West Bengal SSC Scam: पश्चिम बंगाल में पार्थ चटर्जी की बर्खास्तगी का दबाव बढ़ा, भाजपा के बाद कांग्रेस ने भी ममता को घेरा

West Bengal SSC Scam: विशेष अदालत ने पार्थ चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को 10 दिन के लिए प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेज दिया है। इस बीच राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी पार्थ चटर्जी से किनारा करती हुई नजर आ रही हैं।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2022-07-26 12:34 IST

West Bengal SSC Scam pressure for the dismissal of Partha Chatterjee increased in West Bengal (Image: Social Media)

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West Bengal SSC Scam: पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले में फंसे मंत्री पार्थ चटर्जी की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त करने की मांग तेज हो गई है। भाजपा ने शुरू से ही पार्थ चटर्जी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। अब कांग्रेस ने भी मांग की है कि पार्थ चटर्जी को अविलंब मंत्री पद से बर्खास्त किया जाना चाहिए। पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने इस बाबत राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र भी लिखा है। 

विशेष अदालत ने पार्थ चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को 10 दिन के लिए प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेज दिया है। इस बीच राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी पार्थ चटर्जी से किनारा करती हुई नजर आ रही हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि अगर कोई गलत काम करते हुए पकड़ा जाता है तो उसे सजा दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य में पिछले दिनों में जो कुछ भी हुआ है, उससे मैं काफी निराश हूं। अब सबकी निगाहें पार्थ के संबंध में ममता के फैसले पर टिकी हुई हैं।

अधीर रंजन ने लिखा ममता को पत्र 

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लिखे गए पत्र में कहा है कि पार्थ चटर्जी 2014 के बाद राज्य के शिक्षा मंत्री रहे हैं और उन पर शिक्षक भर्ती में अनियमितता बरतने के गंभीर आरोप लगे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में हर किसी को इस बड़े घोटाले के बारे में पूरी जानकारी है। अदालत के आदेश के बाद जांच एजेंसियों की ओर से इस संबंध में कार्रवाई शुरू की गई है जिसमें घोटाले का पूरा सच उजागर हो गया है। ऐसे में मुख्यमंत्री को अविलंब पार्थ चटर्जी को मंत्री पद से बर्खास्त करना चाहिए। 

पार्थ चटर्जी की मुश्किलें बढ़ीं

टीएमसी के वरिष्ठ नेता और मंत्री पार्थ चटर्जी को प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने 23 जुलाई को गिरफ्तार किया था। 2016 में हुए शिक्षक भर्ती घोटाले के समय वे राज्य के शिक्षा मंत्री थे। उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के घर से ईडी ने करीब 20 करोड़ों रुपए कैश बरामद किए थे। इसके बाद पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी तय मानी जा रही थी। हालांकि उन्होंने अस्पताल में भर्ती होकर ईडी की पूछताछ में रुकावट पैदा करने की कोशिश की मगर कोलकाता हाईकोर्ट के कड़े रुख के बाद अब उनकी मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। 

भुनेश्वर एम्स की ओर से उनके स्वास्थ्य के संबंध में हाईकोर्ट को भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें कोई गंभीर बीमारी नहीं है और उनसे पूछताछ की जा सकती है। एम्स ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि उन्हें अस्पताल में रखने की कोई जरूरत नहीं है। इसके बाद विशेष अदालत की ओर से पार्थ चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को 10 दिन के लिए प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेज दिया गया है।

बैकफुट पर नजर आ रही हैं ममता 

टीएमसी नेता की गिरफ्तारी के बाद से ही भाजपा लगातार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमले कर रही है। भाजपा नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इस बड़े भ्रष्टाचार की पूरी जानकारी थी मगर वे लगातार पूरे मामले पर पर्दा डालने में जुटी रहीं। भाजपा की ओर से पार्था चटर्जी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की गई है।

पार्थ चटर्जी के मामले में चौतरफा घिरने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बैकफुट पर नजर आ रही हैं। उनका कहना है कि यदि कोई गलत काम करने का दोषी पाया जाता है तो उसे सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है मगर एक तय समयसीमा के भीतर मामले का निस्तारण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा त्याग की राजनीति की है और जीवन भर मैंने भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष किया है। राज्य में पिछले दिनों जो कुछ भी हुआ, उसे लेकर मैं काफी निराश हूं। गलत काम करने पर मैं किसी को नहीं छोड़ती फिर चाहे वह मंत्री ही क्यों न हो।

भाजपा और कांग्रेस की ओर से पार्थ चटर्जी को बर्खास्त करने की मांग को लेकर ममता पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। अब सबकी निगाहें पार्थ चटर्जी के संबंध में ममता के फैसले पर लगी हुई हैं। 

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