BJP in Rajasthan: राजस्थान में बहुरने वाले हैं वसुंधरा राजे के दिन, अमित शाह के इशारे का निकाला जा रहा सियासी मायने

BJP in Rajasthan: रैली के दौरान राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे का नाम संबोधन के लिए नहीं बुलाया गया तो गृह मंत्री शाह ने अपने से पूर्व वसुंधरा राजे का संबोधन कराने का इशारा किया।

Update: 2023-07-01 06:52 GMT
Vasundhara Raje (photo: social media )

BJP in Rajasthan: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को उदयपुर में भाजपा की बड़ी रैली के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर तीखे हमले किए। कन्हैयालाल के हत्यारों की गिरफ्तारी के मुद्दे पर उन्होंने गहलोत सरकार पर निशाना साधा। उदयपुर की इस रैली के दौरान हुए एक वाकए का बड़ा सियासी मतलब निकाला जा रहा है। दरअसल जब रैली के दौरान राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे का नाम संबोधन के लिए नहीं बुलाया गया तो गृह मंत्री शाह ने अपने से पूर्व वसुंधरा राजे का संबोधन कराने का इशारा किया।

अमित शाह के इस निर्देश के बाद पहले वसुंधरा राजे का संबोधन कराया गया। रैली के बाद शाह की ओर से किए गए इस इशारे का सियासी मतलब निकाला जाने लगा है। दरअसल वसुंधरा राजे के समर्थक लंबे समय से उन्हें सीएम चेहरा घोषित करने की मांग करते रहे हैं। शाह की ओर से किए गए इशारे से साफ है कि भाजपा नेतृत्व अब वसुंधरा राजे को पूरी तरजीह देने के मूड में दिख रहा है।

शाह के निर्देश पर हुआ वसुंधरा का संबोधन

शुक्रवार को उदयपुर की जनसभा के दौरान संचालन कर रहे नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को संबोधन के लिए नहीं बुलाया। प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के संबोधन के बाद सीधे अमित शाह का संबोधन होना था। जोशी के भाषण के बाद जब राठौड़ ने अमित शाह को भाषण देने के लिए आमंत्रित किया तो शाह ने इशारा करते हुए पहले वसुंधरा राजे का भाषण कराने को कहा।

वसुंधरा मंच पर शाह के बगल में ही बैठी हुई थीं। इस दौरान शाह वसुंधरा राजे से बातचीत करते हुए भी नजर आए। शाह के निर्देश के बाद वसुंधरा रैली को संबोधित करने के लिए पहुंचीं।

वसुंधरा का गहलोत सरकार पर तीखा हमला

अपने संबोधन के दौरान वसुंधरा राजे ने पार्टी कार्यकर्ताओं को अति आत्मविश्वास से बचने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि हम निश्चित रूप से चुनाव जीतने में कामयाब होंगे मगर कार्यकर्ताओं को अति आत्मविश्वास से बचना होगा। उन्होंने राज्य की गहलोत सरकार पर भ्रष्टाचार का रिकॉर्ड कायम करने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि गहलोत के मंत्री भी इस बात को स्वीकार कर चुके हैं। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी राज्य की पूर्व वसुंधरा राजे सरकार के कामकाज की तारीफ की। उनका कहना था कि वसुंधरा सरकार ने हर काम को जमीन पर करके दिखाया और उनके कार्यकाल में प्रदेश पहले नंबर पर था।

शाह के निर्देश का सियासी मायने

गृह मंत्री अमित शाह शुक्रवार को जब उदयपुर रैली को संबोधित करने के लिए एयरपोर्ट पर पहुंचे तो उनका स्वागत करने के लिए वसुंधरा राजे भी मौजूद थीं। गृहमंत्री शाह ने पूरी रैली के दौरान वसुंधरा राजे को काफी महत्व दिया। गृह मंत्री शाह के इस कदम के बाद इसके सियासी मायने भी निकाले जाने लगे हैं।

राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जहां एक ओर कुछ महीने पहले तक वसुंधरा की सियासत खत्म होने के दावे किए जा रहे थे,वहीं अब वसुंधरा की राजस्थान में भाजपा के सबसे बड़े चेहरे के रूप में वापसी की भविष्यवाणी की जाने लगी है।

चुनावी साल में बदल रहा नजारा

भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से जब राजस्थान में सतीश पूनिया को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाया गया था तो वसुंधरा को दरकिनार करने की अटकलें लगाई गई थीं। पूनिया के पूरे कार्यकाल के दौरान वसुंधरा राजे को दरकिनार करने की कोशिश भी की गई। हालत यह हो गई कि राजस्थान में भाजपा का सबसे बड़ा चेहरा माने जाने वाली वसुंधरा पार्टी के पोस्टर और होर्डिंग्स से भी गायब हो गईं।

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी कुछ समय पूर्व कहा था कि भाजपा पीएम मोदी और अपने संगठन के चेहरे पर ही विधानसभा चुनाव के दौरान मैदान में उतरेगी। इसके बाद यह माना जा रहा था कि वसुंधरा का पत्ता कट गया है मगर चुनावी साल में पूरा माहौल बदलता हुआ नजर आ रहा है। पहले सतीश पूनिया की छुट्टी हुई और अब जिस वसुंधरा की सियासत खत्म होने के दावे किए जा रहे थे उन्हें सीएम फेस बनाने की बात होने लगी है।

कर्नाटक की हार के बाद बदली रणनीति

भाजपा की रणनीति में आए इस भारी बदलाव के पीछे कर्नाटक के चुनावी नतीजों को बड़ा कारण माना जा रहा है। कर्नाटक में कांग्रेस के हाथों में भाजपा की बड़ी हार के पीछे हर बार पीएम मोदी के चेहरे पर दांव लगाने और मजबूती स्थानीय नेता येदियुरप्पा की अनदेखी को बड़ा कारण माना गया था। दूसरी ओर कांग्रेस के पास सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के रूप में मजबूत स्थानीय चेहरे थे जिन्होंने पार्टी को जीत दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई।

सियासी जानकारों का मानना है कि कर्नाटक की हार से सबक लेते हुए भाजपा अब राजस्थान में मजबूत मानी जाने वाली वसुंधरा राजे की अनदेखी नहीं करना चाहती। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को इस बात का एहसास हो गया है कि राजस्थान में पार्टी को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। माना जा रहा है कि इसी कारण भाजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है और वसुंधरा राजे को फिर अहमियत देनी शुरू कर दी है।

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