India Alliance: क्या अखिलेश बनेंगे इंडिया अलायन्स टूटने का कारण?
India Alliance : कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच मतभेद और गहरे होते जा रहे हैं। ऐसे में आने वाले चुनाव में दोनों पार्टियों का आपसी मतभेद INDIA गठबंधन को नुकसान पहुंचा सकता है।
India Alliance : मध्य प्रदेश में इनदिनों राजनीतिक रस्साकशी तेजी से चल रही है। रस्साकशी के इस खेल के मुख्य खिलाड़ी हैं समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी है। जिनके बढ़ते तनावपूर्ण रिश्ते अब चरम बिंदु पर पहुंच गए हैं, जिससे विपक्षी दलों के इंडिया अलायन्स की नींव हिल गई है और संभावित रूप से आगामी चुनावों से पहले राजनीतिक परिदृश्य बदल गया है।
पहली दरार तब दिखाई दी जब कांग्रेस पार्टी ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए अपनी पहली लिस्ट जारी की। 144 उम्मीदवारों की सूची में एक नाम उभरकर सामने आया, चरण सिंह यादव का जिन्हें बिजावर सीट के लिए प्रस्तावित किया गया था। यह सीट 2018 के विधानसभा चुनाव में सपा के राजेश कुमार शुक्ला ने जीती थी। इस सीट पर उम्मीदवार खड़ा करने के कांग्रेस पार्टी के फैसले को सपा ने अपनी पिछली जीत को कमजोर करने के रूप में देखा।
कलह की वजह
नवरात्रि के पहले दिन कांग्रेस की सूची जारी होने के सपा ने लखनऊ में पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की अध्यक्षता में बैठक की और नौ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया। सपा की सूची कांग्रेस की सूची के आठ घंटे बाद जारी की गयी। सपा की नौ उम्मीदवारों की सूची में पांच वह सीटें शामिल थीं जहां कांग्रेस ने पहले ही अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी थी। इस निर्णय से स्पष्ट था कि सपा आगामी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ने के लिए तैयार है।
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क्या हैं संकेत?
समाजवादी पार्टी के निर्णय के कई निहितार्थ हैं। पार्टी छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव में 90 में से 40 सीटों पर चुनाव लड़ने पर भी विचार कर रही है। माना जाता है कि पार्टी का यह कदम लोकसभा चुनावों के लिए सबसे महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश में बढ़त हासिल करने के लिए है। अन्य राज्यों में अपनी ताकत का प्रदर्शन करके, सपा को कांग्रेस के साथ बेहतर सीट-बंटवारे की व्यवस्था पर बातचीत करने की उम्मीद है, जिससे उत्तर प्रदेश में उसकी स्थिति बढ़ेगी, जहां उसकी महत्वपूर्ण उपस्थिति है।
क्या होगा अलायन्स का?
साफ़ है कि समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस के बीच बैलेंस नहीं बन पा रहा है। अखिलेश राज्यों के विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी के प्रत्याशी उतारने पर अड़े हुए हैं। उन्होंने कहा है कि इंडिया अलायन्स सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर है। अखिलेश यादव का रुख संकेत देता है कि इंडिया अलायन्स बिखर सकता है और उसके कारक शायद वह खुद बनेंगे। अखिलेश का कहना है कि उनकी जानकारी के मुताबिक गठबंधन केवल दिल्ली यानी राष्ट्रीय स्तर पर है। समय आने पर हम दिल्ली के बारे में बात करेंगे। अब जब हमने स्वीकार कर लिया है कि गठबंधन राज्य चुनावों पर लागू नहीं होता है, तो हम आगे बढ़े और मध्य प्रदेश चुनावों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा शुरू कर दी।
मध्य प्रदेश में सत्ता का खेल इंडिया अलायन्स की एकता और सुसंगतता पर सवाल उठाता है। जबकि गठबंधन का सामान्य लक्ष्य भारतीय जनता पार्टी को हराना है, सीट-बंटवारे में आंतरिक संघर्ष और असमानताएं संभावित रूप से इस उद्देश्य को कमजोर कर सकती हैं।
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MP में सपा ने 33 नाम घोषित किए
मध्य प्रदेश चुनाव के लिए सपा ने अब तक 33 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं। पार्टी के मध्य प्रदेश चुनाव प्रभारी व्यासजी गोंड ने कहा है कि वे सभी 230 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की कोशिश करेंगे। उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अजय राय ने सपा से कहा है कि वह मध्य प्रदेश में कांग्रेस को पूरा समर्थन दे क्योंकि वहां उसका कोई जनाधार नहीं है। माना जा रहा है कि सपा ने 12 सीटों की मांग की है।
कांग्रेस ने जारी की 144 प्रत्याशियों की सूची
कांग्रेस ने नवरात्रि के पहले दिन सुबह 9.09 बजे "शुभ समय" पर 144 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। समाजवादी पार्टी ने भी आठ घंटे बाद अपने नौ उम्मीदवारों के नाम जारी कर दिए। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों ने पांच सीटों - भांडेर (अनुसूचित जाति सीट), राजनगर, बिजावर, चितरंगी (अनुसूचित जाति) एसटी और कटंगी पर उम्मीदवार खड़े किए हैं। 18 अक्टूबर को सपा ने अन्य 22 उम्मीदवारों की घोषणा की, जिनमें से 13 विभिन्न सीटों पर कांग्रेस के खिलाफ हैं। 19 अक्टूबर को सपा ने दो और उम्मीदवारों की घोषणा कर दी।
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मध्य प्रदेश में सपा
दरअसल, सपा राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए उत्तर प्रदेश के बाहर विस्तार करने की कोशिश कर रही है। 1992 में अपनी स्थापना के बाद से यह एक क्षेत्रीय पार्टी रही है।
- 1998 विधानसभा चुनाव अविभाज्य मध्यप्रदेश का आखिरी चुनाव था। कुल 320 सीटें थीं। सपा ने 94 पर प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से 4 को जीत मिली थी और 84 की जमानत जब्त हो गई थी। रौन, दतिया, चांदला और पवई में सपा जीती थी। पार्टी को कुल 4.83 फीसदी वोट मिले थे।
- सपा ने उत्तर प्रदेश के बाहर अपनी सबसे बड़ी सफलता 2003 में मध्य प्रदेश में दर्ज की जब उसने 230 में से 161 सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए थे, जिनमें से 7 को जीत मिली सपा जीती वह थीं छतरपुर, चांदला, मैहर, गोपदबनास, सिंगरौली, पिपरिया और मुल्ताई। सपा को कुल 5.26 फीसदी वोट हासिल हुए थे। छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद मध्यप्रदेश में यह पहला विधानसभा चुनाव था।
- 2008 के विधानसभा चुनाव में सपा ने 187 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे लेकिन सिर्फ निवाड़ी से मीरा यादव जीत सकीं। सपा के 183 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। पार्टी को 2.46 फीसदी वोट मिले थे।
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- 2013 विधानसभा चुनाव में सपा खाता नहीं खोल पाई थी। सपा ने 164 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से 161 जमानत जब्त हो गई थी। पार्टी को 1.70 फीसदी वोट मिले थे।
- 2018 में आदिवासी केंद्रित गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ गठबंधन में एसपी ने एक सीट (बुंदेलखंड क्षेत्र में बिजावर) जीती थी और 1.30 प्रतिशत वोट हासिल करके पांच अन्य सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी। जीजीपी के साथ गठबंधन में पार्टी का वोट शेयर निर्दलीयों से भी कम था, जिन्हें 5.82 प्रतिशत वोट मिले थे। सपा के एकमात्र विधायक राजेश शुक्ला ने भाजपा उम्मीदवार को 36 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। उस सीट पर कांग्रेस तीसरे नंबर पर थी। राजेश शुक्ला 2022 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे। 2018 के चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे सपा के पांच उम्मीदवारों में डॉ. शिशुपाल यादव (पृथ्वीपुर), पूर्व विधायक मीरा दीपक यादव (निवाड़ी), पूर्व विधायक कंकर मुंजारे (परसवाड़ा), उनकी पत्नी अनुभा मुंजारे (बालाघाट) और कपिदध्वज सिंह (गुढ़) शामिल हैं।
बता दें कि राज्य में 21 फीसदी आदिवासी और 15 फीसदी दलित मतदाता हैं। 82 आरक्षित सीटों पर यह गठबंधन भाजपा और कांग्रेस के लिए समीकरण बिगाड़ सकता है। पिछले चुनाव में भाजपा को 41.02 फीसदी और कांग्रेस को 40.89 फीसदी वोट मिले थे।