Suspension Of MPs: क्यों विपक्षी सांसदों पर ही होती है कार्रवाई, क्या सस्पेंशन में मिलती है सांसद को सैलरी

Suspension Of MPs: यह पहली बार नहीं हुआ है जब किसी सांसद को सदन की कार्रवाई में बाधा डालने के लिए सस्पेंड किया गया है। इससे पहले भी कई बार इस तरह की कार्रवाई लोकसभा स्पीकर द्वारा की गई है।

Update:2023-07-25 17:49 IST
क्यों विपक्षी सांसदों पर ही होती है कार्रवाई, क्या सस्पेंशन में मिलती है सांसद को सैलरी, कौन करता है : Photo- Social Media

Suspension Of MPs: संसद का मानसून सत्र चल रहा है। मणिपुर हिंसा सहित कई मुद्दों को लेकर विपक्ष सरकार को घेर रही है तो वहीं सरकार भी बैकफूट पर आने को तैयार नहीं है। वहीं सोमवार को आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को राज्यसभा के सभापति ने सदन से सस्पेंड कर दिया। इसके विरोध में विपक्षी सांसद धरने पर बैठ गए।

यह कोई पहली बार नहीं है कि जब किसी संसद सदस्य को निलंबित किया गया है। इससे पहले भी कई सांसद लोकसभा और राज्यसभा में निलंबित किए जा चुके हैं।

भारत में संसद में किए गए किसी भी व्यवहार के लिए कोई सांसद किसी अदालत के प्रति उत्तरदायी नहीं होता है। ये ताकत सांसद को संविधान के आर्टिकल 105 (2) के तहत मिली हुई है। यानी संसद में किसी भी सांसद सदस्य द्वारा कही गई किसी भी बात को अदालत में चुनौती नहीं दिया जा सकता। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सांसदों को संसद में कुछ भी करने और कहने की छूट मिली है।

संसद में एक सांसद जो कुछ भी कहता है वो राज्यसभा और लोकसभा की रूल बुक से नियंत्रित होता है। इस पर केवल लोकसभा का अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति ही कार्रवाई कर सकते हैं।

दरअसल, संसद का मानसून सत्र चल रहा है। जिसमें मणिपुर मुद्दे को लेकर दोनों सदनों में हंगामा हो रहे हैं। मणिपुर मुद्दे को लेकर सोमवार को राज्यसभा में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह उप सभापति जगदीप धनखड़ के आसन यानी वेल के पास जाकर बहस करने लगे। इस दौरान उप सभापति ने उन्हें वापस जाने के लिए कहा, लेकिन वे नहीं माने। इसके बाद संजय सिंह को संसद के पूरे मानसून सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया। पिछले साल भी संजय सिंह को सस्पेंड किया गया था।

आज हम यहां यह जानेंगे की आखिर संसद में विपक्षी सांसद ही अक्सर क्यों सस्पेंड किए जाते हैं? उनकी किन हरकतों पर सस्पेंशन की कार्रवाई होती है? क्या इस दौरान सांसद को सैलरी मिलती है?

सवाल-आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को किस तरह और क्यों राज्यसभा से निलंबित किया गया?

जवाब-सोमवार को विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच राज्सभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने प्रश्नकाल शुरू करने की घोषणा की। प्रश्नकाल कुछ मिनट तक चला। इसी बीच संजय सिंह वेल में आ गए और सभापति की ओर इशारा किया। इसके बाद सभापति ने सबसे पहले उन्हें अपनी सीट पर वापस जाने के लिए कहा। जब वे नहीं माने तो जगदीप धनखड़ ने कहा-मैं संजय सिंह का नाम लेता हूं। सत्तापक्ष उनके खिलाफ प्रस्ताव लाए।

इसके बाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल तुरंत अपने सीट से उठे और कहा कि वह संजय सिंह को निलंबित करने के लिए एक प्रस्ताव लाना चाहते हैं। गोयल ने कहा- इस तरह का व्यवहार और सदन की कार्रवाई को बाधित करना सदन की नैतिकता और नियमों के पूरी तरह से खिलाफ है। सरकार संजय सिंह को निलंबित करने के लिए एक प्रस्ताव लाना चाहती है।

इसके बाद पीयूष गोयल ने आसन से संजय सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया और आसन ने प्रस्ताव पेश करने की अनुमति दी। इसके बाद गोयल ने कहा- मैं प्रस्ताव पेश करता हूं कि संजय सिंह जिन्हें उप सभापति ने नामित किया है, उन्हें मानसून सत्र की शेष अवधि के आखिरी दिन तक निलंबित किया जा जाता है।

सवाल- लोकसभा अध्यक्ष किस आधार पर सांसदों को निलंबित कर सकता है?

जवाब- संसद के किसी भी सदन में जानबूझकर हंगामा और कमेंट करने या किसी कार्य में बाधा डालने वाले सांसदों को निलंबित किया जा सकता है।

सवाल- किस नियम के तहत स्पीकर सांसदों पर कार्रवाई कर सकते हैं?

जवाब: संसद की कार्यवाही के लिए नियमों की पूरी एक किताब है। इसी रूल बुक के जरिए सदन को चलाया जाता है। इसी बुक के रूल 373 के तहत यदि

लोकसभा अध्यक्ष को ऐसा लगता है कि कोई सांसद लगातार सदन की कार्रवाई बाधित कर रहा है तो वह उसे उस दिन के लिए सदन से बाहर कर सकता है, या बाकी बचे पूरे सत्र के लिए भी निलंबित कर सकते हैं।

वहीं ज्यादा अड़ियल रवैया अपनाने वाले सदस्यों से निपटने के लिए स्पीकर रूल 374 और 374 ए के तहत कार्रवाई कर सकते हैं। कांग्रेस के सांसदों पर रूल 374 के तहत ही कार्रवाई की गई है।

आइए जानते हैं क्या है यह रूल-

लोकसभा अध्यक्ष उन सांसदों के नाम की घोषणा कर सकते हैं, जिसने आसन की मर्यादा तोड़ी हो या नियमों का उल्लंघन किया हो और जानबूझकर सदन की कार्यवाही में बाधा डाला हो।

जब लोकसभा अध्यक्ष ऐसे सांसदों के नाम का ऐलान करते हैं, तो वह सदन के पटल पर एक प्रस्ताव रखते हैं। जिसमें हंगामा करने वाले सांसद का नाम लेते हुए उसे सस्पेंड करने की बात कही जाती है।

इसमें निलंबन की अवधि का बकायदा जिक्र होता है। यह अवधि अधिकतम सत्र के खत्म होने तक हो सकती है। सदन चाहे तो वह किसी भी समय इस प्रस्ताव को रद्द करने का आग्रह भी कर सकता है।

आइए अब जानते हैं कि नियम 374ए क्या कहता है-

संसद के रूल बुक में 5 दिसंबर 2001 को एक और नियम जोड़ा गया है। इसे ही रूल 374ए कहा जाता है। यदि कोई सांसद अध्यक्ष के आसन के निकट

आकर या सभा में नारे लगाकर या अन्य प्रकार से संसद की कार्यवाही में बाधा डालकर जानबूझकर नियमों का उल्लंघन करता है तो उस पर इस नियम के तहत कार्रवाई की जाती है।

लोकसभा अध्यक्ष द्वारा ऐसे सांसद का नाम लिए जाने पर वह 5 बैठकों या सत्र की शेष अवधि के लिए (जो भी कम हो) स्वतः ही निलंबित हो जाता है।

सवाल- सांसद के निलंबन को खत्म करने की प्रकिया क्या है?

जवाब: लोकसभा अध्यक्ष को किसी सांसद को सस्पेंड करने का अधिकार है, लेकिन निलंबन को वापस लेने का अधिकार उसके पास नहीं है। यह अधिकार सदन के पास होता है। सदन चाहे तो एक प्रस्ताव के जरिए सांसदों का निलंबन वापस ले सकता है।

सवाल- क्या निलंबन के दौरान सांसदों को वेतन मिलता है?

जवाब: हां। सदन में बाधा डालने के लिए सस्पेंड किए गए सांसद को पूरा वेतन मिलता है। केंद्र में लगातार सरकारों द्वारा ‘काम नहीं, वेतन नहीं’ की नीति दशकों से विचाराधीन है। हालांकि इसे अभी तक पेश नहीं किया गया है।

सवाल-क्या ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी सांसद को सस्पेंड किया गया है?

जवाब: नहीं। सांसदों के निलंबन का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी मामले आए हैं। उदाहरण 1963 में मिलता है। 1989 में सबसे बड़ी निलंबन कार्रवाई हुई थी। राजीव गांधी सरकार के दौरान सांसद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट को संसद में रखे जाने पर हंगामा कर रहे थे।

इसके बाद विपक्ष के 63 सांसदों को हंगामा करने पर निलंबित किया गया था। वहीं जनवरी 2019 में लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने 2 दिन में 45 विपक्षी सांसदों को निलंबित किया था।

जब कांग्रेस ने अपने ही सांसद को किया था सस्पेंड-

बात 13 फरवरी 2014 की है। लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार ने 18 सांसदों को सस्पेंड किया था। सस्पेंड हुए कुछ सांसद अलग तेलंगाना राज्य बनाने की मांग का विरोध कर रहे थे, जबकि कुछ अलग राज्य की मांग कर रहे थे।

इस दौरान बहुत ही अप्रत्याशित घटना देखने को मिली थी, क्योंकि निलंबित होने वाले एक सांसद एल राजगोपाल कांग्रेस के ही थे। राजगोपाल पर सदन में पेपर स्प्रे प्रयोग करने का आरोप लगा था।

सदन की कार्रवाई में जो भी बाधा डालता है, उसके खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष एक्शन लेता है। संसद में सांसदों का निलंबन कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी कई बार सदन की कार्रवाई में बाधा डालने के आरोप में सांसदों को निलंबित किया जाता रहा है।

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