Ken Betwa Link Project: क्या है केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट जिसका पीएम मोदी ने किया है शिलान्यास?

Ken Betwa Link Project: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती पर केन-बेतवा नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना की आधारशिला रखी है। इस परियोजना पर लंबे समय से विचार चल रहा था और इसके बारे में पर्यावरण सम्बन्धी कई चिंताएं और आशंकाएं जाहिर की गईं थीं। क्या है ये प्रोजेक्ट जानते हैं इसके बारे में।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2024-12-25 15:44 IST

Ken Betwa Link Project (Photo: Social Media) 

Ken Betwa Link Project: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती पर केन-बेतवा नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना की आधारशिला रखी है। इस परियोजना पर लंबे समय से विचार चल रहा था और इसके बारे में पर्यावरण सम्बन्धी कई चिंताएं और आशंकाएं जाहिर की गईं थीं। क्या है ये प्रोजेक्ट जानते हैं इसके बारे में।

- केन – बेतवा लिंक प्रोजेक्ट (केबीएलपी) में केन नदी से पानी को बेतवा नदी में ट्रान्सफर करने की परिकल्पना की गई है। ये दोनों ही नदियाँ यमुना की सहायक नदियाँ हैं। केन-बेतवा लिंक नहर की लंबाई 221 किलोमीटर होगी, जिसमें 2 किलोमीटर की सुरंग भी शामिल है। जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार, इस परियोजना से 10.62 लाख हेक्टेयर (मध्य प्रदेश में 8.11 लाख हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश में 2.51 लाख हेक्टेयर) भूमि को सालाना सिंचाई मिलने, लगभग 62 लाख लोगों को पीने का पानी उपलब्ध होने और 103 मेगावाट जलविद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न होने की उम्मीद है।

- केन-बेतवा प्रोजेक्ट नदियों को आपस में जोड़ने के लिए राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के तहत पहली परियोजना है, जिसे 1980 में तैयार किया गया था। इस योजना में कुल 16 परियोजनाएँ हैं, जिनमें केबीएलपी भी शामिल है। इसके अलावा, हिमालयी नदियों की विकास योजना के तहत 14 लिंक प्रस्तावित हैं। 


- केन-बेतवा लिंक परियोजना के दो चरण हैं। चरण-1 में दौधन बांध परिसर और इसकी सहायक इकाइयाँ जैसे लो लेवल टनल, हाई लेवल टनल, केन-बेतवा लिंक नहर और बिजली घर बनाना शामिल होगा। चरण-2 में तीन घटक शामिल होंगे - लोअर ओर्र डैम, बीना कॉम्प्लेक्स परियोजना और कोठा बैराज।

- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिसंबर 2021 में केबीएलपी परियोजना के लिए 44,605 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी। इस प्रोजेक्ट में दौधन बांध 2,031 मीटर लंबा है, जिसमें से 1,233 मीटर मिट्टी का और बाकी 798 मीटर कंक्रीट का होगा। बांध की ऊंचाई 77 मीटर होगी। जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार, बांध से करीब 9,000 हेक्टेयर जमीन डूबेगी, जिससे 10 गांव प्रभावित होंगे। दौधन बांध के लिए बुनियादी ढांचा कंपनी एनसीसी लिमिटेड को ठेका दिया गया है। 


परियोजना कब तक पूरी होगी?

- जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार, केबीएलपी परियोजना को आठ साल में क्रियान्वित करने का प्रस्ताव है। 22 मार्च, 2021 को जल शक्ति मंत्रालय और मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश की सरकारों के बीच केन-बेतवा लिंक परियोजना को लागू करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे।

- केन को बेतवा से जोड़ने के विचार को अगस्त 2005 में बड़ा बढ़ावा मिला, जब केंद्र और दोनों राज्यों के बीच विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिए त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। 2008 में केंद्र ने केबीएलपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया। बाद में इसे सूखाग्रस्त बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास के लिए प्रधानमंत्री के पैकेज के हिस्से के रूप में शामिल किया गया।

- अप्रैल 2009 में यह निर्णय लिया गया कि डीपीआर दो चरणों में तैयार की जाएगी। 2018 में चरण-1, 2और मध्य प्रदेश द्वारा प्रस्तावित अतिरिक्त क्षेत्र सहित एक व्यापक डीपीआर तैयार की गई। इसे अक्टूबर 2018 में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और केंद्रीय जल आयोग को भेजा गया।

इस प्रोजेक्ट किन क्षेत्रों को फायदा होगा?

- यह परियोजना बुंदेलखंड में स्थित है, जो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 13 जिलों में फैला हुआ है। जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार, यह परियोजना पानी की कमी से जूझ रहे क्षेत्र, खासकर मध्य प्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन तथा उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिलों के लिए बहुत लाभकारी होगी। मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि "यह देश में विकास के लिए पानी की कमी को बाधा न बनने देने के लिए और अधिक नदी जोड़ो परियोजनाओं का मार्ग प्रशस्त करेगा।" 


पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव

- नदी जोड़ो परियोजना को इसके संभावित पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव के लिए गहन जांच का सामना करना पड़ा है। इस परियोजना में पन्ना राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व के हृदय में बड़े पैमाने पर वनों की कटाई शामिल होगी।

- आईआईटी-बॉम्बे के वैज्ञानिकों द्वारा पिछले साल प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया था कि नदी जोड़ो परियोजनाओं के हिस्से के रूप में बड़ी मात्रा में पानी को ट्रान्सफर करने से भूमि-वायुमंडल के परस्पर क्रिया और प्रतिक्रिया प्रभावित हो सकती है और सितंबर में औसत वर्षा में 12 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है।

- सुप्रीम कोर्ट की केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने वन्यजीव मंजूरी की जांच करते समय कई मामलों में इस परियोजना पर सवाल उठाए थे। सीईसी ने परियोजना की आर्थिक व्यवहार्यता पर सवाल उठाए थे, और पहले ऊपरी केन बेसिन में अन्य सिंचाई विकल्पों को क्रियान्वित करने की वकालत की थी।

- इस प्रोजेक्ट से पन्ना राष्ट्रीय उद्यान के लगभग 98 वर्ग किलोमीटर का जलमग्न होगा जहां 2009 में बाघ स्थानीय रूप से विलुप्त हो गए थे। लगभग बीस से तीस लाख पेड़ों की कटाई परियोजना के सबसे विवादास्पद पहलुओं में से एक रही है

- प्रोजेक्ट का दौधन बांध पन्ना राष्ट्रीय उद्यान के अंदर स्थित है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पन्ना अभयारण्य के अंदर इसके निर्माण को मंजूरी दे दी, जबकि राष्ट्रीय उद्यानों और बाघ अभयारण्यों के भीतर इस तरह की भारी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का कोई उदाहरण नहीं है। सीईसी ने यह भी बताया था कि यह परियोजना बाघों के सफल पुनर्स्थापन को खत्म कर देगी, जिसने स्थानीय विलुप्ति से बाघों की आबादी को वापस लाने में मदद की थी। सीईसी ने कहा था कि राष्ट्रीय उद्यान के नीचे बांध से केन घड़ियाल अभयारण्य में घड़ियाल आबादी के साथ-साथ गिद्धों के घोंसले के स्थलों को भी प्रभावित करने की संभावना है।

- बांध के कारण छतरपुर जिले में 5,228 परिवार और पन्ना जिले में 1,400 परिवार जलमग्न होने और परियोजना से संबंधित अधिग्रहण के कारण विस्थापित होंगे। अधिग्रहण प्रक्रिया में स्थानीय लोगों द्वारा अपर्याप्त मुआवजे और पन्ना जिले के लिए कम लाभ के बारे में बहुत सारे विरोध प्रदर्शन हुए हैं।

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