BJP नेता को मारी गोलीः हत्या के बाद बंद का एलान, CM से लेकर DGP तक तलब

भाजपा ने मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राज्य के डीजीपी और एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (होम) को तलब किया है।

Update: 2020-10-05 03:08 GMT

अंशुमान तिवारी

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में खराब कानून व्यवस्था को लेकर उठ रहे सवालों के बीच रविवार की रात उत्तर 24 परगना जिले में भाजपा नेता मनीष शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई। टीटागढ़ पुलिस स्टेशन के सामने हुई इस घटना के बाद जिले का माहौल तनावपूर्ण बताया जा रहा है। इलाके में तनाव को देखते हुए भारी पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है।

घटना को लेकर सियासी माहौल गरमा गया है और भाजपा ने मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है। उधर राज्यपाल ने इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राज्य के डीजीपी और एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (होम) को तलब किया है।

थाने के सामने हुई ताबड़तोड़ फायरिंग

घटना के बारे में मिली जानकारी के अनुसार भाजपा नेता मनीष शुक्ला टीटागढ़ थाने के सामने बने पार्टी कार्यालय में बैठे हुए थे। इसी दौरान रात करीब साढ़े आठ बजे बाइक पर सवार होकर पहुंचे अज्ञात हमलावरों ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी।

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अचानक हुए इस हमले में गंभीर रूप से घायल मनीष शुक्ला को पहले बैरकपुर के बीएन बोस अस्पताल पहुंचाया गया मगर उनकी हालत गंभीर होने के कारण बाद में उन्हें अपोलो अस्पताल ले जाया गया। वहां पहुंचने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस हमले में एक और युवक भी गंभीर रूप से घायल हुआ है।

भाजपा ने की सीबीआई जांच की मांग

घटना के बाद भाजपा ने राज्य की ममता सरकार पर बड़ा हमला बोला है। भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि पार्टी के नेता मनीष शुक्ला की हत्या टीटागढ़ थाने के सामने की गई। उन्होंने कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच की जानी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बदतर हो चुकी है और भाजपा नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है।

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बैरकपुर बंद का आह्वान

पश्चिम बंगाल भाजपा के महासचिव संजय सिंह ने भी इस घटना के बाद ममता सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। घटना के विरोध में पार्टी की ओर से बैरकपुर में बंद का आह्वान किया गया है।

राज्यपाल का कड़ा रुख, सीएम तलब

उधर राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने इस घटना को लेकर कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। उन्होंने राज्य में कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राज्य के डीजीपी और एडीशनल चीफ सेक्रेट्री (होम) को तलब किया है।

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राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच पिछले कई महीने से तनावपूर्ण रिश्ते चल रहे हैं। जुलाई 2019 में राज्यपाल का पद संभालने के बाद से ही उनके और टीएमसी सरकार के बीच विभिन्न मुद्दों को लेकर समय-समय पर टकराव होता रहा है।

राज्यपाल और ममता सरकार में टकराव

बंगाल के राज्यपाल ने पिछले महीने ममता सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि राज्य के हालात को देखते हुए उन्हें राज्य की शक्तियां अपने हाथ में लेने पर विचार करना होगा। उन्होंने ममता सरकार पर पश्चिम बंगाल को पुलिस स्टेट में बदलने का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि ऐसी स्थिति में वे संविधान के अनुच्छेद 154 पर विचार करने के लिए मजबूर हो जाएंगे।

राजभवन की अनदेखी करने का आरोप

उन्होंने राज्य सरकार पर राजभवन की अनदेखी करने का भी आरोप लगाया था। उन्होंने डीजीपी वीरेंद्र को कानून व्यवस्था के संबंध में पत्र भी लिखा था। डीजीपी की ओर से भेजे गए जवाब को गैर जिम्मेदार और कठोर बताते हुए राज्यपाल का आरोप था कि पुलिस सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के निजी काडर के रूप में काम कर रही है।

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