क्या है ये हिमालयन वियाग्रा, जिसकी चाहत बनी लोगों के लिए जानलेवा

यह कोई साधारण जड़ी-बूटी नहीं है। यह एक कामोत्तेजक गुणों के साथ अन्य बीमारियों के इलाज में भी उपयोगी है। यह दुर्लभ जड़ी-बूटी जिसे कीड़ा जड़ी भी कहते हैं।

Update:2019-06-08 13:24 IST

नई दिल्ली: जड़ी-बूटी जीवन देती है यह तो सुना था पर यह पहली बार सुनने को मिला कि जड़ी बूटी खेजने गए आठ लोगों ने अपनी जान गंवा दिए। नेपाल और तिब्बत हिमालय पर दस हजार फीट से अधिक ऊंचे पहाड़ों पर पाई जाने वाली यार्सागुम्बा नामक जड़ी-बूटी जो सामान्यत: ‘हिमालयी वियाग्रा’की चाहत जानलेवा बन रही है।

यह कोई साधारण जड़ी-बूटी नहीं है। यह एक कामोत्तेजक गुणों के साथ अन्य बीमारियों के इलाज में भी उपयोगी है। यह दुर्लभ जड़ी-बूटी जिसे कीड़ा जड़ी भी कहते हैं।

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पिछले कुछ समय से औषधि चर्चा का विषय है लेकिन अपने गुणों के कारण नहीं बल्कि इसकी चाहत में मरने वाले लोगों के कारण।

इस औषधि को पाने के चक्कर में लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। हाल में इसे लेने गए आठ लोगों की नेपाल के डोल्पा जिले में मौत हो गई।

रिपोर्ट्स के अनुसार, हर वर्ष गर्मियों के दिनों में इस बहुमूल्य औषधि को एकत्रित करने लोग यहां आते हैं। इस बार यहां आए आठ लोगों की मौत हो गई। इनमें से पांच की मौत ऊंचाई के हिसाब से शरीर के न ढलने के कारण हुई, जबकि दो लोग खड़ी चट्टान से बूटी को इकट्ठा करते वक्त नीचे गिर गए। इनमें सबसे दर्दनाक मौत एक बच्चे की हुई, जो अपनी मां के साथ इस बूटी को इकट्ठा करने गया था।

बता दें कि यार्सागुम्बा औषधि की पूरे एशिया और अमेरिका सहित अन्य देशों में मांग है। इसकी कीमत 100 अमरीकी डॉलर (करीब 7 हजार रुपये) प्रति ग्राम से भी अधिक है।

यह जड़ी 3500 मीटर की ऊंचाई वाले पहाड़ी इलाकों में पाई जाती है जहां पर पेड़ उगने बंद हो जाते हैं। जब मई से जुलाई के महीनों में बर्फ पिघलती है तो इन परिस्थितियों में कैटरपिलर्स पर कवक का संक्रमण होता है जिसके बाद आर्सागुम्बा बनता है। उसकी 57 प्रजातियां हिमालय में मौजूद हैं।

इस कवक में प्रोटीन, पेप्टाइड्स, अमीनो अम्ल, विटामिन बी-1, बी-2 और बी-12 जैसे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यार्सागुम्बा जड़ी का कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। इस औषधि का उपयोग कामोत्तेजक के रूप में किया जाता है। लेकिन आयुर्वेद में इसका अन्य बीमारियों के इलाज के रूप में उपयोग किया जाता है।

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यह फेफड़े और गुर्दे संबंधी बीमारियों के इलाज में काफी उपयोगी है। यह बुढ़ापे को भी बढ़ने से रोकता है तथा शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

स्थानीय अधिकारियों ने यार्सागुम्बा को इकट्ठा करने वाले लोगों की सुविधा के लिए विभिन्न स्थानों पर स्वास्थ्य शिविर लगाए हैं। इन स्वास्थ्य शिविरों में इस काम में लगे एक दर्जन से अधिक लोग इलाज करवा रहे हैं।

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