Indo Pacific Regional Dialogue: इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग में बोले-उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़- 'कमजोर रहकर शांति संभव नहीं'
Indo Pacific Regional Dialogue: इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संबोधित किया, उन्होंने कहा, कमजोर स्थिति में कोई भी शांति स्थापित नहीं कर सकता है। वसुधैव कुटुंबकम के प्रति भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता हमारे जीवन का तरीका है।
Indo Pacific Regional Dialogue: कोई कमजोरी की स्थिति से शांति स्थापित नहीं कर सकता है, न ही बातचीत कर सकता है। वसुधैव कुटुंबकम के प्रति भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता हमारे जीवन का तरीका है। यह देश के वैश्विक दृष्टिकोण को निर्धारित करती है। यह बातें इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कही। जगदीप धनखड़ ने कहा, जैसे-जैसे विकास और तकनीकी पहुंच के साथ भारत की आर्थिक शक्ति बढ़ रही है, वैसे-वैसे वैश्विक, क्षेत्रीय मामलों में हमारी हिस्सेदारी और इसके साथ आने वाली चुनौतियां भी बढ़ रही हैं। भारत में दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ाने की जबरदस्त क्षमता है।
शांति के समर्थक के रूप में जाना जाता है-
उपराष्ट्रपति ने कहा, एक राष्ट्र के रूप में भारत को शांति के समर्थक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि भारत ने कभी विस्तारवादी सोच को बढ़ावा नहीं दिया है। आपकी ताकत वैश्विक व्यवस्था को परिभाषित करेगी, साथ ही आपकी ताकत शांति को परिभाषित करेगी। कमजोर स्थिति में शांति की आकांक्षा नहीं की जा सकती है।
2030 तक भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है-
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने संबोधन में कहा, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता में भारत की हिस्सेदारी है। 2030 तक भारत जापान और जर्मनी को पछाड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है। जगदीप धनखड़ ने कहा, जैसे-जैसे विकास और तकनीकी पहुंच के साथ भारत की आर्थिक शक्ति बढ़ रही है, वैसे-वैसे वैश्विक, क्षेत्रीय मामलों में हमारी हिस्सेदारी और इसके साथ आने वाली चुनौतियां भी बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा, भारत में दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ाने की जबरदस्त क्षमता है। साथ ही ऐसा परिदृश्य हमारे जीवन को बेहतर बनाता है।