Bangladesh : क्या शेख हसीना को बांग्लादेश भेजा जाएगा? युनुस सरकार ने लिखी चिट्ठी

Bangladesh : विदेश मामलों के सलाहकार या विदेश मंत्री तौहीद हुसैन ने अपने कार्यालय में संवाददाताओं से कहा कि हमने भारत सरकार को एक राजनयिक संदेश भेजा है, जिसमें कहा गया है कि बांग्लादेश न्यायिक प्रक्रिया के लिए उन्हें वापस चाहता है।

Newstrack :  Network
Update:2024-12-23 17:45 IST

Bangladesh : बांग्लादेश ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग के लिए भारत को पत्र लिखा है। बता दें कि बांग्लादेश में 5 अगस्त, 2024 को हुए तख्तापलट के बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश छोड़ दिया था, इसके बाद भारत का रुख किया था। इसके बाद से ही वह भारत में ही रह रही हैं।

विदेश मामलों के सलाहकार या विदेश मंत्री तौहीद हुसैन ने अपने कार्यालय में संवाददाताओं से कहा कि हमने भारत सरकार को एक राजनयिक संदेश भेजा है, जिसमें कहा गया है कि बांग्लादेश न्यायिक प्रक्रिया के लिए उन्हें वापस चाहता है। इससे पहले गृह सलाहकार जहांगीर आलम ने कहा कि उनके कार्यालय ने भारत से अपदस्थ प्रधानमंत्री के प्रत्यर्पण की सुविधा के लिए विदेश मंत्रालय को एक पत्र भेजा है। उन्होंने कहा कि हमने उनके प्रत्यर्पण के संबंध में विदेश मंत्रालय को एक पत्र भेजा है। प्रक्रिया अभी चल रही है।

जानिए क्या है प्रत्यर्पण का नियम?

भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि पर 2013 में हस्ताक्षर हुआ था, हालांकि 2016 में इसे संशोधित किया गया है। इस संधि का उद़्देश्य दोनों देशों की सीमाओं पर उग्रवाद और आतंकवाद के मुद्दे को समाप्त करना था। इस संधि के तहत भगोड़ों और अपराधियों के प्रत्यर्पण के लिए समझौता किया गया था, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं। दरअसल, भारत ने पूर्वोत्तर के ऐसे उग्रवादी जो बांग्लादेश में छिप जाते थे और बांग्लादेश के प्रतिबंधित संगठन मुजाहिदीन के लोग भारत में छिप जाते थे। उक्त समस्याओं से निपटने के लिए दोनों देशों ने प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किए थे। इस संधि में तहत एक बड़ा पेंच यह फंस रहा है। दरअसल, राजनीति से जुड़े व्यक्ति के प्रत्यर्पण से भारत इनकार कर सकता है। हालांकि यदि उसके खिलाफ हत्या और किडनैपिंग जैसे गंभीर मामले हैं तो उसके प्रत्यर्पण को नहीं रोक सकते हैं।

हालांकि 2016 में प्रत्यर्पण संधि में संशोधन किया है। इसके बाद से यह नियम है प्रत्यर्पण की मांग करने वाले देश को सबूत देने की भी आवश्यकता नहीं है। इसके लिए कोर्ट का वारंट ही काफी है। ऐसे में शेख हसीना के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। हालांकि प्रत्यर्पण संधि का अनुच्छेद 8 साफ तौर पर कहता है कि आरोप साबित करने के पर्याप्त सबूत नहीं हैं या आरोप सैन्य अपराध से जुड़ा हो, जो सामान्य आपराधिक कानून के तहत मान्य नहीं हैं। ऐसे में प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है। हालांकि इससे दोनों के बीच राजनयिक संबंध खराब हो सकते हैं। 

Tags:    

Similar News