Weather Forecast: मौसम विभाग की अधिकतर भविष्यवाणियां साबित हो रही गलत, क्या है वजह?

Weather Forecast: देश में मानसून की आमद हो चुकी है। लेकिन इसके मिजाज ने एकबार फिर मौसम विभाग के पूर्वानुमानों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update: 2022-07-11 11:07 GMT

आज का मौसम (फोटो: सोशल मीडिया )

Weather Forecast: देश में मानसून की आमद हो चुकी है। लेकिन इसके मिजाज ने एकबार फिर मौसम विभाग (meteorological department) के पूर्वानुमानों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। देश में भले फिलहाल हिमाचल प्रदेश से लेकर केरल तक बारिश हो रही हो, मगर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में लोग बारिश की एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। मौसम विभाग राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 30 जून से ही लगातार बारिश को लेकर पूर्वानुमान जारी कर रहा है। आईएमडी ओरेंज अलर्ट यानी अच्छी वर्षा का अलर्ट जारी करता है, जबकि बारिश येलो अलर्ट वाली यानी हल्की भी नहीं होती है।

यही हाल उत्तर प्रदेश औऱ बिहार का है। आमतौर पर इस दौरान इन राज्यों के निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती थी। मगर इसबार सूखे का अंदेशा जताया जा रहा है। मौसम विभाग की माने तो यूपी में अब तक अनुमान से 58 प्रतिशत कम बारिश हुई है। जून के आखिरी हफ्ते में मानसून ने दस्तक दी थी, लेकिन एक-दो दिन की बारिश के बाद बादल नहीं लौटे। उमस और चिलचिलाती धूप से लखनऊ समेत पूरी यूपी के लोग परेशान हैं। मौसम विभाग के मुताबिक, अगले एक दो – दिन में तापमान का पारा 40 डिग्री सेल्सियस के पार जा सकता है।

गैर परंपरागत क्षेत्रों में अधिक बारिश

परंपरागत रूप से कम बारिश वाले क्षेत्रों में अधिक बारिश हो रही है। गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के वे इलाके जहां आम तौर कम बारिश होती है, वहां अत्यधिक बारिश ने तबाही मचा दी है। गुजरात के 6 जिलों में तो बाढ़ के कारण स्कूल – कॉलेज तक बंद करने पड़े हैं। वहीं महाराष्ट्र में 1 से अब तक बारिश और बाढ़ से हुए हादसों में 76 लोगों की जान जा चुकी है। केरल औऱ तेलंगाना में भी अलर्ट जारी किया गया है। अक्सर देखा गया गया है कि मौसम में आ रहे इन असामान्य़ बदलाव की भविष्यवाणी मौसम विभाग नहीं कर पा रहा है।

सामान्य से 5 प्रतिशत अधिक बारिश – आईएमडी

देश में मानसून को आए डेढ़ माह हो चुके हैं। भारतीय मौसम विभाग (Indian meteorological department) के मुताबिक, देश में सामान्य से 5 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। विभाग ने बताया कि 17 राज्यों में सामान्य बारिश, 11 राज्यों में सामान्य से अधिक और सात राज्यों में सामान्य से कम बारिश हुई है। यूपी, बिहार, झारखंड, दिल्ली, छत्तीसगढ़, ओडिसा और पश्चिम बंगाल ऐसे राज्य हैं, जहां सामान्य से कम बारिश हुई है।

अधिकतर मौकों पर गलत साबित हुई मौसम की भविष्यवाणी

भारतीय मौसम विभाग (Indian meteorological department) 1988 से अलग – अलग मॉडल के आधार पर मानसून का पूर्वानुमान जारी कर रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 1988 से लेकर अब तक 18 बार उसकी भविष्यवाणी गलत साबित हुई है। जबकि विभाग पूर्वानुमान में 5 प्रतिशत तक कम या अधिक की गुंजाइश बताता रहता है। इसके बाद भी उसकी 48 प्रतिशत भविष्यवाणियां गलत रहीं। 1988 से 2021 के बीच दो बार (1994,2002) पूर्वानुमान में 20 फीसदी से भी अधिक अंतर देखा गया। 6 बार यह अंतर 10 से 15% के बीच और 10 बार 6 से 9% तक रहा।

मौसम विभाग का दावा

मौसम विभाग (meteorological department) का दावा है कि हाल के सालों में उसकी भविष्यवाणियों की सटीकता में काफी सुधार आया है। पहले जो पूर्वानुमान महज 60 फीसदी तक सच होते थे वे अब 80 फीसदी तक सटीक साबित हो रहे हैं। हमारा टारगेट 100 फीसदा सही पूर्वानुमान देना है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान विभाग के महानिदेशक डॉ राजेंद्र कुमार जेनामणि कहते हैं कि बाकी 20 फीसदा पूर्वानुमान पूरे सटीक न बैठने के पीछे मुख्य वजह ऑब्जर्वेटरी, रडार और एयर बलून की तादात कम रहना है। हमारे मॉडल में कोई कमी नहीं है। अगले दो – तीन सालों में इनके अलावा और नए तकनीकी उपकरणों को लगवा कर डाटा कलेक्शन को और वृहद किया जाएगा, ताकि भविष्यवाणी एकदम सटीक रहे।

वहीं स्काईमेट के उपाध्यक्ष महेश पालावत (Skymet Vice President Mahesh Palawat) का मानना है कि मौसम पूर्वानुमान में चूक की वजह भारतीय प्रायद्वीप में मौसम का अनिश्चित और लगातार बदलता मिजाज है। उनका कहना है कि उपमहाद्वीप में मौसम उष्ण कटिंबधीय मिजाज वाला होता है। यानी बारिश, आंधी, गरज और चमक के साथ बौछारों का लंबे समय पहले किया गया अनुमान कई बार गड़बड़ हो जाता है क्योंकि यहां के मौसम का मिजाज कभी भी बदल जाता है। इसके विपरीत अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन या अन्य यूरोपीय देशों में मौसम का पूर्वानुमान 95 से 97 फीसदी सही होता है क्योंकि वहां के मौसम का मिजाज स्थिर होता है। पालावत ने कहा कि देश के जिन इलाकों में पूर्वानुमान के मुताबिक बारिश हो गई वहां मौसम विभाग सही साबित हो जाता है और जो जो इलाके सूखे रह गए वहां पूर्वानुमान को गलत करार दे दिया जाता है।

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