड एकाउंटेंट सुनील गुलाटी की ओर से भी यही भरोसा दिया गया है। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मथुरादत्त जोशी ने कहा कि चुनाव आयोग के निर्देश पर पार्टी ने चुनाव संचालन को उक्त खाता खोला था। खाते में जमा धनराशि का ऑडिट भी हो चुका है। एसआइटी के जरिये अनावश्यक दबाव बनाने का विरोध होगा।

किशोर उपाध्याय से एसआईटी की पूछताछ के बाद कांग्रेस की बदहवासी का आलम यह है कि पार्टी के अंदरूनी समीकरण अचानक बदल गए। किशोर उपाध्याय अब लगातार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के सम्पर्क में हैं। हरीश रावत जो खुलेआम कांग्रेस के समानान्तर संगठन चला रहे थे, अब प्रीतम से सलाह ले रहे हैं। सुझाव भी दे रहे हैं। प्रदेश के कई बड़े कांग्रेसियों में हडक़म्प की स्थिति यह है कि वे पुलिस मुख्यालय से सम्पर्क कर जानकारी ले रहे हैं कि किस के जेल जाने का नंबर है। कांग्रेस के कुमाऊं मण्डल संगठन से लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के कई पदाधिकारी यह जानने को आतुर हैं कि एसआईटी के राडार पर अब तक कौन-कौन नेता आ चुके हैं।

हमारा स्टैंड एकदम साफ : प्रीतम

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि एनएच-74 घाटाले में कांग्रेस का स्टैंड एकदम साफ है। कांग्रेस ही नहीं, हर राजनीतिक पार्टी लोगों से चंदा लेती है। हाल ही में भाजपा ने अकेले उत्तराखण्ड में लोगों से 25 करोड़ रुपये जुटाये। उन्होंने कहा कि हम भाजपा की तरह जनता को डरा धमकाकर धन उगाही नहीं करते हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि शुक्रवार को हरीश रावत और किशोर उपाध्याय ने उनसे फोन पर सम्पर्क साधा था। हालांकि उन्होंने इसे सामान्य बताया।

हरीश रावत

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि मामले की जांच का दायरा बढ़ाकर इसमें केंद्रीय अधिकारियों को भी लाया जाए। सिर्फ छोटे अधिकारियों पर शिकंजा कसने से कुछ नहीं होगा। कांग्रेस ने कुछ गलत नहीं किया है।

किशोर उपाध्याय: खाते से मेरा कोई लेना देना नहीं

एनएच-74 मुआवजा घोटाले में उस वक्त नया मोड़ आ गया था, जब ये जानकारी मिली कि विधानसभा चुनाव से ऐन पहले खोले गए प्रदेश कांग्रेस के चुनावी खाते में मुआवजे की बड़ी धनराशि जमा की गई। तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय से जब एसआइटी ने पूछताछ की तो पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने साफ कह दिया कि बैंक खाते से हुए लेन-देन से वह अलग रहे हैं। उन्होंने कहा कि खाते में चंदे के रूप में मिला पैसा कहां से आया, इसके बारे में देने वाला ही बता सकता है। उन्होंने एसआइटी के समक्ष लिखित में भी अपना पक्ष रखने का सुझाव रखा था।

प्रदेश कांग्रेस के चुनाव खाते से यूं हुआ भुगतान

-तत्कालीन मुख्यमंत्री के हवाई दौरे पर तकरीबन दो करोड़।

-पार्टी प्रत्याशियों के खातों में 10-10 लाख रुपये कराए जमा।

-खाते में कुल जमा-5.54 करोड़, चुनाव में खर्च करीब 5.50 करोड़।

एसआइटी ने बैंक से कांग्रेस के खाते का ब्योरा मांगा

रुद्रपुर: एनएच मुआवजा घोटाले की जांच कर रही एसआइटी अब विस चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी के खाते में गए करीब चार-पांच करोड़ की जांच करेगी। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय से पूछताछ के बाद एसआइटी ने अब एसबीआइ से पार्टी के इस खाते का ब्योरा मांगा है।

हरीश रावत की गर्दन तक पहुंच गई है एसआईटी

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से जब इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने कहा कि एनएच-74 मुआवजा घोटाले की जांच को गठित एसआइटी अच्छा काम कर रही है, सरकार जांच में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी, हमारी पुलिस अपराधियों तक पहुंचेगी।रावत ने कहा कि एनएच 74 घोटाले के मामले में एसआईटी की जांच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत तक पहुंच चुकी है। इससे उनका दम घुट रहा है। इस कारण वह एसआईटी पर अविश्वास जता रहे हैं। उन्होंने कहा कि हरीश रावत को यह स्पष्ट चाहिए कि उनको किसकी जांच पर भरोसा है। वह सीबीआई को केंद्र की एजेंसी बताकर उसकी जांच पर अविश्वास जता चुके हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम हरीश रावत के गर्दन तक एसआईटी पहुंच गई है। इससे पूरे कांग्रेस खेमे में हलचल मची है। उन्होंने कहा कि विकास हो रहा है या नहीं इसका फैसला जनता को करना है।

उल्लेखनीय है कि एनएच-74 मुआवजा घोटाले की जांच कर रही एसआइटी अभी तक 211 करोड़ के घोटाले की पुष्टि कर 18 अधिकारी, कर्मचारी और काश्तकरों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। इनमें से 12 के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है, जबकि बाकी छह आरोपितों पर भी चार्जशीट की तैयारी चल रही है।

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