WHO ने किया सावधान, इन दवाओं का इस्तेमाल हो सकता है घातक

WHO डायरेक्टर जनरल टेड्रोस एडहैनम घेब्रियेसुस ने कहा कि एंटीबायोटिक्स के अधिक इस्तेमाल का बुरा असर न सिर्फ कोरोना महामारी के दौरान, बल्कि उसके बाद के वक्त में भी इसका देखने को मिलेगा।

Update:2020-06-02 12:03 IST

नई दिल्ली: कोरोना के इलाज को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने खुलासा किया है कि कोरोना महामारी के दौरान एंटीबायोटिक्स के अधिक इस्तेमाल से खतरा और भी ज्यादा बढ़ गया है। WHO के अनुसार एंटीबायोटिक्स के अधिक इस्तेमाल से बैक्टीरिया की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ रही है जिसके कारण अब अधिक मौतें होंगी।

WHO डायरेक्टर जनरल टेड्रोस एडहैनम घेब्रियेसुस ने बताया

एक रिपोर्ट के मुताबिक, WHO डायरेक्टर जनरल टेड्रोस एडहैनम घेब्रियेसुस ने कहा कि एंटीबायोटिक्स के अधिक इस्तेमाल का बुरा असर न सिर्फ कोरोना महामारी के दौरान, बल्कि उसके बाद के वक्त में भी इसका देखने को मिलेगा। WHO ने एंटीबायोटिक्स के अधिक इस्तेमाल पर चिंता जताई है और कहा है कि कोरोना वायरस संकट के दौरान यह ट्रेंड और बढ़ सकता है। सोमवार को घेब्रियेसुस ने कहा कि ऐसे मामले बढ़ रहे हैं जिनमें बैक्टीरिया से संक्रमित मरीजों पर उन दवाओं का असर नहीं हो रहा है, जिन दवाओं के जरिए पहले वे ठीक हो रहे थे।

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कोरोना के कुछ मरीजों को ही एंटीबायोटिक्स की जरूरत होती

WHO डायरेक्टर जनरल ने कहा कि कोरोना के सिर्फ कुछ मरीजों को ही एंटीबायोटिक्स की जरूरत होती है। उन्होंने डॉक्टरों से अपील की है कि बैक्टेरियल इंफेक्शन ना होने पर कोरोना के हल्के लक्षण वाले मरीजों पर एंटीबायोटिक थेरेपी का इस्तेमाल ना करें। WHO डायरेक्टर जनरल ने कहा कि कोरोना के सिर्फ कुछ मरीजों को ही एंटीबायोटिक्स की जरूरत होती है। उन्होंने डॉक्टरों से अपील की है कि बैक्टेरियल इंफेक्शन ना होने पर कोरोना के हल्के लक्षण वाले मरीजों पर एंटीबायोटिक थेरेपी का इस्तेमाल ना करें।

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उन्होंने यह भी कहा कि खासकर कुछ देशों में एंटीबायोटिक्स का अधिक इस्तेमाल हो रहा है। जबकि गरीब देशों में दवाओं की कमी की वजह से लोग तकलीफ में हैं और मर रहे हैं।

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