मोइन कुरैशी ! भैंस का गोश्त बेच करोड़ों कमाए, दिल्ली में किया कुछ ऐसा जो....
नई दिल्ली : कुख्यात मांस कारोबारी मोइन कुरैशी को कोर्ट से जमानत मिल गई है। इस मौके पर हम बांच रहे हैं उनकी जन्मकुंडली। आप भी देखिए ! कैसे एक छोटा सा कसाई बन बैठा इंडिया का सबसे बड़ा मीट कारोबारी। लेकिन हम आपको पहले ही बता देते हैं कि कुरैशी की कहानी कहीं से भी प्रेरणादायक नहीं है।
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जनाब का पूरा नाम मोइन अख्तर कुरैशी है। 1950 के दौरान पिता अब्दुल माजिद रामपुर में एक दुकान चलाते थे। ठीक वैसी ही, जैसी आपको किसी भी गली नुक्कड़ पर देखने को मिल जाती है। किसी ने राय दी की कुछ पैसा लगाओ और दिल्ली सप्लाई करने लगो, बहुत पैसा है। माजिद को बात जंच गई। पैसे जुटाए और दिल्ली में सप्लाई देने लगे।
90 के दशक में बेटे मोइन ने धंधे में बाप का साथ देना शुरू किया। काम बढ़ने लगा। इसके बाद चालू पुर्जे मोइन ने अपने संबंध राजनेताओं और बड़े अफसरों से बनाने शुरू किए। जिसे आज हम आप पीआर मेंटेन करना कहते हैं। वही ये पीआर उसके काम आया और मिल गया पहला मीट एक्सपोर्ट करने के ठेका।
इसके बाद मोईन साहेब सिर्फ 10 सालों में देश के सबसे बड़े मीट कारोबारियों में शामिल हो गए। हाल फिलहाल तक वो बफेलो मीट के सबसे बड़े कारोबारी हैं। इनका पूरा काम उत्तर प्रदेश से होता है। जिसकी हिस्सेदारी होती है आल इंडिया लेबल पर 70 प्रतिशत।
बंदे ने सिर्फ पैसा कमाना ही नहीं सीखा। बल्कि दूसरों का पैसा कैसे पवित्र किया जाता है ये मंत्र भी जान लिया। बल्कि ये कहें की मास्टर बन गया था इस धंधे का।
इसके बाद मोइन पर नजर पड़ी आईटी (आयकर विभाग) और ईडी की। मोइन के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाए जाने लगते हैं। क्यों ये हम आपको आगे बताएंगे। फिलहाल आप ये जानिए कि जब कुरैशी की अपने गिरफ्तार होने की भनक लगी तो वो दुबई भाग लिए। इसके बाद हाईकोर्ट को कहना पड़ता है कि विजय माल्या मत बनो। वापस आ जाओ। लेकिन साहेब आते तभी हैं जब उनका मन करता है।
अब आपको बताते हैं कि आईटी (आयकर विभाग) और ईडी को क्यों इस बंदे के खिलाफ पुख्ता सबूतों की जरुरत आन पड़ी थी। दरअसल पिछली सप्रंग सरकार के दौरान मोइन इतना ताकतवर था कि कई मंत्री भी उससे मिलने के लिए हफ़्तों इंतजार करते थे। सीबीआई डायरेक्टर एपी सिंह और रंजीत सिन्हा तो उसके बेस्ट बडी थे। ऐसे में इन दोनों विभागों के अफसर ये जानते थे कि यदि कहीं कुछ चूक हुई तो नौकरी और सम्मान दोनों हाथ से जाएंगे।
पिछली सरकार में शामिल कुछ नेताओं के मुताबिक, मुताबिक पर ध्यान दें! ये हम नहीं कह रहे हैं। मोइन के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से अच्छे रिश्ते रहे हैं। कुछ ऐसी ही बात 2014 के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी ने कही थी कि सोनिया के इशारे पर ही कुरैशी की इनकम टैक्स वालों ने जांच नहीं की।
मोदी ने अपनी चुनावी रैली में कहा था कि कुरैशी का रास्ता 10, जनपथ से हो के जाता है। लोग ये भी बताते हैं कि मोईन कुरैशी ने 2004 में बीजेपी का टिकट लेने की पूरी कोशिश की थी। लेकिन बात बनी नहीं वर्ना वो भी पवित्र हो जाता। जैसे बाकी हो रहे हैं।
हल्के में मत लें, बहुत पढ़ा लिखा है ये बंदा
दून स्कूल और दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से पढ़ा है मोइन. उस जमाने में कहा जाता था कि मोइन के दिमाग से पार पाना आम इंसान के वश की बात नहीं है और मोइन ने आगे चल कर ये बात सच साबित कर दी
कुरैशी ने 25 कंपनियां खोली जिनमें एएमक्यू एग्रो दुनिया भर में जाना पहचाना नाम है. मोईन कुरैशी और लिकर किंग रहे दिवंगत पोंटी चड्ढा करीबी दोस्त रहे हैं कहने वाले कहते हैं कि दोनों आपस में पैसे का लंबा चौड़ा लेनदेन करते थे
दिल्ली में ही बसा दिए थे फ्रांस और इटली
छतरपुर में कुरैशी का फॉर्महाउस है। जो सिर्फ कहने के लिए फार्म है। बड़े से दरवाजे को पार कर जैसे ही कोई अंदर जाता। उसे ऐसा लगता कि जैसे वो बिना वीजा पासपोर्ट के फ्रांस आ गया हो। इसे फ्रेंच आर्किटेक्ट जॉन लुई डेनिओट ने डिजाइन किया है। घर के अंदर की नक्काशी और फर्नीचर का डिजाइन राजमहल जैसा तो बर्तन इटैलियन राजशाही स्टाइल के।
2011 में पहली बार कुरैशी पर इनकम टैक्स ने जमाई नजर
बेटी पर्निया की शादी इसी साल हुई। शादी में पाकिस्तानी सूफी सिंगर राहत फतेह अली खान को बुक किया गया था। दूल्हे का सेहरा सुहाना बताने के लिए। राहत पर एजेंसी की पहले से ही नजर थी। धर लिए गए 56 लाख रुपये के साथ वो भी विदेशी। जब अफसरों ने कड़ाई की तो पता चला की ये पैसे गाना गाने के लिए मोइन ने दिए हैं।
इनकम टैक्स की मुहीम लाई रंग
इसके बाद फरवरी 2014 में इनकम टैक्स ने कुरैशी के 15 ठिकाने पर रेड मारी। मजे की बता ये थी कि जहां साहेब का ऑफिस चलता था। वो प्रापर्टी सीबीआई डायेरक्टर एपी सिंह की थी।
फिलहाल सीबीआई के तत्कालीन डायरेक्टर्स एपी सिंह और रंजीत सिन्हा जांच के घेरे में हैं।
रंजीत के साथ मोइन के रिश्ते इतने खास थे कि 15 महीनों में कुरैशी 70 बार रंजीत के घर गया था। कई बार उसके साथ उसकी पत्नी भी थी।
वर्ष 2015 में ईडी ने कुरैशी को नोटिस भेज उससे हांगकांग, स्विटजरलैंड, साउथ अफ्रीका, बरमूडा के पैसे के बारे में सवाल किया। लेकिन उसने कुछ भी नहीं बताया।
अब कहने वाले ये भी कहते है कि सप्रंग सरकार के दौरान मोइन भाई को लेकर कई केंद्रीय मंत्री आपस में ही टशन रखने लगे थे। उनमें से ही किसी ने भाई की टिप दे दी। वर्ना भाई को पकड़ना नामुमकिन था।